नहीं थम रहे महिलाओं के विरुद्ध अपराध आई.टी.बी.पी. की महिला अधिकारी का शोषण

Edited By ,Updated: 24 Oct, 2019 12:35 AM

itbp crime against women not stopping exploitation of female officers

राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के अनुसार देश में वर्ष 2017 से लगातार तीसरे वर्ष महिलाओं के विरुद्ध अपराधों में वृद्धि दर्ज की गई है। दूध पीती मासूम बच्चियों से लेकर 80-80 वर्ष की बुजुर्ग माताएं भी सुरक्षित नहीं हैं। सामान्य एवं श्रमजीवी वर्ग और...

राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के अनुसार देश में वर्ष 2017 से लगातार तीसरे वर्ष महिलाओं के विरुद्ध अपराधों में वृद्धि दर्ज की गई है। दूध पीती मासूम बच्चियों से लेकर 80-80 वर्ष की बुजुर्ग माताएं भी सुरक्षित नहीं हैं। सामान्य एवं श्रमजीवी वर्ग और तथाकथित उच्च वर्ग की महिलाएं समान रूप से यौन अपराधों की शिकार हो रही हैं। 

पत्रकार तरुण तेजपाल पर उनकी महिला सहकर्मी ने गोवा के एक पांच सितारा होटल की लिफ्ट में उसका यौन शोषण करने का आरोप लगाया तो अभिनेत्री तनुश्री दत्ता ने नाना पाटेकर पर एक फिल्म की शूटिंग के दौरान उन्हें गलत ढंग से छूने का आरोप लगाया और केंद्रीय विदेश राज्यमंत्री एम.जे. अकबर पर यौन शोषण के आरोप लगने पर उन्हें मंत्री पद से हाथ धोने पड़े। 

और अब इंडो-तिब्बत बार्डर पुलिस की डिप्टी कमांडैंट रैंक की डिप्टी जज अटार्नी जनरल करुणाजीत कौर ने 17 अक्तूबर को अपने पद से त्यागपत्र देने के बाद एक प्रैस कांफ्रैंस में महिला अधिकारियों के प्रति पुरुष अधिकारियों के बुरे रवैए और असुरक्षित स्थितियों पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि ‘‘यहां अधिकारी महिलाओं को मनोरंजन का साधन ही समझते हैं और उनका शारीरिक शोषण होता है।’’ 

करुणाजीत के अनुसार उन्हें 9 जून को उत्तराखंड के मलारी में एक महिला डाक्टर के साथ ड्यूटी के सिलसिले में भेजा गया जहां उन्हें ठहरने के लिए जो छोटा सा कमरा दिया गया उसके दरवाजे पर अंदर वाली कुंडी भी नहीं थी। रात पौने बारह बजे एक कांस्टेबल ने उनके कमरे में बुरी नीयत से घुसने की कोशिश की जिसे उन्होंने पूरी ताकत लगाकर अंदर घुसने से रोका। वह चिल्ला रहा था कि 2 वर्ष से उसने किसी औरत को नहीं छुआ है। 

करुणाजीत कौर ने आरोप लगाया कि जब वरिष्ठ अधिकारियों से बात करने की उनकी कोशिशों को मलारी चौकी के सहायक कमांडैंट ने नाकाम कर दिया तो वह भारतीय सेना की सिग्नल कोर के अधिकारियों की सहायता से अपने उच्चाधिकारियों को फोन कर पाईं लेकिन आई.टी.बी.पी. बटालियन का सी.ओ. उस समय नशे में था और ठीक से बोल भी नहीं पा रहा था।

करुणाजीत ने कहा ‘‘बाद के दिनों में इस घटना को दबाने की योजनाबद्ध कोशिशें हुईं और यहां तक कि जब मैं आई.टी.बी.पी. के डायरैक्टर जनरल से मिली तो उन्होंने भी मेरी सहायता नहीं की।’’ करुणाजीत के अनुसार उन्होंने तथा महिला डाक्टर ने उत्तराखंड पुलिस में शिकायत की है। हालांकि आई.टी.बी.पी. के लोक संपर्क अधिकारी विवेक पांडे ने इन आरोपों का खंडन किया है परंतु यह घटनाक्रम दर्शाता है कि आज भी देश में महिलाओं को सुरक्षित वातावरण उपलब्ध नहीं है-चाहे वे घर में हों, दफ्तर में या कहीं और।—विजय कुमार   

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