Edited By ,Updated: 17 Sep, 2021 03:18 AM
87 वर्ष पुरानी ‘एयर इंडिया’ भारत की राष्ट्रीय विमान सेवा है परंतु परिचालन की अनियमितताओं, विमानों के ब्रेकडाऊन, पायलटों की कथित मनमानियों आदि के कारण यह ‘राष्ट्रीय गौरव’ का दर्जा खो चुकी है तथा इसका ऋण घाटा 43,000 करोड़ रुपए से भी अधिक हो चुका है।...
87 वर्ष पुरानी ‘एयर इंडिया’ भारत की राष्ट्रीय विमान सेवा है परंतु परिचालन की अनियमितताओं, विमानों के ब्रेकडाऊन, पायलटों की कथित मनमानियों आदि के कारण यह ‘राष्ट्रीय गौरव’ का दर्जा खो चुकी है तथा इसका ऋण घाटा 43,000 करोड़ रुपए से भी अधिक हो चुका है। 2007 से लगातार घाटे में चलने के कारण अंतत: विवश होकर भारत सरकार द्वारा इसे प्राइवेट हाथों में देने के लिए बोली की प्रक्रिया लम्बे समय से जारी थी, जिसकी अंतिम तिथि 15 सितम्बर को समाप्त हो गई।
1932 में एयर इंडिया को ‘टाटा ग्रुप’ के जे.आर.डी. टाटा ने शुरू किया था, जिसे बाद में सरकार ने खरीद लिया और अब इसे पुन: खरीदने के लिए टाटा ग्रुप ने भी बोली दी है। इसके अलावा बोली देने वालों में विमान सेवा ‘स्पाइस जैट’ आदि भी शामिल हैं। सफल बोलीदाता को वर्ष के अंत तक इसका परिचालन सौंप दिया जाएगा। कई वर्षों से इसे बेचने की योजना में नाकाम सरकार ने 2018 में इसकी 76 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने के लिए बोली मंगाई थी तथा उस समय इसकी मैनेजमैंट का नियंत्रण अपने पास रखने की बात कही थी परंतु जब इसमें किसी ने दिलचस्पी नहीं दिखाई तो सरकार ने अब मैनेजमैंट नियंत्रण सहित इसकी 100 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने का फैसला किया।
एक ओर सरकार द्वारा इसे बेचने की प्रक्रिया जारी है तो दूसरी ओर भाजपा के राज्यसभा सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी ने इसकी नीलामी की प्रक्रिया में धांधली का आरोप लगाते हुए इसे रद्द करने की मांग की है और इसके विरुद्ध कोर्ट में जाने की बात भी कही है। उनका कहना था कि ‘स्पाइस जैट’ स्वयं वित्तीय समस्याओं से घिरी होने के कारण बोली लगाने की अधिकारी ही नहीं है। उन्होंने टाटा को भी अयोग्य बताया व कहा कि ‘एयर एशिया’ के मामले में ‘टाटा ग्रुप’ संकट में है और कोर्ट में इसका मामला लंबित है।
जो भी हो, अब जबकि बोली प्रक्रिया समाप्त हो गई है, यह देखना दिलचस्प होगा कि भविष्य क्या करवट लेता है और ‘एयर इंडिया’ किसकी होती है? क्या यह सिलसिला पहले की तरह ही लटकता चला जाएगा या सरकार ‘एयर इंडिया’ में घर कर गई त्रुटियां दूर करके इसे स्वयं चलाने का निर्णय लेगी?—विजय कुमार