अपराधियों को पकड़ने में सहायक दिल्ली पुलिस की ‘आंख और कान’ योजना

Edited By ,Updated: 06 Apr, 2019 03:18 AM

delhi police s aankh and kan scheme to help the criminals catch

अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए जनता का सहयोग आवश्यक होता है। भले ही पुलिस अपनी ओर से अपराधों पर लगाम लगाने का कितना ही प्रयास क्यों न करे लेकिन वह भी अपराधों को जड़ से तभी समाप्त कर सकती है यदि आम जनता उसे अपना पूरा सहयोग दे। इसी को ध्यान में रखते...

अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए जनता का सहयोग आवश्यक होता है। भले ही पुलिस अपनी ओर से अपराधों पर लगाम लगाने का कितना ही प्रयास क्यों न करे लेकिन वह भी अपराधों को जड़ से तभी समाप्त कर सकती है यदि आम जनता उसे अपना पूरा सहयोग दे। इसी को ध्यान में रखते हुए दिल्ली पुलिस ने 2008 में ‘आंख और कान’ नामक योजना शुरू की जिसके अंतर्गत आम लोगों में से ‘वालंटियरों’ की दी हुई सूचनाओं के आधार पर अपराधियों को पकड़ कर अपराधों पर अंकुश लगाने की कोशिश की जा रही है। 

दिल्ली पुलिस के अतिरिक्त प्रवक्ता अनिल मित्तल के अनुसार ‘आंख और कान’ योजना के अंतर्गत कोई केस सुलझने पर संबंधित वालंटियर को केस की प्रवृत्ति के अनुसार 5 से 10 हजार रुपए तक नकद पुरस्कार देने के अलावा उसे सम्मानित भी किया जाता है। इस योजना के अंतर्गत प्रतिदिन ‘बीट कांस्टेबल’ वालंटियरों से भेंट करने के अलावा फोन पर भी उनके संपर्क में रहते हैं। वे थानेदारों तथा सहायक पुलिस कमिश्नरों के साथ भी साप्ताहिक एवं मासिक बैठकें करते हैं। 

दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता मधुर वर्मा के अनुसार इस योजना से राजधानी के अनेक क्षेत्रों में अपराधों को रोकने या उनका पता लगाने में सहायता मिलने के अलावा लगभग 65 प्रतिशत केस सुलझाने में सहायता मिली है जिनमें हत्या, बलात्कार, डकैती, चोरी और छीनाझपटी के अलावा अन्य छिटपुट मामले शामिल हैं। डी.सी.पी. (उत्तर) नुपूर प्रसाद के अनुसार इस वर्ष उनकी टीम ने ‘आंख और कान’ योजना के सदस्यों द्वारा प्रदत्त सूचनाओं के आधार पर फौजदारी के 15 केस सुलझाए। उनका कहना है कि ‘‘ये वालंटियर ही हमारी असली आंखें और कान हैं जो हमें अपराधों के मामले सुलझाने के अलावा इन्हें रोकने या पकडऩे में भी सहायता देते हैं। हमें इस मामले में वालंटियरों को अधिक जागरूक व प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है।’’

इस कार्यक्रम के अंतर्गत भर्ती वालंटियरों की संख्या बढ़ कर 95,000 हो गई है जिनमें रेहड़ी वाले, फड़ी लगाने वाले, रिक्शा चालक, गार्ड, हज्जाम और वाहनों के पार्किंग स्थलों पर काम करने वाले सामान्य कर्मचारी शामिल हैं। यह कार्यक्रम शुरू करने के पहले ही वर्ष में वालंटियरों द्वारा प्रदान की गई सूचना के आधार पर कालका जी में एक व्यापारी की हत्या के मामले सहित विभिन्न प्रकार के अपराधों के 310 केस सुलझाए गए। गत वर्ष इस कार्यक्रम के अंतर्गत वालंटियरों द्वारा बीट कांस्टेबलों एवं मध्य स्तर के पुलिस कर्मियों को दी गई सूचना के आधार पर 1000 के लगभग केसों की गुत्थी सुलझाई गई जबकि इस वर्ष अभी तक 150 केस सुलझाने में दिल्ली पुलिस को सफलता मिली है।

दिल्ली पुलिस के एक सहायक कमिश्नर का कहना है कि इस समय जबकि राजधानी में अपराध तेजी से बढ़ रहे हैं ‘इन चौकीदारों’ द्वारा प्रतिदिन दी जाने वाली सूचनाएं हमारे काम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। विशेष रूप से उस स्थिति में जब हमारे सामने कोई अंधा केस हो। पंजाबी बाग इलाके में 45 पेटी शराब के साथ एक कार कब्जे में लेने के अलावा एक तस्कर को गिरफ्तार करवाने में इसी इलाके के छोले-भठूरे बेचने वाले बब्बू यादव द्वारा पुलिस को दी गई सूचना बहुत काम आई। रोहिणी में एक वालंटियर की सहायता से 2 कुख्यात अपराधी पकड़े गए और न्यू अशोक नगर से लापता चार वर्ष का बच्चा बरामद किया गया। 

7 वर्षीय एक अपहृत बच्चा लोधी कालोनी से बरामद किया गया। एक वालंटियर ने छुरेबाजी की एक घटना के संबंध में समय पर पुलिस को सूचित करके अभियुक्त को पकड़वाया।कुल मिलाकर दिल्ली पुलिस की ‘आंख और कान’ योजना के अंतर्गत सेवा दे रहे वालंटियर अपराधों की रोकथाम करने में काफी उपयोगी सिद्ध हो रहे हैं। अत: अन्य राज्यों की पुलिस को भी इस तरह के वालंटियर तैयार करके अपराध रोकने की दिशा में प्रयास करना चाहिए। इससे वहां अपराधों  पर काबू पाने में कुछ सहायता अवश्य मिलेगी।—विजय कुमार  

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