पुलिस की कारगुजारी पर न्यायपालिका की 2 महत्वपूर्ण टिप्पणियां

Edited By ,Updated: 05 Nov, 2023 05:30 AM

2 important comments of the judiciary on the performance of the police

लोकतंत्र के एक मजबूत स्तम्भ के रूप में न्यायपालिका को इस बात का श्रेय जाता है कि वह जनहित से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर केंद्र और राज्य सरकारों को लगातार झिंझोड़ रही है। इसी सिलसिले में गुजरात हाईकोर्ट और पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के हाल ही के 2...

लोकतंत्र के एक मजबूत स्तम्भ के रूप में न्यायपालिका को इस बात का श्रेय जाता है कि वह जनहित से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर केंद्र और राज्य सरकारों को लगातार झिंझोड़ रही है। इसी सिलसिले में गुजरात हाईकोर्ट और पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के हाल ही के 2 निर्णय उल्लेखनीय हैं। अहमदाबाद शहर में देर रात अपने बच्चे के साथ टैक्सी में कहीं जा रहे एक दम्पति को रोक कर 2 ट्रैफिक कांस्टेबलों ने उनसे 2 लाख रुपए मांगे  तथा आखिरकार 60,000 रुपए लेकर ही माने और इसके लिए  एक कांस्टेबल ने पीड़ित को ए.टी.एम. का इस्तेमाल करने को बाध्य किया तथा दूसरा कांस्टेबल टैक्सी में उसकी पत्नी और बेटे के साथ बैठा रहा। 

इस मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए सुनवाई के दौरान 3 नवम्बर को गुजरात हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस सुनीता अग्रवाल ने कहा, ‘‘क्या आप एक आम नागरिक से आपके कार्यालय में आने की उम्मीद करते हैं। कौन उसे शिकायत कार्यालय में दाखिल होने की इजाजत देगा?’’ ‘‘आपका डी.एम. (जिला मैजिस्ट्रेट) और कमिश्नर भगवान की तरह बर्ताव करते हैं। आप हमें और कुछ कहने के लिए मजबूर न करें। एक आम आदमी के लिए पुलिस थाने में या पुलिस आयुक्त या जिला मैजिस्ट्रेट के कार्यालय में प्रवेश कर पाना आसान नहीं और उसकी पहुंच से बाहर है।’’ 

इसके साथ ही उन्होंने सरकार को आदेश दिया कि वह जनता को ग्रीवेंस सैल (शिकायत प्रकोष्ठ) तथा हैल्पलाइन नम्बर के बारे में स्पष्ट तरीके से जानकारी दे, ताकि पीड़ित आसानी से पुलिस आयुक्त के कार्यालय में पुलिस कर्मचारियों के विरुद्ध शिकायत करने के लिए दाखिल हो सके। एक अन्य महत्वपूर्ण टिप्पणी में गत 12 अक्तूबर को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि नशे से संबंधित मामलों में बतौर गवाह पुलिस अधिकारियों की लगातार गैर हाजिरी से यह शक पैदा होता है कि इनमें से कुछ पुलिस अधिकारियों का ड्रग माफिया के साथ अपवित्र गठबंधन है। 

उक्त फटकार के बाद पंजाब सरकार ने नशे के केसों में गवाही के लिए पेश न होने के कारण मुकद्दमों के फैसलों में देरी के लिए जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों को बर्खास्त करने का फैसला किया है। उक्त दोनों ही महत्वपूर्ण फैसलों के लिए न्यायपालिका साधुवाद की पात्र है, जिनसे पुलिस की कार्यशैली में कुछ सुधार अवश्य हो सकता है।—विजय कुमार 

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!