कांगड़ा वैली रेल लाइन पर गाड़ियों का आवागमन बहाल किया जाए

Edited By ,Updated: 19 Dec, 2023 05:16 AM

train movement should be restored on kangra valley railway line

पंजाब के पठानकोट रेलवे जंक्शन से हिमाचल प्रदेश के जोगेंद्रनगर तक चलने वाली कांगड़ा वैली रेल कहने को तो हैरिटेज है, परंतु इस 164 किलोमीटर लंबे रेल मार्ग की दुर्दशा किसी से छिपी नहीं है। इस मार्ग पर पडऩे वाले सभी रेलवे स्टेशनों में प्लेटफार्मों,...

पंजाब के पठानकोट रेलवे जंक्शन से हिमाचल प्रदेश के जोगेंद्रनगर तक चलने वाली कांगड़ा वैली रेल कहने को तो हैरिटेज है, परंतु इस 164 किलोमीटर लंबे रेल मार्ग की दुर्दशा किसी से छिपी नहीं है। इस मार्ग पर पडऩे वाले सभी रेलवे स्टेशनों में प्लेटफार्मों, शौचालयों तथा बैठने के लिए बनाए अधिकांश बैंचों का बुरा हाल है तथा सभी रेलवे स्टेशनों की हालत अत्यंत जर्जर हो चुकी है। चक्की खड्ड रेलवे पुल टूटे लगभग 16 महीने होने को हैं और इस रेल मार्ग पर चलने वाली सभी रेलगाडिय़ां बंद हैं, जबकि नूरपुर से ज्वालामुखी रोड तक कई गांवों-कस्बों के लोगों के लिए परिवहन का एकमात्र साधन रेल ही है। 

कांगड़ा और मंडी के लोगों के लिए कांगड़ा वाली रेल लाइन परिवहन की जीवन रेखा है। वर्ष 2014 के चुनाव प्रचार के दौरान श्री नरेंद्र मोदी ने इसे ब्रॉडगेज बनाने का वादा भी किया था। अंग्रेजों के जमाने का कांगड़ा वैली रेल मार्ग 1929 का बना हुआ है। किसी समय इस रेल मार्ग पर एक एक्सप्रैस रेलगाड़ी समेत प्रतिदिन 14 अप एवं डाऊन रेलगाडिय़ां चलती थीं, जो अब बंद हैं। चक्की पुल बहने के बाद रेल विभाग पठानकोट से नूरपुर रोड (जसूर) तक रेलगाड़ी चलाने में असमर्थ है परन्तु बरसात थमने के बाद अब कम से कम नूरपुर से जोगेंद्रनगर तक तो रेलगाडिय़ां चलाई ही जा सकती हैं। 

जसूर स्थित नूरपुर रोड रेलवे स्टेशन पर बाकायदा रेलगाडिय़ों के रख-रखाव एवं वाशिंग के लिए नया शैड बना है, लेकिन विभाग के अधिकारी रेलमार्ग जर्जर होने का तर्क देकर पल्ला झाड़ लेते हैं। यहां यह बात भी उल्लेखनीय है कि 15 जुलाई, 2023 से पहले तो जसूर से जोगेंद्रनगर तक रेलगाडिय़ां चलती रहीं परंतु जुलाई में भारी वर्षा के बाद से यह ट्रैक बिल्कुल बंद है। 

यदि भारत सरकार इस नैरोगेज रेलमार्ग को ब्रॉडगेज में बदल दे तो लोगों के कांगड़ा से पठानकोट आने-जाने में लगने वाले समय में काफी कमी आ जाएगी। ऐसा करने के लिए सरकार को जमीन का अधिग्रहण भी नहीं करना पड़ेगा और लोगों का कारोबार भी चमकेगा। जितना ध्यान रेल विभाग हैरिटेज कालका-शिमला रेलमार्ग पर देता है, उसकी तुलना में रेलवे का इस रेल मार्ग पर 10 प्रतिशत भी ध्यान नहीं है। जुलाई-अगस्त में मानसून के दौरान हुई भारी बरसात से कालका-शिमला रेलमार्ग बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुआ था, जिसे रेलवे ने एक महीने में बहाल कर दिया, पर पठानकोट-जोगेंद्रनगर रेल मार्ग लगभग 6 महीनों से बंद पड़ा है। 

क्षेत्रवासियों के अनुसार यदि रेल विभाग कांगड़ा वैली रेल मार्ग को नैरोगेज से ब्रॉडगेज में बदलने में असमर्थ है तो इसे कम से कम दोहरा यानी डबल क्रासिंग रेल मार्ग बना दे। इससे पठानकोट से जोगेंद्रनगर आने-जाने में लगभग 4-5 घंटे का समय ही लगेगा। अभी कांगड़ा वैली रेलमार्ग पर आमतौर पर अधिकांश रेलगाडिय़ों को दूसरी रेलगाड़ी की क्रासिंग करवाने के लिए एक स्टेशन पर आधे से एक घंटे तक रुकना पड़ता है। क्षेत्रवासियों की मांग है कि यदि उत्तर रेलवे कांगड़ा वैली रेल मार्ग को चलाने में असमर्थ है तो इस रेल मार्ग का निजीकरण कर दे। देवभूमि हिमाचल प्रदेश के लोग अपनी देशभक्ति, कर्मठता, ईमानदारी और मेहनत के लिए विख्यात हैं और इन गुणों के कारण उन्होंने समूचे देश में अपना विशेष सम्मानजनक स्थान बनाया है। अत: यह मांग पूरी हो जाने से जहां क्षेत्रवासियों को आने-जाने में काफी सुविधा हो जाएगी, वहीं इसका आने वाले चुनावों में केंद्र सरकार को भी किसी हद तक लाभ पहुंचेगा।-विजय कुमार

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