Edited By Punjab Kesari,Updated: 25 Dec, 2017 04:01 AM
जहां एक तरफ देश सी.बी.आई. कोर्ट से लेकर बॉम्बे हाई कोर्ट जैसी विभिन्न अदालतों के आदेशों के चलते खासे वाद-विवादों में डूबा हुआ है, वहीं अखबार के एक कोने में छपी एक नई खबर नए चुनावों की तैयारियों की ओर संकेत कर रही है। शुक्रवार को राज्यपाल की मंजूरी...
जहां एक तरफ देश सी.बी.आई. कोर्ट से लेकर बॉम्बे हाई कोर्ट जैसी विभिन्न अदालतों के आदेशों के चलते खासे वाद-विवादों में डूबा हुआ है, वहीं अखबार के एक कोने में छपी एक नई खबर नए चुनावों की तैयारियों की ओर संकेत कर रही है।
शुक्रवार को राज्यपाल की मंजूरी के बाद राजस्थान सरकार ने एक नोटीफिकेशन जारी किया है जिसके तहत गुज्जरों तथा अन्य 4 पिछड़े समुदायों को 1 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है। इसके साथ ही राज्य में आरक्षण की दर 50 प्रतिशत हो गई है। नया कोटा उस आरक्षण के अतिरिक्त है जो रेबाड़ी, बंजारा, गडरिया तथा लुहार सहित इन समुदायों के लिए ओ.बी.सी. कैटेगरी के तहत लागू है। आरक्षण के इस नए कोटे को नया नाम भी दिया गया है तथा इसे ‘मोर बैकवर्ड क्लासेज’ (एम.बी.सी.) कैटेगरी पुकारा जाएगा। इस संबंध में अक्तूबर में विधानसभा में एक विधेयक पारित किया गया था।
इससे पहले इन समुदायों को 5 प्रतिशत आरक्षण देने के सरकार के 3 प्रयास असफल रहे थे क्योंकि उनसे सर्वोच्च न्यायालय द्वारा आरक्षण के लिए तय की गई 50 प्रतिशत सीमा का उल्लंघन हो रहा था। इस संबंध में राज्य सरकार में सोशल जस्टिस एंड एम्पावरमैंट मंत्री अरुण चतुर्वेदी का कहना है, ‘‘अपना वायदा निभाते हुए राज्य सरकार ने 1 प्रतिशत कोटा के लिए नोटीफिकेशन जारी कर दिया है।’’ हालांकि, गुज्जर आरक्षण संघर्ष समिति के प्रधान कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला कहते हैं, ‘‘हम 1 प्रतिशत आरक्षण से संतुष्ट नहीं हैं, हमारी मांग 5 प्रतिशत आरक्षण ही है।’’
सत्ता पर काबिज सरकारें हमेशा फिर से चुनावों में जीतने के लिए अंतिम वर्ष में कई लोक-लुभावन फैसले लेती हैं और वसुंधरा सरकार का यह फैसला इस दिशा में उसका पहला कदम प्रतीत होता है।