Edited By ,Updated: 14 May, 2023 03:45 AM
स्वर्गीय संतोख सिंह चौधरी (कांग्रेस) के अचानक निधन के कारण खाली हुई जालंधर लोकसभा सीट पर उपचुनाव के लिए कांग्रेस ने उनकी पत्नी करमजीत कौर को, ‘आप’ ने सुशील रिंकू, भाजपा ने इंदर इकबाल सिंह अटवाल, शिअद-बसपा गठबंधन ने डा. सुखविंदर कुमार सुक्खी को चुनाव...
स्वर्गीय संतोख सिंह चौधरी (कांग्रेस) के अचानक निधन के कारण खाली हुई जालंधर लोकसभा सीट पर उपचुनाव के लिए कांग्रेस ने उनकी पत्नी करमजीत कौर को, ‘आप’ ने सुशील रिंकू, भाजपा ने इंदर इकबाल सिंह अटवाल, शिअद-बसपा गठबंधन ने डा. सुखविंदर कुमार सुक्खी को चुनाव मैदान में उतारकर जीत के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाया।
पूर्व कांग्रेस विधायक एवं पार्षद रहे सुशील रिंकू का परिवार गत 45 वर्षों से कांग्रेस से जुड़ा हुआ था तथा इनके पिता भी 2 बार कांग्रेस के पार्षद रहे। सुशील रिंकू कांग्रेस का टिकट न मिलने के कारण पार्टी से कुछ नाराज थे अत: मतदान से लगभग एक मास पूर्व अचानक 5 अप्रैल को बड़ी संख्या में अपने साथियों और सहयोगियों के साथ वह ‘आप’ में शामिल हो गए और ‘आप’ नेतृत्व ने उन्हें फौरन ही अपना उम्मीदवार बना लिया। इसके बाद भाजपा नेता चुन्नी लाल भगत के पुत्र महिंद्र भगत ने भी ‘आप’ का दामन थाम लिया, जबकि इससे पहले भी कांग्रेस के अनेक नेता पार्टी को छोड़ कर ‘आप’ तथा भाजपा में जा चुके हैं।
उल्लेखनीय है कि जालंधर सीट पर ज्यादातर कांग्रेस का ही कब्जा रहा है तथा रिंकू की नाराजगी कांग्रेस को महंगी पड़ी और वह 3,02,279 वोट लेकर जीत गए, जबकि करमजीत कौर (कांग्रेस) 2,43,588 वोट लेकर दूसरे स्थान पर व 1,58,445 वोट लेकर शिअद के डा. सुखविंदर सुक्खी तीसरे स्थान पर रहे। बेशक तकनीकी तौर पर यह ‘आप’ की ही जीत है परंतु इसे कांग्रेस की जीत भी कहा जा सकता है। इस पराजय के बाद कांग्रेस के नेतृत्व को पार्टी में व्याप्त असंतोष दूर करने बारे सोचना चाहिए। इसी वर्ष राजस्थान में भी चुनाव होने वाले हैं और वहां भी कांग्रेस सरकार के विरुद्ध कांग्रेस के ही पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने संघर्ष के अंतर्गत पदयात्रा शुरू कर रखी है। अत: समय रहते कांग्रेस नेतृत्व को वहां की समस्या का शीघ्र समाधान करना चाहिए।—विजय कुमार