केंद्र सरकार द्वारा डाक्टरों को ‘जैनेरिक’ दवाएं लिखने का आदेश

Edited By ,Updated: 17 May, 2023 04:03 AM

central government orders doctors to prescribe  generic  medicines

भारत अब ‘जैनेरिक’ दवाओं का विश्व में सबसे बड़ा आपूर्तिकत्र्ता है। ‘जैनेरिक’ दवाएं उन दवाओं को कहा जाता है जिनका कोई अपना ब्रांडनेम नहीं होता और वे उनके निर्माण में इस्तेमाल होने वाले साल्ट के नाम से ही बाजार में बेची और पहचानी जाती हैं।

भारत अब ‘जैनेरिक’ दवाओं का विश्व में सबसे बड़ा आपूर्तिकत्र्ता है। ‘जैनेरिक’ दवाएं उन दवाओं को कहा जाता है जिनका कोई अपना ब्रांडनेम नहीं होता और वे उनके निर्माण में इस्तेमाल होने वाले साल्ट के नाम से ही बाजार में बेची और पहचानी जाती हैं। उदाहरणार्थ, दर्द और बुखार के इलाज में प्रयुक्त ‘पैरासिटामोल’ साल्ट को कोई कंपनी इसी नाम से बेचे तो उसे ‘जैनेरिक’ दवा कहेंगे और किसी ब्रांड नाम जैसे ‘क्रोसिन’ के नाम से बेचने पर यह ब्रांडेड दवा कहलाती है और उसे ‘जैनेरिक’ दवा के मुकाबले महंगे दाम पर बेचा जाता है। 

ब्रांड नाम से बेची जाने वाली दवाओं के बराबर ही कारगर और सुरक्षित होने के बावजूद ये उनकी तुलना में बेहद सस्ती होती हैं। सरकार भी इन्हें प्रोमोट कर रही है और ‘प्रधानमंत्री जन औषधि परियोजना’ के अंतर्गत देश भर में जैनेरिक दवाओं के स्टोर खोले जा रहे हैं। इसी को देखते हुए केंद्र सरकार ने अपने सरकारी अस्पतालों एवं ‘केंद्र सरकार स्वास्थ्य योजना’ के अंतर्गत आने वाले आरोग्य केंद्रों के चिकित्सकों को चेतावनी दी है कि वे रोगियों के लिए ‘जैनेरिक’ दवाएं लिखने के नियम का कठोरता से पालन करें, वर्ना उनके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी। 

आदेश में कहा गया है कि बार-बार सूचना के बाद भी कई डाक्टर तथा रैजीडैंट डाक्टर रोगियों की पर्ची पर ब्रांडेड दवाएं ही लिख रहे हैं, इसलिए इस बार कठोरतापूर्वक आदेश जारी किया गया है।केंद्र सरकार के उक्त निर्णय से रोगियों के इलाज के खर्च में काफी कमी आ सकती है, अत: इसे सभी चिकित्सा संस्थानों में तुरंत कठोरता पूर्वक लागू करने की जरूरत है।-विजय कुमार

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