Edited By ,Updated: 26 Jan, 2016 10:11 AM
उत्तर भारत में माघ मास के कृष्ण पक्ष की चंद्रोदय व्यापिनी चतुर्थी तिल चौथ के नाम से विख्यात है। भविष्योत्तर पुराण में इस व्रत को वक्रतुंड चतुर्थी कहते हुए इसकी महिमा का वर्णन किया गया है।
उत्तर भारत में माघ मास के कृष्ण पक्ष की चंद्रोदय व्यापिनी चतुर्थी तिल चौथ के नाम से विख्यात है। भविष्योत्तर पुराण में इस व्रत को वक्रतुंड चतुर्थी कहते हुए इसकी महिमा का वर्णन किया गया है।
मान्यता है कि गणेश चतुर्थी को गणेश जी का ऐसा चित्र घर या दुकान पर लगाएं जिसमें उनकी सूंड दाईं ओर मुड़ी हुई हो। उनकी आराधना करें। उनके आगे लौंग तथा सुपारी रखें।
जब भी कहीं काम पर जाना हो, तो इस लौंग तथा सुपारी को साथ लेकर जाएं, तो काम सिद्ध होगा। प्रतिदिन एक लौंग और एक सुपारी अलग से भी साथ में रखें। काम पर जाने से पहले लौंग चूसें तथा सुपारी को वापस लाकर गणेश जी के आगे रख दें।