आम आदमी पार्टी में बड़ा धमाका संस्थापक सदस्य द्वारा केजरीवाल पर रिश्वत लेने का आरोप

Edited By ,Updated: 07 May, 2017 09:58 PM

kejriwal charged with bribery by founder member of aam aadmi party

वैचारिक मतभेदों के आधार पर गांधीवादी समाजसेवी अन्ना हजारे से अलग होकर अरविन्द केजरीवाल .....

वैचारिक मतभेदों के आधार पर गांधीवादी समाजसेवी अन्ना हजारे से अलग होकर अरविन्द केजरीवाल ने शांति भूषण, प्रशांत भूषण, योगेंद्र यादव, मनीष सिसोदिया और किरण बेदी आदि को साथ लेकर 2 अक्तूबर, 2012 को ‘आम आदमी पार्टी’ (आप) का गठन किया था परंतु जल्दी ही मतभेदों के कारण इसके अनेक महत्वपूर्ण सदस्य पार्टी छोड़ गए। 

तमाम विवादों के बावजूद दिल्ली में 2015 के चुनावों में 70 में से 67 सीटें जीत कर केजरीवाल दोबारा मुख्यमंत्री तो बने परंतु कुछ ही समय बाद पार्टी में फिर उनके विरुद्ध आवाजें उठने लगीं। शांति भूषण, प्रशांत भूषण व योगेंद्र यादव ने उन पर अनेक आरोप लगाए जिस पर केजरीवाल ने उन्हें भी पार्टी से निकाल दिया।पंजाब के लोकसभा चुनावों में 4 सीटें जीत कर पैर जमा रही पार्टी में भी जल्दी ही विद्रोह के स्वर उभरने लगे और इस तरह के घटनाक्रम के बीच अपने विस्तारवादी कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए केजरीवाल ने पंजाब तथा गोवा के विधानसभा और दिल्ली नगर निगम के चुनाव लड़े। इनमें ‘आप’ की कमर तोड़ पराजय के बाद जहां पार्टी के अनेक नेताओं ने अपने पदों से त्यागपत्र दे दिए वहीं दबे स्वर में केजरीवाल की कार्यशैली के विरुद्ध पार्टी में विद्रोह के स्वर तेज होने के अलावा यह आवाज भी उठने लगी कि उन्हें पार्टी के संयोजक पद से त्यागपत्र दे देना चाहिए। 

पार्टी में मचे कोहराम के बीच जहां पार्टी के वरिष्ठï नेता कुमार विश्वास ने पार्टी की चुनाव रणनीति पर प्रश्र उठाए तो दूसरी ओर विधायक अमानतुल्ला खां ने कुमार विश्वास पर पार्टी हड़पने की कोशिश करने का आरोप लगा दिया। विधायक अमानतुल्ला को निलंबित करके केजरीवाल ने ‘आप’ पर छाया संकट टालने की कोशिश की थी कि एकाएक 6 मई को पार्टी में एक और बवाल उठ खड़ा हुआ तथा अरविंद केजरीवाल ने कुमार विश्वास के प्रबल समर्थक कपिल मिश्रा को जल संसाधन मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया। 

कपिल मिश्रा का कहना है कि उन्हें सूचित किए बिना ही प्रैस के माध्यम से यह आदेश दिया गया है तथा उन्होंने 5 मई को टैंकर घोटाले को लेकर भ्रष्टïाचार निरोधक शाखा को पत्र लिख कर टैंकर माफिया के विरुद्ध तत्काल कार्रवाई करने की मांग की थी। 7 मई  को कपिल मिश्रा ने संवाददाता सम्मेलन में पत्रकारों से बात करते हुए अपनी ही कैबिनेट के दूसरे मंत्री सत्येंद्र जैन से रिश्वत लेने का अरविंद केजरीवाल पर आरोप लगाते हुए कहा है, ‘‘मैंने अपनी आंखों से देखा कि सत्येंद्र जैन जी ने केजरीवाल को 2 करोड़ रुपए दिए।’’ 

यह बिल्कुल स्पष्ट था कि पंजाब और गोवा के चुनावों में पराजय के बाद ‘आप’ में आंतरिक कलह शुरू हो जाएगी तथा इसके बाद से पार्टी में लगने वाले भ्रष्टïाचार और मनीलांड्रिंग के आरोपों से ‘आप’ का संकट बढ़ गया है। यह महसूस किया गया था कि इन आरोपों से कमजोर होने के बावजूद केजरीवाल अपने सदस्यों को संगठित रखने में सफल रहेंगे पर गत 2 सप्ताहों में इसके अनेक मंत्री पार्टी छोड़ गए हैं। एक कपिल मिश्रा ने संभवत: अंतिम प्रहार किया है व उनके इस आरोप से पार्टी टूट के कगार पर पहुंच गई है। 

कपिल मिश्रा का यह खुलेआम दावा कि ‘‘मैं पार्टी का संस्थापक सदस्य हूं और पार्टी में ही रहूंगा कहीं नहीं जाऊंगा और कोई भी मुझे पार्टी से निकाल नहीं सकता’’ पार्टी में बंटवारे की आशंका का संकेत दे रहा है। इससे लगता है कि पार्टी दो भागों में बंट जाएगी। पार्टी के अन्य अनेक सदस्यों का सुदृढ़ समर्थन होने के कारण प्रेक्षकों को लगता है कि मतभेदों के कारण पार्टी छोड़ कर जा चुके सभी पुराने सदस्यों को निमंत्रित करके कपिल मिश्रा एक नई ‘ए.पी.पी.’ बनाने की योजना बना रहे हैं। बेशक ऐसे विवादों ने केजरीवाल की पार्टी को कमजोर कर दिया है और पार्टी के लिए पहले की भांति समर्थन प्राप्त कर पाना कठिन होगा। राजनीतिक प्रेक्षकों का यह भी कहना है कि यदि दूसरी पाॢटयों के ‘दबाव’ में आकर इसके सदस्यों का पलायन शुरू हो गया तो दिल्ली में मध्यावधि चुनावों की संभावना पैदा हो सकती है।

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