Edited By ,Updated: 10 Nov, 2016 04:38 PM
भूखे, गरीब,बेरोजगार, अनाथो और लाचार की दास्तान लिखने आया हूं
भूखे, गरीब,बेरोजगार, अनाथो और लाचार की दास्तान लिखने आया हूं
हां मैं आजाद हिंदुस्तान लिखने आया हूं।
एक ही कपड़े में सारे मौसम गुजारनेवाले
सूखा,बाढ़ और ओले से फसल बर्बाद होने पर रोने और मरनेवाले
कर्ज में डूबे हुए उस अन्नदाता किसान की जुबान लिखने आया हूं।
हां मैं आजाद हिंदुस्तान लिखने आया हूं।
मैं भगत, सुभाषचन्द्र और आज़ाद जैसा भारत मां के सपूत तो नहीं
लेकिन इन्हें सिर्फ जन्म और मरण दिन पर याद करने वाले और आंशु बहाने वाले,
उन्हें इन सपूतों की याद दिलाने
फिर से बलिदान लिखने आया हूं
हां मैं आजाद हिंदुस्तान लिखने आया हूं।
मजहब के नाम पर ना हो लड़ाई
जाती धर्म के नाम पर ना हो किसी की पिटाई
सब मिल-जुलकर रहे भाई भाई
जाती धर्म से ऊपर उठने के लिए इम्तिहान लिखने आया हूं
हां मैं आजाद हिंदुस्तान लिखने आया हूं।
सीमा पर देश के लिए लड़ने वाले
अपनी जान की परवाह किए बिना
देश पर मर मिटने वाले
मैं देश के ऐसे वीरों को सलाम लिखने आया हूं
हां मैं आजाद हिंदुस्तान लिखने आया हूं।
सब के पास हो रोज़गार और अपना व्यापार
देश मुक्त हो ग़रीबी, बेरोजगारी,बलात्कार और भष्ट्राचार
मैं देश के लोगो के सपने और अरमान लिखने आया हूं।
हां मैं आजाद हिंदुस्तान लिखने आया हूं।
विकास कुमार गिरि