समाज भलाई के कार्यों में ‘किन्नर समुदाय दे रहा योगदान’

Edited By ,Updated: 25 Sep, 2022 06:26 AM

the transgender community is contributing in the works of social welfare

एक अनुमान के अनुसार देश में एक करोड़ के लगभग किन्नर हैं।

एक अनुमान के अनुसार देश में एक करोड़ के लगभग किन्नर हैं। लोगों के यहां बेटे के जन्म अथवा विवाह-शादी पर नाच-गा कर बधाई देने और उनसे मिलने वाली ‘बख्शीश’ के सहारे जीवन बिताने वाले किन्नर पुरातन काल से ही समाज की उपेक्षा और भेदभाव का शिकार रहे हैं। हालांकि हमारा संविधान हर किसी को समान अधिकार देता है परन्तु यह कटु सत्य है कि नौकरियों में ही नहीं, शिक्षा व जीवन के अन्य क्षेत्रों में भी किन्नर भेदभाव के शिकार होते रहे हैं। चूंकि अब जैसे-जैसे समाज में चेतना आ रही है, किन्नर समुदाय तमाम चुनौतियों का सामना करते हुए समाज के एक उपयोगी अंग के रूप में उभर रहा है।

गत वर्ष देविका नामक 46 वर्षीय किन्नर को कर्नाटक के मैसूरू जिले की ‘सालिग्रामा ग्राम पंचायत’ की निर्विरोध प्रधान चुना गया। ‘चिन्नचुनकट्टा’ नामक कस्बे में जन्मी देविका के माता-पिता की 20 वर्ष पूर्व मौत हो गई थी और वह दुकानदारों तथा दूसरे लोगों से मिलने वाली ‘बख्शीश’ के सहारे अपना पेट पाल रही थीं। 5 वर्ष पूर्व वह रोजी-रोटी की तलाश में इस कस्बे में आकर बस गईं और स्वयं को स्थानीय लोगों की सेवा में समर्पित कर दिया। गांव वालों ने देविका के ग्राम प्रधान चुने जाने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि ‘‘यह हम लोगों के लिए गर्व का विषय है जो इस बात का संकेत है कि लोकतंत्र में जाति, धर्म और लिंग के भेदभाव के बिना हर कोई अपना योगदान डाल सकता है।’’ 

हरियाणा के जींद में भी किन्नर समुदाय समाज सेवी के रूप में अपनी नई छवि बना रहा है। वहां की ‘किन्नर समाज सेवा समिति’ पर्यावरण की रक्षा के लिए ‘त्रिवेणी’ लगाकर लोगों को पौधारोपण का संदेश देने के साथ-साथ रक्तदान शिविरों का आयोजन भी कर रही है। इस समाज ने गत 11 सितम्बर को जींद के जयंती देवी मंदिर में प्रदेश स्तरीय ‘मानव सेवा सम्मान समारोह’ में रक्तदान शिविर का आयोजन किया जिसमें 86 लोगों ने रक्तदान किया। इससे पहले जुलाई में किन्नर समाज सेवा समिति ने ही जयंती देवी मंदिर में ‘त्रिवेणी’ लगाकर लोगों को पर्यावरण बचाने के लिए अधिक से अधिक पौधे लगाने का संदेश दिया था। 

इस संबंध में किन्नर समाज सेवा समिति की प्रदेशाध्यक्ष रिमझिम महंत का कहना है कि ‘‘त्रिवेणी में नीम, पीपल और वट के पौधे लगाए जाते हैं जिनका पर्यावरण सुधारने के साथ-साथ औषधीय और धार्मिक महत्व भी है।’’  इसी प्रकार ‘अखिल भारतीय समाज सेवा सोसायटी’, शिवपुरी, लुधियाना  की ओर से प्रधान गुड्डी महंत के नेतृत्व में 31 जरूरतमंद महिलाओं को कई वर्षों से हर महीने राशन दिया जा रहा है। और अब महाराष्ट्र में ठाणे जिले के कल्याण में ऐसा ही एक उदाहरण  पेश करते हुए 5000 से अधिक किन्नरों के समूह ने जरूरतमंदों का पेट भरने का बीड़ा उठाया है।

इन किन्नरों ने अपने संगठन को ‘ख्वाहिश फाऊंडेशन’ का नाम दिया है जिसकी प्रधान पूनम सिंह हैं। कल्याण रेलवे स्टेशन के निकट इन्होंने जरूरतमंदों के लिए एक रसोई की स्थापना की है जहां एक रुपए में नाश्ता और 10 रुपए में भरपूर भोजन की थाली उपलब्ध करवाई जा रही है। अपने उद्घाटन के दिन ही इस रसोई ने 270 लोगों को भोजन मुहैया करवाया। एक सप्ताह के भीतर ही यहां से भोजन प्राप्त करने वालों की संख्या बढ़ कर 500 तक पहुंच गई तथा इस रसोई से लाभ उठाने वालों में नजदीक ही स्थित बी.एम.सी. द्वारा संचालित रुक्मणि बाई अस्पताल में उपचाराधीन मरीजों के रिश्तेदार भी शामिल हैं।

सबसे बड़ी बात यह है कि इन किन्नरों ने अपना अभियान किसी सरकारी एजैंसी या राजनीतिज्ञ की सहायता के बिना आरंभ किया है। इस रसोई के लिए धन ‘ख्वाहिश फाऊंडेशन’ की सदस्यों द्वारा ही उपलब्ध करवाया जा रहा है जो प्रतिदिन अपनी कमाई से कुछ रकम इस रसोई को चलाने के लिए देते हैं। कुछ अन्य एन.जी.ओ. भी इस रसोई के लिए अनाज एवं अन्य सामग्री का योगदान डाल रहे हैं। निश्चय ही किन्नर समाज द्वारा किए जा रहे उक्त कार्यों से समाज में समानता की भावना को बढ़ावा तथा किन्नर समुदाय को आगे बढऩे का उत्साह मिलेगा। समाज और जरूरतमंदों की सेवा में किन्नर समुदाय का इतने साहस के साथ आगे आना दूसरे लोगों के लिए भी एक संदेश है कि वे भी आगे आएं और किन्नर समुदाय की भांति ही जरूरतमंदों की सहायता और उत्थान में अपना योगदान दें।-विजय कुमार 

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