संसद अधिवेशन के पहले ही दिन केंद्र सरकार ने कृषि कानूनों को लिया वापस

Edited By ,Updated: 30 Nov, 2021 04:05 AM

central government withdrew agricultural laws

भारत में अन्नदाता किसान की आर्थिक दशा सुधारने के लिए दीवान टोडर मल और दीनबंधु सर छोटूराम के प्रयासों के बावजूद भारत में उनकी आर्थिक दशा

भारत में अन्नदाता किसान की आर्थिक दशा सुधारने के लिए दीवान टोडर मल और दीनबंधु सर छोटूराम के प्रयासों के बावजूद भारत में उनकी आर्थिक दशा अधिक नहीं सुधर पाई। जहां सम्राट अकबर के नवरत्नों में से एक टोडर मल ने भूमि की पैमाइश का सिलसिला शुरू किया था, वहीं स्वतंत्रता पूर्व के दौर में दीनबंधु सर छोटूराम ने अपना सारा जीवन किसानों के हित में संघर्ष करते हुए बिता दिया जिस कारण वह ‘किसानों के मसीहा’ व ‘दीनबंधु’ कहलाए।

भारत किसी समय विदेशों से अनाज आयात किया करता था, किसानों के ही दम पर आज अन्न उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भर हुआ और विदेशों को कुछ निर्यात भी कर रहा है परंतु किसानों की दशा अच्छी न होने के कारण अधिकांशत: उनके बच्चे विदेशों की ओर भाग रहे हैं।

केंद्र सरकार ने सितम्बर, 2020 में तीन कृषि कानून पारित किए थे जिन्हें लागू करने से पहले ही किसान संगठनों ने इनका विरोध शुरू कर दिया व इन्हें किसान विरोधी बताते हुए वापस लेने की मांग को लेकर 26 नवम्बर, 2020  से दिल्ली की सीमाओं पर धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। किसानों में व्याप्त असंतोष को देखते हुए 19 नवम्बर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि कानून वापस लेने की घोषणा कर दी और कहा :

‘‘सरकार नेक नीयत से ये कानून लेकर आई थी। मैं आज देशवासियों से क्षमा मांगते हुए और सच्चे दिल से कहना चाहता हूं कि हमने तीन कृषि कानूनों को वापस लेने का निर्णय लिया है। इस महीने के अंत में शुरू होने जा रहे संसद सत्र में हम तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की प्रक्रिया प्रारंभ कर देंगे।’’ किसान नेताओं ने संसद द्वारा कानूनों को रद्द करने और एम.एस.पी. की गारंटी को किसानों का अधिकार बनाने सहित 6 मांगें और पूरी न होने तक घरों को न जाने की घोषणा कर दी तथा कहा कि इन काले कानूनों को रद्द करना इस आंदोलन की एकमात्र मांग नहीं है। 

उनकी अन्य मांगों में विद्युत अधिनियम संशोधन विधेयक 2020-21 वापस लेना, वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए किसानों को (पराली जलाना) सजा का प्रावधान हटाना, दर्ज मुकद्दमे वापस लेना, आंदोलन में शहीद होने वाले 700 किसानों के मुआवजे और पुनर्वास की व्यवस्था करना आदि शामिल हैं। और अब 29 नवम्बर को प्रधानमंत्री की 19 नवम्बर की घोषणा के अनुरूप सरकार ने विपक्षी दलों के विरोध और हंगामे के बावजूद संसद के शीतकालीन अधिवेशन के पहले ही दिन बिना चर्चा के ध्वनिमत से ‘कृषि विधि निरसन विधेयक-2021’ को पारित करके तीनों विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लेने की प्रक्रिया पूरी कर दी। 

संसद में कृषि कानून वापसी का विधेयक पारित होने की खबर सुनने के बाद भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि किसानों की मांगों को लेकर किसान यूनियनों का आंदोलन जारी रहेगा और आंदोलन की नई रूपरेखा 4 दिसम्बार के बाद तय की जाएगी। इसी बीच कुछ किसान संगठनों ने 1 दिसम्बर को भी अपनी बैठक बुलाई है। उन्होंने कहा कि फिलहाल किसान राजधानी की ओर ट्रैक्टर मार्च नहीं निकालेंगे। किसान नेताओं का कहना है कि किसानों का आंदोलन समाप्त करना या जारी रखना अब सरकार के हाथ में है तथा बाकी मांगें पूरी होने से पहले वे यहां से नहीं जाएंगे। 

बहरहाल अब जबकि सरकार ने संसद के शीतकालीन अधिवेशन के पहले ही दिन कृषि कानून वापस लेने की प्रक्रिया शुरू करने का अपना वादा निभा दिया है, सरकार और किसानों को आपस में मिल-बैठकर बाकी मांगों पर विचार-विमर्श करके इस समस्या के जल्द से जल्द समाधान की ओर बढऩा चाहिए। इससे सरकार और किसानों दोनों की बात रह जाएगी और देश का माहौल शांत होगा।—विजय कुमार   

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