देश में आर्थिक सुस्ती की मार से रोजगार के अवसर प्रभावित

Edited By ,Updated: 28 Jan, 2020 03:33 AM

employment opportunities affected due to economic slowdown in the country

एक ओर भारत केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए चंद पगों-धारा 370 के अधिकांश प्रावधानों को समाप्त करने, नया नागरिकता कानून सी.ए.ए. लाने तथा प्रस्तावित एन.आर.सी. के विरुद्ध प्रदर्शनों के कारण वैश्विक लोकतंत्र की रैंकिंग में 10 स्थान लुढ़क कर 51वें स्थान पर आ...

एक ओर भारत केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए चंद पगों-धारा 370 के अधिकांश प्रावधानों को समाप्त करने, नया नागरिकता कानून सी.ए.ए. लाने तथा प्रस्तावित एन.आर.सी. के विरुद्ध प्रदर्शनों के कारण वैश्विक लोकतंत्र की रैंकिंग में 10 स्थान लुढ़क कर 51वें स्थान पर आ गया है तो दूसरी ओर अर्थव्यवस्था में आई सुस्ती के चलते देश में असंतोष तथा अस्थिरता में वृद्धि हो रही है जो देश के हालात से जाहिर है। 

आर्थिक मंदी के कारण रोजगार सृजन बुरी तरह प्रभावित होने से चालू वित्त वर्ष में नई नौकरियों के मौके पैदा ही नहीं हुए। इससे विभिन्न राज्यों असम, बिहार, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, ओडिशा आदि से नौकरी के लिए दूसरे राज्यों में गए लोगों द्वारा अपने घर भेजे जाने वाले धन में भी भारी कमी आई है। अत्यंत विश्वसनीय माने जाने वाले थिंक टैंक ‘सैंटर फार मॉनीटरिंग इंडियन इकोनॉमी’(सी.एम.आई.ई.) के अनुसार मई-अगस्त 2017 में देश में बेरोजगारी की दर 3.8 प्रतिशत थी जो सितम्बर-दिसम्बर 2019 के चार महीनों में 7.5 प्रतिशत के उच्च स्तर तक पहुंच गई है।

रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘ग्रामीण भारत की तुलना में शहरी भारत में बेरोजगारी की दर अधिक है तथा बड़ी संख्या में शिक्षित युवक बेरोजगार बैठे हैं।’’ इसी कारण देश में रोजगार के अवसर न होने के कारण बड़ी संख्या में पंजाब तथा दूसरे राज्यों से युवक विदेशों को पलायन करते जा रहे हैं और रोजगार के मामले में ‘एक अनार सौ बीमार’ वाली स्थिति पैदा हो गई है। 

यह इसी से स्पष्ट है कि हाल ही में महाराष्ट्र सरकार द्वारा विज्ञापित कांस्टेबलों के 8000 पदों के लिए 12 लाख आवेदन तथा जम्मू-कश्मीर में स्थापित की जाने वाली पुलिस की 2 महिला बटालियनों में कांस्टेबल रैंक के 1350 पदों पर भर्ती के लिए 21,000 से अधिक महिलाओं के आवेदन प्राप्त हुए। यह स्थिति आर्थिक मंदी से रोजगार के मोर्चे पर पैदा हुई अत्यंत निराशाजनक तस्वीर पेश करती है, लिहाजा सरकार को देखना होगा कि देश में मंदी और महंगाई की लहर को रोक कर रोजगार के नए अवसर सृजित करने के लिए क्या कुछ किया जा सकता है। 

लिहाजा जिस प्रकार महाराष्ट्र सरकार ने 27 जनवरी से बांद्रा-कुर्ला काम्प्लैक्स और नरीमन प्वाइंट जैसे गैर आवासीय क्षेत्रों में 24 घंटे मॉल, मल्टीप्लैक्स और दुकानें खोलने की अनुमति दी है, उसी प्रकार अन्य राज्यों में भी ऐसी ही अनुमति दी जानी चाहिए जिससे रोजगार के अवसर पैदा होंगे। कुछ समय पूर्व पंजाब के व्यापारी भी ऐसी ही मांग कर चुके हैं। इस समस्या से निपटने के लिए युवाओं को आसान शर्तों पर ऋण एवं अन्य सुविधाएं प्रदान करके स्वरोजगार के लिए प्रेरित करना भी एक अच्छा विकल्प हो सकता है।—विजय कुमार 

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