मामला पुरी रथयात्रा पर रोक का

Edited By ,Updated: 22 Jun, 2020 10:43 AM

puri shankaracharya swamy supreme court devotees

पुरी शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी और श्री जगन्नाथ मंदिर, पुरी के कई पारम्परिक पुजारियों ने शुक्रवार को कहा कि इस वर्ष की रथ यात्रा को आयोजित नहीं करने के निर्णय की पुन: समीक्षा की जानी चाहिए।

पुरी शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी और श्री जगन्नाथ मंदिर, पुरी के कई पारम्परिक पुजारियों ने शुक्रवार को कहा कि इस वर्ष की रथ यात्रा को आयोजित नहीं करने के निर्णय की पुन: समीक्षा की जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस वर्ष की रथ यात्रा पर रोक लगाने के एक दिन बाद राज्य मंत्रिमंडल ने उक्त आदेश का पालन करने का फैसला किया है। राजनीतिक नेताओं और भक्तों ने मांग की है कि सदियों पुरानी परम्परा को बाधित नहीं किया जाना चाहिए। पुरी शंकराचार्य ने इस बारे कहा है कि रथयात्रा रद्द करने का सुप्रीम कोर्ट का आदेश महामारी को देखते जारी किया गया है लेकिन यह केवल कुछ पुजारियों के साथ आयोजित किया जा सकता है। लोग लाइव टैलीकास्ट माध्यम से भगवान जगन्नाथ को रथ पर देख सकते हैं। उनके अनुसार यह पहली बार होगा कि 285 वर्षों में रथयात्रा आयोजित नहीं की जाएगी।

इसे समझा जा सकता है कि श्रद्धालु मंदिरों, चर्च और मस्जिदों में प्रार्थना और आध्यात्मिकता के लिए जाना चाहेंगे लेकिन धार्मिक गुरुओं, नेताओं को खुले स्थानों पर रथ यात्रा के विषय पर विचार करते समय अन्य मुद्दों के बारे में भी सोचने की आवश्यकता है बल्कि उनकी ङ्क्षचता पूजा से पहले और उसके दौरान इन समारोहों में शामिल होने वालों के स्वास्थ्य और सुरक्षा पर पूरी तरह से होनी चाहिए, जो यह आयोजन कर रहे होंगे। उन पुलिस कर्मियों एवं अधिकारियों जो यात्रा के साथ और उसके आयोजन में लगेंगे उनके बारे में भी उन्हें सोचना चाहिए। ऐसे आयोजनों को ‘सुपर स्प्रैडर’ भी कहते हैं क्योंकि कुछ ही समय में कई हजार लोग संक्रमित हो जाते हैं।

यद्यपि बुजुर्ग बाहर नहीं आएंगे परंतु हो सकता है कि उनकी देखभाल, उम्र में छोटे उन लोगों द्वारा की जाती है जो इस आयोजन से जुड़े होंगे। इन्हीं कारणों के रहते सरकार ने रमजान और ईद के दौरान मस्जिदों को बन्द रखा था। सबसे आवश्यक बात तो यह है कि ईश्वर में आस्था रखने वाले सभी लोग जानते हैं कि परमात्मा एक निश्चित स्थान तक सीमित नहीं हैं और सभी परिस्थितियों से उभरने के लिए पूजा या प्रार्थना सच्चे मन से करने की आवश्यकता है, भव्य आयोजनों की नहीं जिनमें वायरस फैलने का खतरा बहुत अधिक है। इन मामलों में अत्यधिक सावधानी से कदम उठाने की आवश्यकता है।

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