अनुभवी कमल (मध्य प्रदेश) व गहलोत (राजस्थान) को कमान सौंपने का कांग्रेस का सही निर्णय

Edited By Pardeep,Updated: 15 Dec, 2018 03:59 AM

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11 दिसम्बर को 3 हिन्दी भाषी राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के चुनावों में कांग्रेस ने भाजपा को पछाड़ कर जीत तो प्राप्त कर ली परंतु जीत के बाद मुख्यमंत्री के पद को लेकर पार्टी में घमासान शुरू हो गया। इस पर काबू पाने में न सिर्फ राहुल...

11 दिसम्बर को 3 हिन्दी भाषी राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के चुनावों में कांग्रेस ने भाजपा को पछाड़ कर जीत तो प्राप्त कर ली परंतु जीत के बाद मुख्यमंत्री के पद को लेकर पार्टी में घमासान शुरू हो गया। इस पर काबू पाने में न सिर्फ राहुल गांधी को भारी मशक्कत करनी पड़ी बल्कि राहुल गांधी की इस मामले में सहायता के लिए अन्यों के अलावा सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी को भी आगे आना पड़ा। 

12 और 13 दिसम्बर के पूरे दो दिन इसी कसरत में गुजर गए। 13 दिसम्बर को दिनभर राहुल गांधी के आवास पर चली बैठकों के बाद कांग्रेस नेतृत्व मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद के दूसरे दावेदार ज्योतिरादित्य सिंधिया को समझाने में सफल हो गया और देर रात मध्य प्रदेश की कमान अधिक अनुभवी कमलनाथ को सौंपने की घोषणा कर दी गई। इस बीच दिल्ली में राजस्थान और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्रियों के चयन के लिए विचार-विमर्श के दौरान राजस्थान में मुख्यमंत्री पद के दो दावेदारों में से एक, पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अशोक गहलोत के बंगले पर उनके समर्थकों ने बधाई के पोस्टर चिपका दिए तथा उनके समर्थन में प्रदर्शन किया। दूसरी ओर मुख्यमंत्री पद के दूसरे दावेदार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट के समर्थकों ने भी ‘सचिन-सचिन’ के नारे लगाते हुए विभिन्न स्थानों पर प्रदर्शन और बसों में कथित रूप से तोड़-फोड़ भी की। 

राजस्थान के अलावा छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री का चुनाव करने में भी कांग्रेस नेतृत्व की भारी माथापच्ची जारी रही। यहां पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष भूपेश बघेल, नेता प्रतिपक्ष रहे टी.एस. सिंहदेव, ताम्रध्वज साहू और पूर्व प्रदेशाध्यक्ष चरण दास महंत मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल हैं। 13 दिसम्बर देर रात राहुल गांधी ने छत्तीसगढ़ के विधायकों की राय भी जानी मगर जब फैसला देर रात तक भी नहीं हो पाया तो राजस्थान के साथ ही छत्तीसगढ़ का मामला भी टाल दिया गया। माना जा रहा था कि 14 दिसम्बर को राजस्थान के साथ ही छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री की घोषणा भी होगी जो 14 दिसम्बर देर रात या 15 दिसम्बर को संभावित है। 14 दिसम्बर शुक्रवार को भी राजस्थान के सी.एम. के मुद्दे पर राहुल गांधी के निवास पर गहलोत, सचिन व अन्यों में मंथन चलता रहा तथा शाम 4.30 बजे मुख्यमंत्री की घोषणा करने का समय तय किया गया।  दोनों नेताओं के साथ बैठक के बाद राहुल गांधी ने अशोक गहलोत और सचिन पायलट के साथ मुस्कुराती हुई फोटो ट्वीट की और इसके साथ उन्होंने लिखा, ‘‘युनाइटेड कलर्स आफ राजस्थान’’।

अंतत: शाम के 4.30 बजे से कुछ पहले ही कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कार्यकत्र्ताओं और विधायकों से फीडबैक लेने के बाद अधिक अनुभवी अशोक गहलोत को राजस्थान का मुख्यमंत्री और युवा शक्ति के प्रतीक सचिन पायलट को उप-मुख्यमंत्री के रूप में चुन कर राजस्थान की सत्ता पर छाया हुआ सस्पैंस समाप्त कर दिया। सूत्रों के अनुसार सचिन पायलट पहले अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बनाए जाने पर सहमत नहीं थे परंतु बाद में आलाकमान ने उन्हें राजी कर लिया। इस बारे आयोजित प्रैस कांफ्रैंस में बताया गया कि सभी विधायकों और नेताओं से चर्चा के बाद आम सहमति से फैसला लिया गया है। इस दौरान अशोक गहलोत ने कहा कि उनकी सरकार राजस्थान को अच्छा शासन देगी, किसानों की कर्ज माफी होगी, युवाओं को रोजगार और जनता को सुशासन मिलेगा। शपथ ग्रहण समारोह 17 दिसम्बर को आयोजित होगा। 

अशोक गहलोत को राजस्थान की सत्ता सौंप कर कांग्रेस नेतृत्व ने पूर्ण रूप से संतुलित और सही निर्णय किया है। तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने जा रहे अशोक गहलोत के पास कुदरती तौर पर सचिन पायलट की तुलना में अधिक अनुभव है और उनके साथ डिप्टी के रूप में सचिन पायलट की युवा शक्ति के सुमेल से ये दोनों नेता प्रदेश को आगे ले जाने में सफल होंगे। अब यह इस पर निर्भर करेगा कि दोनों ही नेता आपस में कितना तालमेल बनाकर चलते हैं और कैसा प्रशासन देते हैं।—विजय कुमार  

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