‘अभी कुछ लोग बाकी हैं जहां में’ तनावपूर्ण वातावरण में कुछ अच्छी खबरें

Edited By ,Updated: 03 Dec, 2021 04:05 AM

some people are left where i am  some good news in a tense environment

आज देश में महंगाई, बेरोजगारी, लूटमार, लाकानूनी, निरक्षरता, हिंसा आदि के कारण निराशाजनक माहौल में भी जरूरतमंदों की सहायता के लिए हमेशा तत्पर रहने वाले कुछ अच्छे लोग मौजूद हैं जिनके

आज देश में महंगाई, बेरोजगारी, लूटमार, लाकानूनी, निरक्षरता, हिंसा आदि के कारण निराशाजनक माहौल में भी जरूरतमंदों की सहायता के लिए हमेशा तत्पर रहने वाले कुछ अच्छे लोग मौजूद हैं जिनके नेक कार्य समाज के लिए प्रेरणास्रोत हैं : 

* 13 नवम्बर को श्रीनगर के ‘बोहरी कदल’ में अकेले रहने और स्ट्रीट फूड बेच कर गुजारा करने वाले अब्दुल रहमान नामक एक गरीब 90 वर्षीय बुजुर्ग पर कुछ बदमाशों ने हमला करके न सिर्फ उन्हें पीटा बल्कि उनसे उनकी कुल जमा पूंजी 1 लाख 60 हजार रुपए भी लूट कर ले गए। जब उन्होंने रोते हुए श्रीनगर के एस.एस.पी. संदीप चौधरी को अपनी आपबीती सुनाई तो वह इस कदर द्रवित हुए कि उन्होंने अपनी ओर से एक लाख रुपए देकर उनकी सहायता की। 

* 16 नवम्बर को इंडिगो विमान सेवा की एक उड़ान के दौरान एक यात्री की तबीयत अचानक बिगड़ गई और वह बेहोश हो गया तो विमान में ही यात्रा कर रहे केंद्रीय मंत्री डा. भागवत कराड तुरंत उसके पास पहुंचे। यात्री को ब्लड प्रैशर की समस्या के चलते चक्कर आ रहे थे। उन्होंने उसे प्राथमिक उपचार दिया तथा आपातकालीन किट में मौजूद एक इंजैक्शन भी लगाया जिससे उसे आराम मिला और वह आगे की यात्रा कर सका। 

* 20 नवम्बर को उत्तर प्रदेश में प्रयागराज के राम बाग रेलवे स्टेशन पर तैनात जी.आर.पी. के उप निरीक्षक लल्लन सिंह यादव और उनके साथी शोएब अहमद को एक बैग मिला जिसमें करीब 5 लाख रुपए का सोना-चांदी का सामान और नकदी थी। उसमें मिले पर्स में मिले नम्बर पर फोन करके उन्होंने बैग के मालिक का पता लगा कर उसे सारा सामान सौंपा। 
* 26 नवम्बर को उत्तर प्रदेश के सुलतानपुर में एक ई-रिक्शा चालक को सड़क पर पर्स मिला जिसमें 10 हजार रुपए और मोबाइल रखा था जिसकी सहायता से उसने मोबाइल के मालिक का पता लगाकर उसकी अमानत उसे सौंप कर अपनी ईमानदारी का सबूत दिया। 

* 29 नवम्बर को बरेली के सुभाष नगर में रहने वाले एक गरीब युवक की मौत हो गई तो उसके परिवार के पास न तो उसका अंतिम संस्कार करने के लिए पैसे थे और न ही उसकी लाश को श्मशान तक पहुंचाने के लिए कंधा देने वाला कोई व्यक्ति। ऐसे में बरेली पुलिस के सदस्यों ने उक्त युवक की लाश को कंधा देकर श्मशान तक ले जाकर उसका अंतिम संस्कार करवाया। 

* 30 नवम्बर को सोनीपत जिले के ‘सोहटी’ गांव के जय भगवान को अपनी लाडली भैंस की मृत्यु का इतना दुख पहुंचा कि उसने अपने गांव में एक ‘बैंक्वेट हाल’ बुक करवाकर उसके दूध का कर्ज चुकाने के लिए उसकी ‘सत्रहवीं’ मनाई और अपने समूचे गांव के अलावा आस-पास के गांवों के लोगों को भी दावत में पूरियों और सब्जी के अलावा लड्डू और जलेबियां खिलाईं। जय भगवान ने भावुक होकर कहा कि उन्होंने और उनके परिवार ने अपनी इस लाडली भैंस का दूध पूरे 22 वर्ष तक पीया और उसके भिंडी जैसे सींगों के कारण उसका नाम ‘भिंडी’ रखा था। 1999 में अपने भाई के ससुराल से जब वह इसे लाए थे तब वह लगभग तीन वर्ष की कट्टी थी जिसे उन्होंने अपने बच्चों की तरह पाला था। 

* 30 नवम्बर को बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में आई.आई.टी. में सीट पाने के लिए आर्थिक परेशानी के कारण फीस जमा करवाने में असमर्थ ‘संस्कृति रंजन’ नामक प्रतिभाशाली निर्धन दलित छात्रा को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ के न्यायाधीश दिनेश कुमार सिंह ने अपनी जेब से 15000 रुपए प्रवेश शुल्क देकर एक उदाहरण पेश किया। 

* 1 दिसम्बर को हावड़ा-अमृतसर मेल से जालन्धर आ रहे एक परिवार का लेडीज पर्स, ट्राली बैग और छोटा बैग गाड़ी में ही छूट गया जिसमें 1.5 लाख रुपए व अन्य कीमती सामान था। सूचना मिलने पर उसे ढूंढ कर रेलवे पुलिस के ए.एस.आई. देवराज और नीरज ने इसके मालिक को लौटा दिया। 

यहां जो उदाहरण दिए गए हैं ये तो वे लोग हैं जिनके बारे में खबरें छप गई हैं, लेकिन इनके अलावा भी अनेक ऐसे लोग होंगे जो चुपचाप इन जैसे ही नेक काम कर रहे हैं जिनकी अखबारों में कोई खबर नहीं छपी। आज के तनाव भरे माहौल में ये समाचार हवा के शीतल झोंके के समान हैं। आज जबकि देश में इतना असंतोष फैला हुआ है, यदि देश चल रहा है तो इसका श्रेय ऐसे अच्छे लोगों को ही जाता है।—विजय कुमार 

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