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अपना दल छोड़ ‘सत्तारूढ़ दल में जाना’ ‘चढ़ते सूरज को सलाम जैसा’

Edited By ,Updated: 22 Jun, 2019 01:01 AM

leave your party and go to the ruling party

20 जून को तेदेपा के 4 राज्यसभा सांसदों वाई.एस. चौधरी, टी.जी. वैंकेटेश, जी.एम. राव व सी.एम. रमेश अपना अलग गुट बना कर भाजपा से जा मिले। इसके अलावा भी दूसरे दलों ‘आप’, ‘इनैलो’ और ‘तृणमूल कांग्रेस’ से बड़ी संख्या में भाजपा में दल-बदली हुई है। यहां तक कि...

20 जून को तेदेपा के 4 राज्यसभा सांसदों वाई.एस. चौधरी, टी.जी. वैंकेटेश, जी.एम. राव व सी.एम. रमेश अपना अलग गुट बना कर भाजपा से जा मिले। इसके अलावा भी दूसरे दलों ‘आप’, ‘इनैलो’ और ‘तृणमूल कांग्रेस’ से बड़ी संख्या में भाजपा में दल-बदली हुई है। 

यहां तक कि पिछले कुछ समय के दौरान तृणमूल कांग्रेस से कम से कम आधा दर्जन विधायक तथा अनेक पार्षद भाजपा से नाता जोड़ चुके हैं। उल्लेखनीय है कि जहां पार्टी छोडऩे वालों को ममता बनर्जी ने ‘कचरा’ बताया है वहीं भाजपा नेतृत्व ने उन्हें ‘तृणमूल कांग्रेस की कोयले की खान के हीरे’ बताया है। जब से भाजपा केंद्र में दोबारा सत्ता में आई है यह पहला मौका है जब दूसरे दलों के सांसद और विधायक भाजपा में शामिल हो रहे हैं। यहां तक कि इस मामले में वे वैचारिक अंतर को भी कोई महत्व नहीं दे रहे। 

हालांकि अपनी मूल पार्टी को छोड़ कर दूसरी पार्टी में शामिल होने वालों  को उचित सम्मान नहीं मिलता फिर भी वे सत्ता के मोह में उस पार्टी से जुडऩे में संकोच नहीं करते जिसका पलड़ा उस समय भारी हो।

‘रिपब्लिकन पार्टी आफ इंडिया’ के नेता तथा केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने 19 जून को लोकसभा में इस बात को स्वीकार करते हुए कहा, ‘‘राहुल जी, लोकतंत्र में वही होता है जो लोग चाहते हैं। आपकी सत्ता बहुत साल तक रही। जब आपकी सत्ता थी तब मैं आपके साथ था।’’ ‘‘चुनाव से पहले कांग्रेस के लोग मुझे बोल रहे थे इधर आओ, इधर आओ लेकिन मैं बोला उधर जाकर मैं क्या करूं? मैंने हवा का रुख देखा था कि हवा नरेंद्र मोदी जी की तरफ जा रही है और मैं मोदी जी के साथ हूं। हमारी सरकार पांच साल चलेगी, पांच साल होने के बाद और पांच साल चलेगी और बाद में पांच साल... मतलब चलती रहेगी।’’  

चढ़ते सूरज को सलाम करने की यह प्रवृत्ति लोकतंत्र के लिए शुभ नहीं है, अत: यदि किसी व्यक्ति को अपनी पार्टी से कोई शिकायत भी हो तो उसे पार्टी में रहते हुए ही अपनी बात अपने नेताओं तक पहुंचानी चाहिए न कि पार्टी छोड़ कर अपनी विश्वसनीयता पर बट्टा लगाना।अत: ऐसा कानून बनना चाहिए कि जो उम्मीदवार जिस पार्टी से चुना जाए अपना कार्यकाल समाप्त होने तक उसी पार्टी में रहे और दल न बदल सके।—विजय कुमार 

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