‘जब्री वसूली’ करके माओवादी लीडर कर रहे हैं ‘ऐश’

Edited By Pardeep,Updated: 11 May, 2018 01:05 AM

maoist leader is ash recovery by ash

‘नक्सल’ शब्द की उत्पत्ति बंगाल के छोटे से गांव नक्सलबाड़ी से हुई थी जहां माकपा नेताओं चारू मजूमदार (जो माओ का बड़ा प्रशंसक था) और कानू सान्याल ने 1967 में सत्ता के विरुद्ध सशस्त्र आंदोलन की शुरूआत की जो बाद में माओवाद के नाम से चर्चित हुआ। 1971 के...

‘नक्सल’ शब्द की उत्पत्ति बंगाल के छोटे से गांव नक्सलबाड़ी से हुई थी जहां माकपा नेताओं चारू मजूमदार (जो माओ का बड़ा प्रशंसक था) और कानू सान्याल ने 1967 में सत्ता के विरुद्ध सशस्त्र आंदोलन की शुरूआत की जो बाद में माओवाद के नाम से चर्चित हुआ। 

1971 के आंतरिक विद्रोह और मजूमदार की मृत्यु के बाद यह आंदोलन कई शाखाओं में बंट कर अपने लक्ष्य तथा विचारधारा से भटक गया। इस समय अनेक माओवादी गिरोह न सिर्फ सरकार के विरुद्ध छद्म लड़ाई में लगे हुए हैं बल्कि कंगारू अदालतें लगा कर मनमाने फैसले सुना रहे हैं। ये लोगों से जब्री वसूली, लूटपाट व हत्याएं भी कर रहे हैं। अत: माओवाद ग्रस्त राज्यों में माओवादी नेताओं को मिलने वाली आर्थिक सहायता के नैटवर्क पर अंकुश लगाने के लिए एक ‘मल्टी डिसिप्लीनरी ग्रुप’ गठित किया गया है तथा गृह मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय जांच एजैंसी में टैरर फंडिंग के अलावा माओवादियों को मिलने वाली सहायता की जांच करने के लिए एक अलग सैल का गठन भी किया जा रहा है। 

वहीं प्रवर्तन निदेशालय ने बिहार और झारखंड में मारे गए छापों के दौरान ‘माओवादी स्पैशल एरिया कमेटियों’ के नेताओं और उनके रिश्तेदारों के विरुद्ध ‘मनी लांड्रिंग कानून’ के अंतर्गत कार्रवाई की। इसमें गलत तरीके से बनाई गई उनकी करोड़ों रुपयों की निजी सम्पत्तियां जब्त करने के अलावा अनेक कारें व अन्य वाहन, 20 एकड़ जमीन और इमारतों को जब्त किया। जब्त सम्पत्तियों में नई दिल्ली और कोलकाता में अनेक प्लाट भी शामिल हैं। इनमें बिहार झारखंड स्पैशल एरिया कमेटी (बी.जे.एस.ए.सी.) के सदस्य प्रद्मुम्न शर्मा द्वारा 2010 और 2016 के बीच खरीदे गए 31.86 लाख रुपए मूल्य के 8 प्लाट और 35.47 लाख रुपए का मकान शामिल है। 

बी.जे.एस.ए.सी. के ही एक अन्य सदस्य संदीप यादव की लगभग 86 लाख रुपए मूल्य की सम्पत्ति जब्त की गई जिसमें गया और औरंगाबाद में प्लाटों के अलावा द्वारका में एक फ्लैट और बैंक डिपॉजिट भी शामिल हैं। टॉप माओवादी सरगना निजी ठेकेदारों, खनन ठेकेदारों, ट्रांसपोर्टरों, छोटे/मध्यम व्यापारियों व तेंदू पत्ता ठेकेदारों द्वारा संगठन के नाम पर दी जाने वाली भारी रकमें खुद हड़प कर इसका इस्तेमाल अपने परिवार के सदस्यों और अन्य रिश्तेदारों द्वारा वैभवपूर्ण जीवन बिताने व उनकी शिक्षा आदि पर खर्च कर रहे हैं। 

उदाहरण के रूप में प्रवर्तन निदेशालय की जांच से इस बात का खुलासा हुआ है कि प्रद्युम्र शर्मा ने 2017 में अपने भतीजे को एक निजी मैडीकल कालेज में दाखिलकरवाने के लिए 20 लाख रुपए खर्च किए जबकि संदीप यादव ने नोटबंदी में 15 लाख रुपए की नकदी बदलवाई। उसकी बेटी देश के प्रसिद्ध निजी संस्थान व बेटा निजी इंजीनियरिंग कालेज में पढ़ रहे हैं। झारखंड के एक अन्य माओवादी नेता अरविंद यादव ने एक निजी इंजीनियरिंग कालेज में अपने भाई को पढ़ाने के लिए 12 लाख रुपए की अदायगी की। 

गृह मंत्रालय के एक अधिकारी का कहना है कि माओवादियों के दोहरे मापदंड इस तथ्य से भी उजागर होते हैं कि एक ओर तो वे विचारधारा के नाम पर युवाओं को अपने गिरोह में शामिल करते और अपने प्रभाव वाले क्षेत्रों में किसी भी प्रकार की विकासात्मक गतिविधियों का विरोध करते हैं परन्तु अपने बच्चों और रिश्तेदारों के लिए सुख-सुविधा के साधन जुटाने में कोई कसर नहीं छोड़ते जो ऊपर दिए गए उदाहरणों से स्पष्ट है। स्पष्ट है कि ये माओवादी देश की एकता और अखंडता के लिए बड़ा खतरा बन चुके हैं। अत: देश को इनसे मुक्त करवाने के लिए इनके विरुद्ध उसी प्रकार सैन्य कार्रवाई तेज करने की आवश्यकता है जिस प्रकार श्रीलंका सरकार ने लिट्टे उग्रवादियों के विरुद्ध कार्रवाई करके 6 महीने में ही अपने देश से उनका सफाया कर दिया था।—विजय कुमार

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!