Edited By ,Updated: 13 Dec, 2023 05:22 AM
हालांकि सरकार ने घरेलू कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए चंद कानूनी प्रावधान कर रखे हैं, परंतु इसके बावजूद घरेलू नौकरों तथा उनके रिश्तेदारों को भी अपने मालिकों के हाथों तरह-तरह के उत्पीडऩ और अत्याचारों का शिकार होना पड़ रहा है। ऐसे ही कुछ उदाहरण निम्न...
हालांकि सरकार ने घरेलू कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए चंद कानूनी प्रावधान कर रखे हैं, परंतु इसके बावजूद घरेलू नौकरों तथा उनके रिश्तेदारों को भी अपने मालिकों के हाथों तरह-तरह के उत्पीडऩ और अत्याचारों का शिकार होना पड़ रहा है। ऐसे ही कुछ उदाहरण निम्न में दर्ज हैं :
* 9 फरवरी, 2023 को गुरुग्राम (हरियाणा) में पुलिस ने घरेलू सहायिका के तौर पर काम करने वाली 17 वर्षीया किशोरी को प्रताडि़त करने, उसके शरीर को गर्म चिमटे से दागने, बेरहमी से डंडे से पिटाई करने और कई-कई दिनों तक भूखा रखने के आरोप में एक दम्पति को गिरफ्तार किया। इलाज के लिए गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती करवाई गई यह किशोरी डस्टबिन से खाना उठाकर अपनी भूख मिटाती थी। उसके हाथ-पैर और चेहरे पर चोटों के कई निशान पाए गए। झारखंड की रांची निवासी इस किशोरी को प्लेसमैंट एजैंसी के जरिए नौकरी पर रखा गया था।
* 20 जुलाई, 2023 को दक्षिण-पश्चिम दिल्ली के द्वारका में घरेलू नौकर के तौर पर काम करने वाली एक 10 वर्षीय नाबालिग लड़की के उत्पीडऩ और उसके साथ मारपीट करके उसके चेहरे तथा शरीर के अन्य भागों पर घाव कर देने के आरोप में एक दम्पति को पुलिस ने गिरफ्तार किया।
इससे पहले आरोपी दम्पति द्वारा बच्ची पर अत्याचार करने का पता चलने पर इलाके के लोगों ने पहले तो आरोपी महिला को उसके घर की दहलीज से बाल पकड़ कर खींचा और फिर सड़क पर लाकर पीटना शुरू कर दिया। महिला को बचाने आए उसके पति के साथ भी मारपीट की गई।
* 26 सितम्बर, 2023 को पालघर (महाराष्ट्र) के ‘खमलौली’ गांव में मवेशियों की देखभाल करने वाले 13 वर्षीय बालक के देर से काम पर आने पर उसकी बेरहमी से पिटाई करने के आरोप में राजेंद्र सीताराम पटेल नामक व्यक्ति के विरुद्ध बाल श्रम निषेध अधिनियम, बंधुआ श्रम प्रणाली (उन्मूलन) अधिनियम आदि धाराओं के अंतर्गत केस दर्ज किया गया।
जब इस मातृविहीन बालक का टी.बी. से पीड़ित पिता राजेंद्र सीताराम पटेल के पास शिकायत लेकर गया तो उसने उसके साथ भी दुर्व्यवहार किया।
* और अब 10 दिसम्बर, 2023 को गुरुग्राम (हरियाणा) के सैक्टर-57 में एक परिवार द्वारा 13 वर्षीय घरेलू सहायिका को बंधक बनाकर रखने, अक्सर लोहे की छड़ और हथौड़े से पीटने, दिन में केवल एक बार भोजन देने, मुंह पर टेप लगाकर कुत्ते से कटवाने (ताकि वह शोर न मचा सके) और महिला के दो बेटों द्वारा उसे अपने कपड़े उतारने के लिए मजबूर करने तथा गलत तरीके से छूने का मामला सामने आया है। यहीं पर बस नहीं, आरोपी पीड़ित लड़की के हाथों पर तेजाब डालते और किसी को बताने पर मार डालने की धमकी भी देते थे।
पीड़िता की मां द्वारा पुलिस में दर्ज करवाई गई शिकायत के अनुसार लड़की के आरोपी परिवार के साथ रहने और 9000 रुपए मासिक वेतन देने की बात हुई थी, परन्तु यह राशि लड़की की मां को केवल 2 महीने ही दी गई। पीड़िता की मां के अनुसार वह कई बार अपनी बेटी से मिलने आई पर न तो उसे अपनी बेटी से मिलने और न ही फोन पर बात करने दी गई। उक्त घटनाओं से स्पष्ट है कि घरों में काम करने वाले नौकर अपने मालिकों के हाथों किस कदर असुरक्षित हैं और साधन-सम्पन्न लोग किस प्रकार उनकी मजबूरी का अनुचित लाभ उठा रहे हैं। केवल यही घटनाएं नहीं हैं, समय-समय पर ऐसी घटनाएं होती रहती हैं, जो प्रकाश में नहीं आ पातीं। यह नैतिक और कानूनी दोनों ही लिहाज से घोर आपत्तिजनक और अक्षम्य अपराध है, जिस पर रोक लगाने के लिए घरेलू हिंसा निवारण कानूनों को सख्त बनाने, ऐसे मामलों का स्वत: संज्ञान लेकर तत्काल कार्रवाई करने और दोषियों को कठोरतम दंड देने की आवश्यकता है।—विजय कुमार