कच्चे तेल में उबाल, क्या उत्पाद शुल्क घटा पाएंगे जेतली

Edited By ,Updated: 06 May, 2015 04:56 PM

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भारत में लगभग अस्सी फीसदी तेल का आयात किया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कच्चा तेल प्रति बैरल के हिसाब से खरीदा और बेचा जाता है।

नई दिल्लीः भारत में लगभग अस्सी फीसदी तेल का आयात किया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कच्चा तेल प्रति बैरल के हिसाब से खरीदा और बेचा जाता है। एक बैरल में तकरीबन 162 लीटर कच्चा तेल होता है।

अंतर्राष्‍ट्रीय बाजार में कच्‍चे तेल की कीमत 5 मई 2015 को 65.03 अमरीकी डॉलर प्रति बैरल रही जबकि 30 अप्रैल 2015 को ये कीमत 63.61 अमरीकी डॉलर प्रति बैरल थी। इन 5 दिनों में तेल की कीमतों में काफी बढ़ौत्तरी हुई। रुपए के संदर्भ में कच्‍चे तेल की कीमत 05 मई को बढ़कर 4130.71 रुपए प्रति बैरल हो गई, जबकि 30 अप्रैल को यह 4044.32 रुपए प्रति बैरल थी।  

 पहले जब तेल की कीमतें कम हो रही थी तो सरकार उत्पाद शुल्क का 50 फीसदी का मुनाफा उपभोक्ताअों को देती थी तथा 50 फीसदी अपने खजाने में जमा कर लेती थी जिससे वित्त मंत्रालय को 20 करोड़ की अामदनी हुई थी लेकिन अब जब तेल के दाम बढ़ रहे हैं तो सवाल ये उठता है कि क्या वित्त मंत्री अरुण जेतली उत्पाद शुल्क से होने वाला घाटा खुद बर्दाशत कर लोगों को पहले की स्थिति में सुविधा दे पाएंगे।

देश में उत्पादित कच्चे तेल पर दो प्रतिशत का केंद्रीय बिक्री कर लगता है जबकि आयातित कच्चे तेल को इससे छूट है। सरकारी सूत्रों ने कहना है कि यह स्थिति घरेलू उत्पादकों के विपरीत है। कच्चे तेल की खपत का 20 प्रतिशत हिस्सा घरेलू उत्पादन से पूरा होता है जिस पर कर लगता है आयातित 80 प्रतिशत हिस्सा अभी कर मुक्त है।

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