एक विजनरी व्यक्तित्व : प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू

Edited By Updated: 27 May, 2022 04:49 AM

a visionary personality pandit jawaharlal nehru the first prime minister

नि:संदेह व्यक्तित्व में कमियां रही होंगी। कोई भी व्यक्ति या नेता कभी पूर्ण नहीं होता, परंतु मृत्यु के 58 वर्ष बाद उन पर उंगलियां उठाएं, उन्हें भला-बुरा कहें, उचित नहीं। पं. जवाहर लाल नेहरू के बारे में यह कहने वाले कि वह कश्मीरी मुसलमान थे उनके लेडी...

नि:संदेह व्यक्तित्व में कमियां रही होंगी। कोई भी व्यक्ति या नेता कभी पूर्ण नहीं होता, परंतु मृत्यु के 58 वर्ष बाद उन पर उंगलियां उठाएं, उन्हें भला-बुरा कहें, उचित नहीं। पं. जवाहर लाल नेहरू के बारे में यह कहने वाले कि वह कश्मीरी मुसलमान थे उनके लेडी माऊंटबेटन से संबंध थे, शेख अब्दुल्ला उनके भाई थे, उसी की खातिर उन्होंने कश्मीर समस्या भावी पीढिय़ों के लिए पैदा कर दी, भारत का विभाजन 1947 को उन्हीं की वजह से हुआ, नेहरू एक मात्र व्यक्ति थे जिनकी गलत नीतियों से 1962 में भारत की चीन के हाथों शर्मनाक पराजय हुई, वगैरह-वगैरह देश के पहले प्रधानमंत्री के साथ अन्याय कर रहे हैं। एक स्वप्न दृष्टा का अपमान कर रहे हैं। 

नेहरू आधुनिक भारत के निर्माता थे। उन्होंने एक प्रजातांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष, बहुलतावादी व मजबूत भारत की आधारशिला रखी। वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं पंडित जवाहर लाल नेहरू और महात्मा गांधी के प्रशंसक हैं। यह बात भी मैं निश्चयपूर्वक कह सकता हूं कि महात्मा गांधी के बाद नेहरू ही ऐसे राजनेता थे, जिनकी लोगों पर गहरी पकड़ थी और जिन्हें जनता पर अटूट विश्वास था। हमारे व्यक्तिगत और राष्ट्रीय जीवन के अधिकतर पक्षों पर नेहरू की गहरी छाप है।  स्वतंत्रता आंदोलन में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी। अपने भाषण ‘ट्राइस्ट विद डैस्टिनी’ में उन्होंने स्पष्ट किया है कि स्वतंत्रता आंदोलन आंशिक असफलता के साथ समाप्त हुआ। सारे आंदोलन के दौरान एक स्वतंत्र व अविभाजित भारत का लक्ष्य था पर वह लक्ष्य भारत के बंटवारे (1947) के कारण अधूरा रह गया। 

विभाजन में ऐसा नरसंहार हुआ कि सारी मानवता शर्मसार हो गई। वर्तमान में पक्ष-विपक्ष में बैठा कोई भी नेता तनिक विचार करे कि नेहरू या महात्मा गांधी इसमें कहां दोषी थे। नेहरू महान नेता थे। हिन्दुस्तान के प्रति उनका एक विजन था। वह छ: बार कांग्रेस के प्रधान बने। नेहरू के निधन पर उनको अटल जी द्वारा दी गई श्रद्धांजलि संसद का एक ऐतिहासिक दस्तावेज है। 

उन्होंने कहा था, ‘‘आज एक सपना खत्म हो गया है। एक गीत खामोश हो गया और लौ हमेशा के लिए बुझ गई है। एक ऐसा सपना, जिसमें भुखमरी, भय डर नहीं था। यह ऐसा गीत था जिसमें गीता की गूंज थी तो गुलाब की महक भी थी। वह चिराग की वह रोशनी थी जो पूरी रात जलती थी। हर अंधेरे का इसने सामना किया। इसने हमें रास्ता दिखाया और एक सुबह निर्वाण की प्राप्ति कर ली। हमसे हमारे जीवन के अमूल्य तोहफे को लूट लिया गया। आज भारत माता दुखी है, उन्होंने अपने सबसे कीमती सपूत को खो दिया। मानवता आज दुखी है, उसने अपना सेवक खो दिया। शांति बेचैन है, उसने अपना संरक्षक खो दिया। आम आदमी ने अपनी आंखों की रोशनी खो दी है, पर्दा नीचे गिर गया है। पंडित नेहरू शांति के साधक थे तो साथ ही क्रांति के भी अग्रदूत थे। वह अहिंसा के भी साधक थे लेकिन हथियारों की वकालत की और देश की आजादी और प्रतिष्ठा की भी रक्षा की। 

वह व्यक्तिगत स्वतंत्रता के समर्थक थे साथ ही आर्थिक समानता के भी पक्षधर थे। वह किसी  से भी समझौता करने से नहीं डरते थे लेकिन किसी से भय खाकर समझौता नहीं करते थे। यह दुर्भाग्य है कि उनकी सहजता को कमजोरी समझा गया। मुझे याद है कि मैंने उन्हें काफी नाराज होते हुए देखा था जबकि उनके दोस्त चीन ने सीमा पर तनाव को बढ़ा दिया था। उस वक्त चीन भारत पर पाकिस्तान के साथ कश्मीर मुद्दे पर समझौता करने पर मजबूर कर रहा था लेकिन जब उन्हें बताया गया कि उन्हें दो तरफ से लड़ाई लडऩी पड़ेगी तो वह समझौते के बिल्कुल भी पक्ष में नहीं थे। नेहरू जिस आजादी के समर्थक थे वह आज खतरे में है। हमें उसे बचाना होगा जिस राष्ट्रीय एकता और सम्मान के वह पक्षधर थे वह आज खतरे में है। हमें इसे किसी भी कीमत पर बचाना होगा। जिस लोकतंत्र को उन्होंने स्थापित किया, उसका भविष्य भी खतरे में है। हमें अपनी एकजुटता, अनुशासन, आत्मविश्वास से लोकतंत्र को एक बार फिर सफल बनाना होगा। भारत माता आज शोक मग्न है, उसका लाडला राज कुमार खो गया।’’ 

अटल जी द्वारा नेहरू के संबंध में व्यक्त भावनाएं रुला देने वाली हैं। नेहरू जी के कट्टर विरोधी, जनसंघ के संस्थापक अटल बिहारी वाजपेयी यदि पंडित नेहरू के प्रति इतने आदर्श भाव रखते हैं तो अन्य नेताओं को भी उनका अनुसरण करना चाहिए। पंडित नेहरू ने अपने समय में जो किया देश और समाज के हित में किया। नाहक उन्हें गालियां देना, अपशब्द कहना, उन पर आरोप लगाना चरित्र पर व्यक्तिगत प्रहार करना न तो नेहरू के संबंध में अनर्गल प्रलाप करने वालों को शोभा देता है और न ही ऐसा देश की परम्पराओं के अनुकूल है। आज उनकी पुण्यतिथि पर हम चाचा नेहरू के कदमों में नमन करते हैं।-मा. मोहन लाल(पूर्व परिवहन मंत्री, पंजाब)

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