यासीन मलिक की गिरफ्तारी पर पाकिस्तान में मची हाय-तौबा

Edited By ,Updated: 25 Apr, 2019 04:08 AM

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1947 में अपनी स्थापना के समय से ही पाकिस्तानी शासकों ने भारत के विरुद्ध छेड़़े हुए छद्म युद्ध के अंतर्गत अपने पाले हुए आतंकियों व अलगाववादियों के जरिए कश्मीर में अशांतिफैलाने, दंगे करवाने, आतंकवाद भड़काने, गैर-मुसलमानों को यहां से भगाने, बगावत के...

1947 में अपनी स्थापना के समय से ही पाकिस्तानी शासकों ने भारत के विरुद्ध छेड़़े हुए छद्म युद्ध के अंतर्गत अपने पाले हुए आतंकियों व अलगाववादियों के जरिए कश्मीर में अशांतिफैलाने, दंगे करवाने, आतंकवाद भड़काने, गैर-मुसलमानों को यहां से भगाने, बगावत के लिए लोगों को उकसाने और ‘आजादी’ की दुहाई देने का सिलसिला जारी रखा हुआ है। 

इन्हें पाकिस्तान से आर्थिक मदद मिलती है। जहां सीमा के दोनों ही ओर के आम लोग जहालत और दुख भरी जिंदगी जी रहे हैं वहीं ये अलगाववादी और आतंकवादी तथा उनके पाले हुए दूसरे लोग मजे कर रहे हैं। इसी कारण पाकिस्तान द्वारा जम्मू-कश्मीर के अलगाववादियों और आतंकवादियों को होने वाली टैरर फंङ्क्षडग पर शिकंजा कसने की कार्रवाई के अंतर्गत केन्द्र सरकार ने इस वर्ष 14 फरवरी को हुए आतंकवादी हमले के बाद अलगाववादी शक्तियों के विरुद्ध कार्रवाई शुरू की थी तथा अलगाववादी संगठन जमात-ए-इस्लामी पर प्रतिबंध लगाने के अलावा इसके बैंक खातों को भी सीज कर दिया। 

इसके बाद श्रीनगर समेत अन्य स्थानों पर अलगाववादी नेताओं सईद गिलानी के बेटे नईम गिलानी, यासीन मलिक, शब्बीर शाह, मीरवाइज उमर फारूक, अशरफ खान, अकबर बट्टï, मसरत आलम, जफ्फार अकबर के मकानों पर हुई छापेमारी में एन.आई.ए. की टीम को बड़ी सफलता हासिल हुई तथा बड़ी संख्या में महत्वपूर्ण दस्तावेज मिले। इनमें आतंकी संगठनों के लैटरहैड, पाकिस्तानी शिक्षण संस्थानों में दाखिले हेतु वीजा दिलवाने के लिए सिफारिशी दस्तावेजों के अलावा मीरवाइज उमर फारूक के घर से 40 फुट ऊंचा एक टावर भी बरामद किया गया। इसकी मदद से वह पाकिस्तान के सीधे सम्पर्क में था और इसका इस्तेमाल हाईटैक इंटरनैट कम्युनिकेशन के लिए किया जाता था।

केन्द्र सरकार द्वारा आतंकवाद विरोधी कानून के अंतर्गत हाल ही में प्रतिबंधित भारत विरोधी सशस्त्र अलगाववादी संगठन ‘जम्मू-कश्मीर लिब्रेशन फ्रंट’ (जे.के.एल.एफ.) के सरगना यासीन मलिक की गिरफ्तारी को लेकर पाकिस्तान में हाय-तौबा मची हुई है। उसने 1980 में सेना और टैक्सी चालकों में विवाद देखने के बाद विद्रोही बनने का फैसला किया और ‘लाल पार्टी’ नामक संगठन बनाया। 35 वर्षों से भारत विरोधी आंदोलन में सक्रिय यासीन 1988 में जे.के.एल.एफ. से जुड़ा। 1994 में यासीन मलिक ने शांतिपूर्ण राजनीतिक संघर्ष का नारा दिया और जे.के.एल.एफ. को एक राजनीतिक दल के रूप में पेश किया। 2009 में यासीन मलिक ने मुशहाल नामक एक पाकिस्तानी युवती से विवाह किया। 

अब यासीन की गिरफ्तारी से नाराज पाकिस्तान सरकार के विदेश कार्यालय ने यासीन को गिरफ्तार करने पर भारत सरकार की आलोचना की है। पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने कहा है कि ‘‘पाकिस्तान बेबुनियाद आरोपों के आधार पर 22 फरवरी से यासीन मलिक को जेल में बंद करनेे और उनकी खराब होती सेहत को लेकर कड़ी ङ्क्षनदा करता है।’’ हालांकि आर्थिक संकट से ग्रस्त और गृह युद्ध के कगार पर पहुंचा पाकिस्तान अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है परन्तु इसके बावजूद वह भारत और अन्य देशों में ङ्क्षहसक और विध्वंसक गतिविधियों के लिए आतंकवादियों की सहायता करने से बाज नहीं आ रहा। 

इसका एक प्रमाण पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने हाल ही में ईरान दौरे पर वहां के राष्टï्रपति हसन रूहानी के साथ संयुक्त प्रैस वार्ता में यह कह कर दिया कि ‘‘अतीत में आतंकवादियों ने ईरान के विरुद्ध हमले के लिए पाकिस्तानी क्षेत्र का दुरुपयोग किया है तथा ईरान पाकिस्तान से संचालित आतंकवादी गिरोहों से पीड़ित है।’’ अब दूसरा प्रमाण पाकिस्तान सरकार ने भारतीय जेल में बंद अलगाववादी यासीन मलिक की सेहत पर चिंता व्यक्त करके दिया है। राजनीतिक पर्यवेक्षकों का इस पर कहना है कि दूसरे देशों के मामलों में टांग अड़ाने की बजाय यदि पाकिस्तानी शासक अपने बिखर रहे घर की ओर ध्यान दें तो ज्यादा अच्छा होगा।—विजय कुमार

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