अब ‘नकली सिक्के’ बनाने की फैक्टरियां चल रही हैं भारत में

Edited By ,Updated: 05 Oct, 2016 12:10 AM

fake coins factory

भारत में मुंबई, अलीपुर (कोलकाता), सैफाबाद (हैदराबाद), शेरलापल्ली (हैदराबाद) तथा नोएडा (उत्तर प्रदेश) ...

भारत में मुंबई, अलीपुर (कोलकाता), सैफाबाद (हैदराबाद), शेरलापल्ली (हैदराबाद) तथा नोएडा (उत्तर प्रदेश) स्थित भारत सरकार की टकसालों में ही सिक्कों की ढलाई होती है परंतु अब नकली ‘कागजी करंसी’ की भांति ही अपराधी तत्व नकली ‘सिक्कों’ की फैक्टरियां भी लगाने लगे हैं।

हाल ही में पुलिस ने बाहरी दिल्ली में स्थित बवाना इंडस्ट्रीयल एरिया में 5 और 10 रुपए मूल्य के असली सिक्कों से हू-ब-हू मेल खाते नकली सिक्के बनाने की एक फैक्टरी का पता लगाकर वहां से लगभग 6 लाख रुपए से अधिक राशि के 1 लाख नकली सिक्के बरामद किए हैं।

इस फैक्टरी का खुलासा 2 अक्तूबर को हुआ जब रोहिणी में एक पुलिस चौकी पर वाहनों की जांच के दौरान नरेश कुमार नामक व्यक्ति को शक के आधार पर पूछताछ के लिए रोका गया तथा उसकी कार से कुल 40,000 रुपए मूल्य के नकली सिक्कों के 20 पैकेट बरामद किए गए। वह 2014 से कमीशन पर नकली सिक्कों के डिस्ट्रीब्यूटर का काम करता आ रहा है।

फैक्टरी के मैनेजर राजेश कुमार को भी पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है तथा इस धंधे के मास्टर माइंड भाइयों राजू और सोनू की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी जारी है। पुलिस ने छापा मार कर नकली सिक्के बनाने में इस्तेमाल होने वाली मशीनें, डाइयां, तरह-तरह के पाइप, पॉलिश, धातु और अन्य कैमिकल आदि जब्त करके इस बात की जांच भी शुरू कर दी है कि अभियुक्त इन सिक्कों को बनाने के लिए कच्चा सामान कहां से प्राप्त करते थे? दिल्ली के डिप्टी कमिश्रर ऑफ पुलिस (आऊटर) एम.एन. तिवारी का कहना है कि‘‘इन सिक्कों के निर्माण में वही सामग्री इस्तेमाल की गई जो असली सिक्कों के निर्माण में की जाती है।’’ 

‘‘इनकी रंगत और स्टैंपिंग भी बिल्कुल असली सिक्कों जैसी है जिस कारण असली और नकली सिक्कों में अंतर कर पाना लगभग असंभव है। राजू और सोनू की गिरफ्तारी के बाद ही इस बात का पता लग पाएगा कि इन सिक्कों के निर्माण पर कितनी लागत आती थी।’’

बवाना इंडस्ट्रीयल एरिया के एक बेसमैंट में यह फैक्टरी अभियुक्तों ने 4 महीने पहले ही शुरू की थी जहां इन्होंने भारी-भरकम मशीनें लगा रखी थीं और इस अवधि में वे संभवत: 10 लाख रुपए के नकली सिक्के टोल बूथों, करियाना व्यापारियों, पैट्रोल पंपों, सब्जी के व्यापारियों आदि के माध्यम से बाजार में दाखिल कर चुके हैं।

राजेश कुमार के अनुसार राजू और सोनू अपने डिस्ट्रीब्यूटरों को अच्छा-खासा कमीशन देते थे। इन लोगों ने अत्यंत ऊंचे वेतन का लालच देकर 10  कारीगरों को पिछले 4 महीनों से अपनी फैक्टरी में लगभग बंधकों की तरह  रखा हुआ था, जिन्हें उनके परिवार के सदस्यों से भी मिलने नहीं दिया जाता था। ये कारीगर लगातार नकली सिक्कों की ढलाई करते रहते थे परंतु लोगों को यह बताया गया था कि वहां निर्यात के लिए नट-बोल्ट बनाए जाते हैं।

उल्लेखनीय है कि 1, 2, 5 और 10 रुपयों की कागजी मुद्रा की छपाई घटने से बाजार में उक्त राशि के सिक्कों की मांग बहुत बढ़ गई है परंतु सरकार द्वारा पर्याप्त मात्रा में आपूर्ति न कर पाने के कारण समाज विरोधी तत्व जाली कागजी करंसी के साथ-साथ जाली सिक्कों के निर्माण में भी कूद पड़े हैं। छोटी राशि के होने के कारण इनकी प्रामाणिकता पर लोग आमतौर पर ध्यान ही नहीं देते और ये आसानी से बाजार में ‘चल’ भी जाते हैं।

अभी तो मात्र नकली सिक्कों की एक फैक्टरी का ही पता चला है। हो सकता है कि ऐसी और फैक्टरियां भी भारत में चल रही हों जो भारतीय अर्थव्यवस्था की जड़ें खोद रही हों। यह स्थिति जहां भारत सरकार के लिए चिंता का विषय है वहीं खेद की बात भी है कि सरकार न सिर्फ देश में छोटी राशि के नोटों और सिक्कों की लगातार चली आ रही कमी दूर करने में विफल है बल्कि इनकी कालाबाजारी तथा अवैध निर्माण को रोकने में भी असफल सिद्ध हो रही है।            
    —विजय कुमार

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!