Edited By ,Updated: 24 Aug, 2021 02:40 AM
अफगानिस्तान पर तालिबानों के कब्जे के बाद हालांकि विश्व के 56 इस्लामी देशों में से सिर्फ पाकिस्तान ही उसके साथ है, परंतु सारी दुनिया की आलोचना से बेपरवाह तालिबान अपने मनमाने कानून लागू करके लोगों, विशेषकर महिलाओं पर अत्याचार करने लगे हैं।
ऐसे हाला
अफगानिस्तान पर तालिबानों के कब्जे के बाद हालांकि विश्व के 56 इस्लामी देशों में से सिर्फ पाकिस्तान ही उसके साथ है, परंतु सारी दुनिया की आलोचना से बेपरवाह तालिबान अपने मनमाने कानून लागू करके लोगों, विशेषकर महिलाओं पर अत्याचार करने लगे हैं।
ऐसे हालात में भी वहां लोकतांत्रिक शक्तियों का हौसला नहीं टूटा है और तालिबान के विरुद्ध लोग खड़े होने लगे हैं।
जलालाबाद में 18 अगस्त को तालिबानियों के विरुद्ध प्रदर्शन तथा उनका झंडा उतार कर अफगानिस्तान का राष्ट्रीय ध्वज फहराने वाले लोकतंत्र समर्थकों को तालिबानी आतंकवादियों ने चाबुक व लाठियों से बुरी तरह पीटने के बाद 3 लोगों को गोली मार दी। लगभग अधिकांश अफगानिस्तान पर काबिज होने के बावजूद लड़ाकों ने तालिबानियों से बगलान प्रांत के तीन जिले आजाद करवा लिए वहीं पंजशीर घाटी पर अभी तक तालिबान कब्जा नहीं कर पाया। वहां आगे बढऩे की कोशिश कर रहे तालिबानी आतंकवादियों को 32 वर्षीय ‘अहमद मसूद’ के नेतृत्व में ‘नार्दर्न अलायंस’ के लड़ाके कड़ी चुनौती दे रहे हैं जिनका दावा है कि वे अभी तक 300 तालिबानियों को मार चुके हैं।
‘अहमद मसूद’ ‘पंजशीर का शेर’ कहलाने वाले ‘अहमद शाह मसूद’ के बेटे हैं जिनकी 2001 में अल कायदा के आतंकवादियों ने हत्या कर दी थी। इससे पहले रूसी सेना व तत्कालीन तालिबान सरकार ने 9 बार पंजशीर में घुसने की कोशिश की थी लेकिन हर बार उन्हें ‘अहमद शाह मसूद’ से मात खानी पड़ी। अपने पिता की भांति ‘अहमद मसूद’ ने भी स्पष्ट कर दिया है कि ‘‘यदि तालिबान इस तरह देश पर कब्जा करना चाहता है तो यह उसके लिए मुश्किल होगा। मैं अपने पिता के नक्शे कदम पर चल रहा हूं और आत्मसमर्पण नहीं करूंगा। मेरे शब्दकोष में ‘आत्मसमर्पण’ शब्द नहीं है अगर तालिबान ने हमला किया तो वह जवाब पाने के लिए भी तैयार रहे।’’
हालांकि अहमद मसूद ने तालिबान से बात करने पर सहमति दे दी है परंतु इस बीच पंजशीर में युद्ध के हालात बन गए हैं तथा तालिबान ने 2 जिलों पर कब्जा कर लिया है, वहीं ‘अंदराब’ में अफगान सेना ने तालिबान को भारी नुक्सान पहुंचाते हुए 50 तालिबानी मार डाले हैं। अफगानिस्तान के घटनाक्रम का परिणाम चाहे कुछ भी निकले, इतना तो तय है कि अफगानिस्तान में तालिबानियों के लिए आगे की डगर आसान नहीं है, जहां उन्हें चुनौती देने के लिए ‘अहमद मसूद’ जैसे लोकतांत्रिक और राष्टï्रभक्त मौजूद हैं। —विजय कुमार