भारत बड़े कानूनी बदलाव की ओर बशर्ते नए कानून सही अर्थों में लागू हो जाएं

Edited By ,Updated: 23 Apr, 2024 05:16 AM

india headed for major legal changes

भारत 15 अगस्त, 1947 को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद हो गया था लेकिन अंग्रेजों के बनाए हुए कानून देश में 75 वर्ष बाद तक चलते रहे हैं। इनमें सबसे बड़ा कानून है इंडियन पीनल कोड (1856) अर्थात आई.पी.सी.। देश में बड़े अपराधों के मामले में इसी कानून के तहत...

भारत 15 अगस्त, 1947 को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद हो गया था लेकिन अंग्रेजों के बनाए हुए कानून देश में 75 वर्ष बाद तक चलते रहे हैं। इनमें सबसे बड़ा कानून है इंडियन पीनल कोड (1856) अर्थात आई.पी.सी.। देश में बड़े अपराधों के मामले में इसी कानून के तहत कार्रवाई की जाती है। इसके अलावा कोड आफ क्रिमिनल प्रोसीजर (सी.आर.पी.सी.) और एविडैन्स एक्ट भी काफी पुराना चला आ रहा था। अब संसद ने इस वर्ष फरवरी में इन तीनों कानूनों को बदल दिया है और 1 जुलाई से नए कानून लागू हो जाएंगे। सरकार के अनुसार इस बदलाव का उद्देश्य कानून प्रणाली को आधुनिक जरूरतों के अनुरूप और राष्ट्र की सुरक्षा व कल्याण को यकीनी बनाना है। 

इसी सिलसिले में 20 अप्रैल को चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ ने कहा कि आपराधिक कानूनों में बदलाव इस बात का साफ संकेत है कि भारत बदल रहा है और आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि नए कानून तभी सफल होंगे जब वे लोग इन्हें अपनाएंगे, जिन पर इन्हें लागू करने का जिम्मा है। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने आगे कहा कि नए अधिनियमित कानूनों के कारण आपराधिक न्याय संबंधी भारत के कानूनी ढांचे ने नए युग में प्रवेश किया है। देश की आजादी के 75 वर्ष बाद अपराधियों से प्रभावशाली ढंग से निपटने के लिए निश्चित तौर पर नए कानूनों की जरूरत थी, लेकिन किसी भी सरकार अथवा राजनीतिक दल ने इसमें बदलाव की जहमत नहीं उठाई। 

अब नए कानून (भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता तथा भारतीय साक्ष्य अधिनियम) लागू होने के बाद न्याय में तेजी की उम्मीद की जानी चाहिए, परंतु ऐसा तभी होगा, जब नए कानून सही अर्थों में लागू हो जाएं, निचले स्तर पर पुलिस कर्मियों को नए कानूनों के प्रावधानों की संपूर्ण जानकारी हो और नए कानूनों के तहत कानूनी कार्रवाई करने के लिए कार्यशैली भी बदली जाए।-विजय कुमार 

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