बच्चों का उत्पीड़न करने वाले पादरी आत्मसमर्पण करें : पोप फ्रांसिस

Edited By Pardeep,Updated: 29 Dec, 2018 03:15 AM

surrender the pastor who oppresses children pope francis

वैटिकन (रोम) विश्व भर के 1.2 अरब कैथोलिक ईसाइयों की सर्वोच्च धार्मिक पीठ के अलावा आज भी विश्व की सर्वाधिक शक्तिशाली धार्मिक संस्थाओं में से एक है। 28 फरवरी, 2013 को वैटिकन के 266वें पोप बने पोप फ्रांसिस ने पद ग्रहण करते ही इसमें घर कर चुकी कमजोरियां...

वैटिकन (रोम) विश्व भर के 1.2 अरब कैथोलिक ईसाइयों की सर्वोच्च धार्मिक पीठ के अलावा आज भी विश्व की सर्वाधिक शक्तिशाली धार्मिक संस्थाओं में से एक है। 28 फरवरी, 2013 को वैटिकन के 266वें पोप बने पोप फ्रांसिस ने पद ग्रहण करते ही इसमें घर कर चुकी कमजोरियां दूर करने के लिए क्रांतिकारी सुधारों के संकेत दिए थे और इसी क्रम में उन्होंने :

12 जून, 2013 को पहली बार स्वीकार किया कि वैटिकन में ‘गे’ समर्थक लॉबी व भारी भ्रष्टïाचार मौजूद है और उन्होंने इसकी घोर निंदा  की। 14 जून, 2013 को पोप फ्रांसिस ने शादी से पूर्व एक साथ (लिव इन रिलेशनशिप में) रहने वाले कैथोलिक जोड़ों की ङ्क्षनदा की और कहा, ‘‘आज कई कैथोलिक बिना शादी के एक-दूसरे के साथ रह रहे हैं जो सही नहीं। इससे शादी की संस्था अस्थायी हो गई है और यह एक गंभीर समस्या है।’’ 5 मार्च, 2014 को अमरीका में मैरोनाइट कैथोलिक गिरजाघर में एक शादीशुदा व्यक्ति को पादरी बनाकर एक नई पहल की गई। 4 जून, 2014 को पोप ने संतानहीन दम्पतियों से कहा कि ‘‘जानवरों की तुलना में अनाथ बच्चों को प्यार देना और उन्हें गोद लेना बेहतर है।’’ 

25 दिसम्बर, 2014 को वैटिकन के उच्चाधिकारियों को नसीहत देते हुए उन्होंने कहा कि ‘‘पादरी व बिशप आदि अपना रुतबा बढ़ाने के लिए सांठ-गांठ, जोड़-तोड़ और लोभ की भावनाओं से ग्रस्त हो गए हैं। वैटिकन में बदलाव लाने की आवश्यकता है। इसने अपने आपको समय के अनुरूप नहीं बदला और यह एक बीमार संस्था बन कर रह गई है।’’ 1 सितम्बर, 2015 को पोप फ्रांसिस ने गर्भपात के संबंध में चर्च की परम्परा को दरकिनार करते हुए चर्च के पुजारियों को कहा कि वे जुबली ईयर के दौरान गर्भपात करवाने वाली महिलाओं और उनका गर्भपात करने वाले डाक्टरों द्वारा माफी मांगने पर उन्हें माफ कर दें। 18 दिसम्बर, 2018 को पोप ने विभिन्न राज्याध्यक्षों के नाम संदेश में कहा कि अपने देशों की समस्याओं के लिए वे अप्रवासियों को जिम्मेदार न ठहराएं और जातिवादी नीतियां अपनाकर समाज में अविश्वास न फैलाएं। 

यही नहीं, चर्च से जुड़े पादरियों द्वारा बच्चों के यौन शोषण को लेकर भी पोप फ्रांसिस अत्यंत दुखी हैं। कुछ धर्मशात्रियों के अनुसार बच्चों के यौन शोषण के पीछे चर्च की वह नीति जिम्मेदार है जिसके अंतर्गत पादरियों को ब्रह्मचर्य का पालन करना पड़ता है और जो सभी पादरियों के लिए संभव नहीं होता। परिणामस्वरूप वे यौन कुंठाओं का शिकार होकर असामान्य यौन व्यवहार करने लगते हैं तथा बच्चे उनका आसान शिकार होते हैं। 1950 से 2011 के दौरान लगभग 6900 अमरीकन रोमन कैथोलिक पादरी कम से कम 16,900 बच्चों के यौन शोषण के आरोपी रहे हैं और अभी हाल ही में अमरीका के इलीनॉय राज्य में लगभग 685 पादरियों द्वारा बच्चों का यौन शोषण किए जाने का खुलासा हुआ है और इस मामले में 185 पादरियों की पहचान हो गई है। ऐसे मामलों में चर्च के उच्च अधिकारियों पर पादरियों का बचाव किए जाने के भी आरोप हैं। अगस्त में पोप फ्रांसिस ने इस मामले में जांच में विफलता के लिए चर्च की निंदा भी की थी। 

सिर्फ इलीनॉय में ही नहीं अमरीका के पैंसिलवेनिया के अटार्नी जनरल की जांच से पता चला था कि राज्य में 300 कैथोलिक पादरियों ने एक हजार बच्चों को यौन शोषण का शिकार बनाया जिसे बिशप और चर्च के उच्चाधिकारियों ने छिपाया। अमरीका ही नहीं विश्व के हर हिस्से में चर्चों में पादरियों द्वारा बच्चों और ननों के यौन शोषण के मामले सामने आते रहते हैं जिन्हें छुपाने से इस प्रवृत्ति को बढ़ावा मिलता है। यह भी कटु सत्य है कि बच्चों से यौन दुराचार करने और उनका शोषण करने वाले पादरियों को शायद ही कभी सजा मिलती हो। अब 21 दिसम्बर को इस संबंध में एक बड़ा बयान देते हुए पोप फ्रांसिस ने बच्चों का उत्पीडऩ करने वाले पादरियों तथा अन्य लोगों से स्वयं को कानून के समक्ष आत्मसमर्पण कर देने का आह्वान किया है। 

पोप फ्रांसिस के अन्य पगों की भांति ही उनके द्वारा किया गया यह आह्वान भी ऐतिहासिक महत्व रखता है जिसका पालन किए जाने की स्थिति में पादरियों पर लगने वाले यौन शोषण के आरोपों पर रोक लगने और चर्च की प्रतिष्ठा बढ़ाने में अवश्य सहायता मिलेगी।—विजय कुमार 

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