पुरुषों से ज्यादा महिलाओं में सिगरेट पीने की लत

Edited By Updated: 23 Jul, 2023 04:52 AM

addiction to cigarette smoking in more women than men

1970 के दशक की ‘पूरब और पश्चिम’ इस लिहाज से अपने समय से आगे की फिल्म कही जा सकती है कि हीरोइन सायरा बानो सरेआम सिगरेट सुलगाती नजर आती है। बीते 20 सालों के दौरान ही अपने देश में महिलाओं के धूम्रपान चलन पर सर्वे हुए हैं, ताकि बढ़ी लत पर निगरानी रखी जा...

1970 के दशक की ‘पूरब और पश्चिम’ इस लिहाज से अपने समय से आगे की फिल्म कही जा सकती है कि हीरोइन सायरा बानो सरेआम सिगरेट सुलगाती नजर आती है। बीते 20 सालों के दौरान ही अपने देश में महिलाओं के धूम्रपान चलन पर सर्वे हुए हैं, ताकि बढ़ी लत पर निगरानी रखी जा सके। 2010 के दशक में ही भारतीय महिलाओं में धूम्रपान की लत 1.4 फीसदी से बढ़ कर दोगुनी 2.9 फीसदी हो गई थी। चूंकि यह दुनिया की सिगरेट पीने वाला 8 फीसदी महिला आबादी से फिलहाल बहुत कम ही है। जबकि इससे भी ज्यादा गम्भीर बात है कि इनमें से 25 फीसदी लड़कियों ने 14 से 17 साल की उम्र में सिगरेट पीनी शुरू की। उधर 69 फीसदी औरतों ने 18 से 21 साल में सिगरेट पीने की शुरूआत की। वैसे, हर चौथा व्यस्क सिगरेट पीता है। इस प्रकार, करीब 37 फीसदी से ज्यादा मर्द सिगरेट पीते हैं। 

1990 के शुरूआती सालों के अनुमान के मुताबिक तब अकेले दिल्ली में कम से कम 75 हजार महिलाएं ही सिगरेट पीती थीं। तब महिलाओं में बढ़ती सिगरेट की लत का अंदाजा इसी तथ्य से लगाया जा सकता था कि कुछ ही महीनों में, उनकी खास सिगरेट ‘मिस’ ने 15 फीसदी धूम्र बाजार पर कब्जा जमा लिया था। जानकारों की राय है कि सिगरेट पीने वाली महिलाओं को स्मैक, चरस, गांजा जैसे दूसरे घातक नशों की लत अपेक्षाकृत जल्दी लगती है। यूं सिगरेट के कश से शुरू शौक दलदल बन जाता है। कुछ साल पहले दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के डा. डी. मोहन के सर्वे रिपोर्ट ने जाहिर किया कि सिगरेट पीने वाली हर 20 में से 1 महिला दूसरे नशे भी करती है। 

ग्लोबल एडल्ट तंबाकू सर्वे इंडिया 2016 के मुताबिक भारत में सिगरेट पीने वालों की आबादी 12 करोड़ से ऊपर है। देश में 7,600 खरब सिगरेट को फूंक कर लोगों ने राख के पहाड़ खड़े कर दिए हैं। इससे प्रदूषण फैलता है, सो अलग। सिगरेट और बीड़ी पीने वाले लोगों का अनुपात 1:13 है। साल 1982 से दिल्ली के जी.बी. पंत अस्पताल के नशा-निरोधक क्लिनिक में सैंकड़ों महिला नशेडिय़ों का सफलतापूर्वक इलाज किया जा चुका है। लेकिन यह कामयाबी पहाड़ जैसी विकराल समस्या का बाल भर ही है। केन्द्र सरकार द्वारा नशे की निरन्तर बढ़ती आदतों पर कई दफा विस्तृत सर्वेक्षण किए गए। सर्वे से तथ्य उभर कर सामने आया कि अस्पतालों में आने वाली अधिसंख्य धूम्रपान करने वाली औरतें विवाहित होती हैं और अपने पतियों की नशे की लत छुड़ाने के चक्कर में, विरोधपूर्वक नशा शुरू करती हैं। लेकिन एक बार सिगरेट की लत लग जाए, तो पीछा कहां छोड़ती है? यानी नशेड़ी पतियों को सबक सिखाने के बहाने खुद महिलाएं इस दलदल में धंसने लगती हैं। 

एक नशेड़ी महिला 26 वर्षीय कुसुम आपबीती बताती है, ‘कुछ साल पहले मैं गर्भवती थी। पन्त अस्पताल में दाखिल किया गया। मेरा पति ऑटो चालक था और दिन-रात नशा करता था। मैं पति की करतूतों से तंग आकर, उसके होश ठिकाने लगाने के चक्कर में कश लगाने लगी। मगर पति की लत पर मेरे विरोध के तरीके का रत्ती भर असर नहीं हुआ।’ उसने और बताया, ‘इलाज के बाद मुझे चलने में कठिनाई, बदन दर्द और रात-रात भर नींद न आने की तकलीफ रहती रही।’ हाल ही में, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दुनिया भर की महिलाओं को सिगरेट की लत छोडऩे की बाबत आगाह किया है। बेहद अफसोस जाहिर किया कि शिशु जन्म से पहले ही तम्बाकू सेवन के नुक्सान का शिकार हो जाते हैं। सिगरेट पीने वाली गर्भवती महिलाओं की सन्तानों को अमूमन सांस की तकलीफ, अल्प वजन और धीमे विकास जैसी बीमारियां घेर लेती हैं। 

वैज्ञानिक शोध इस हद तक आगाह करते हैं कि अगर गर्भवती महिला रोजाना 20 सिगरेट से कम फूंकती है, तो शिशु की मृत्यु का खतरा 20 फीसदी बढ़ जाता है। दूसरी परिस्थिति में, अगर रोजाना 20 सिगरेट से अधिक पिए, तो यह खतरा 35 फीसदी पार कर जाता है। विचारणीय है कि यदि सिगरेट इतना नुक्सानदेह है, तो अन्य नशीले पदार्थ क्या कहर ढाएंगे ? 3 दशक पहले विदेशों की देखा- देखी महिलाओं के लिए खास लाइट सिगरेट भारतीय बाजारों में उतारे गए थे। नाम था- ‘मिस’। कुछ ही महीनों में, ‘मिस’ ब्रांड के सिगरेट ने 15 फीसदी तंबाकू बाजार पर कब्जा कर लिया था। दूसरे शब्दों में, राजधानी की प्रीमियम मार्कीट में हर महीने 3000 सिगरेटों में से 500 सिगरेटों का भाग ‘मिस’ के हिस्से आता था। 

खासा हो-हल्ला मचा कि आखिर महिलाओं के खास सिगरेट ‘मिस’ के उत्पादन पर रोक क्यों नहीं लगाई जाती? इसकी उत्पादक ‘गोल्डन तम्बाकू कम्पनी’ की दलील थी कि यदि ‘मिस’ बाजार में न उतारते, तो भी सिगरेट पीने वाली महिलाओं को क्या फर्क पड़ता? महिलाएं किसी अन्य ब्रांड के रैगुलर सिगरेट पीती रहतीं। अगर-मगर के बावजूद औरतों की खास सिगरेट का उत्पादन बंद कर दिया गया। हालांकि विदेश के मुकाबले अपने देश की महिलाओं का नशा करने की आदत की स्थिति बेहतर है। सुविकसित देशों में नशा करने वाले पुरुष-स्त्री का अनुपात 20:11 है। एशियाई और अफ्रीकी देशों में पुरुष-महिलाओं के सिगरेट पीने की लत के अनुपात में बहुत फर्क है। इन देशों में महिला धूम्रपान की दर बहुत कम है-आमतौर पर 5 प्रतिशत से भी कम। इंडोनेशिया में 71प्रतिसत पुरुष धूम्रपान करते हैं, जबकि केवल 4 फीसदी महिलाएं सिगरेट पीती हैं। चीन में सिगरेट पीने का अनुपात 49 फीसदी पुरुष बनाम 2 फीसदी महिलाएं है। मिस्र में करीब आधे पुरुष धूम्रपान करते हैं, जबकि न के बराबर महज 0.4 फीसदी महिलाएं सिगरेट की आदी हैं। 

विशेषज्ञों का मानना है कि सिगरेट पीने वाली महिलाओं को दूसरे नशों की लत अपेक्षाकृत जल्दी लगती है। इसलिए महिलाओं का सिगरेट पीने की आदत पर नजर रखना अत्यंत जरूरी है। वरना जो राजस्व आज सरकार को तम्बाकू की बिक्री से मिल रहा है, बीसेक साल बाद उससे दोगुनी रकम सिगरेट, बीड़ी और अन्य नशा संबंधी बीमारियों के उपचार और रोकथाम करने में खर्च करनी पड़ेगी। तय है कि महिलाओं  की सिगरेट की लत पुरुषों से कहीं ज्यादा घातक है, क्योंकि उनसे आने वाली पीढिय़ों का जन्म जुड़ा है।-अमिताभ स. 
 

IPL
Royal Challengers Bengaluru

190/9

20.0

Punjab Kings

184/7

20.0

Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

RR 9.50
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!