येस बैंक संकट के लिए बैंकिंग प्रणाली की ‘खामियां’ जिम्मेदार

Edited By ,Updated: 16 Mar, 2020 04:19 AM

banking  flaws  responsible for yes bank crisis

नीरव मोदी, विजय माल्या और चंदा कोचर द्वारा बैंकों को चूना लगाए जाने के बाद सामने आया येस बैंक का संकट इस बात की गवाही देता है कि हमने नीरव मोदी के घोटाले से कुछ नहीं सीखा। येस बैंक का मौजूदा संकट भी बैंकिंग प्रणाली की विफलता का नतीजा है। इस संकट की...

नीरव मोदी, विजय माल्या और चंदा कोचर द्वारा बैंकों को चूना लगाए जाने के बाद सामने आया येस बैंक का संकट इस बात की गवाही देता है कि हमने नीरव मोदी के घोटाले से कुछ नहीं सीखा। येस बैंक का मौजूदा संकट भी बैंकिंग प्रणाली की विफलता का नतीजा है। इस संकट की तह तक जाने के लिए हमें सबसे पहले यह समझना होगा कि बैंकिंग प्रणाली काम कैसे करती है और इस प्रणाली में ऐसी कौन-सी खामियां हैं जिनका फायदा उठा कर आम लोगों की गाढ़ी कमाई को अरबों का चूना लगा दिया जाता है। 

दरअसल बैंक एक बोर्ड के जरिए काम करता है और बोर्ड में बैंक के निदेशकों के अलावा आर.बी.आई. द्वारा नामित एक निदेशक भी होता है और इन सबके ऊपर बैंक के चेयरमैन की पोस्ट होती है। सामान्य तौर पर यदि कोई व्यक्ति छोटा लोन लेने जाए तो उसकी मंजूरी के लिए तमाम कागजी औपचारिकताएं पूरी की जाती हैं लेकिन जब बात बड़े लोन की आती है तो बैंक का बोर्ड इस पर फैसला लेता है लेकिन बैंकों के बोर्ड में ऐसे लोग निदेशक बनाए जाते हैं जिन्हें विषय की जानकारी कम होती है और वे बोर्ड की बैठकों में औपचारिकता पूरी करने ही जाते हैं, लिहाजा सारे फैसले चेयरमैन के स्तर पर होते हैं और चेयरमैन कई मामलों में अपने अधिकारों का या तो गलत इस्तेमाल कर लेता है या उसकी मंशा ठीक होते हुए भी उससे गलती हो जाती है क्योंकि वहां चेयरमैन के फैसले पर तथ्यों के आधार पर उंगली उठाने वाला कोई नहीं होता। 

बड़े कर्ज को मंजूरी दिए जाने के मामलों में बैंक के चेयरमैन पर राजनीतिक दबाव भी हो सकता है और उसकी अपनी मंशा भी खराब हो सकती है। इसके अलावा कई बार ऐसा होता है कि बैंक अपने आक्रामक बिजनैस मॉडल के जरिए भी बड़े लोन मंजूर कर देता है क्योंकि बैंक के पास इतना ज्यादा डिपॉजिट होता है कि बड़े कर्ज देना उसकी मजबूरी हो जाती है। 

येस बैंक के मामले में सबसे ज्यादा परेशान करने वाली बात यह है कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को 2017 में ही बैंक की आर्थिक हालत का पता लग गया था लेकिन इसके बावजूद कोई बड़ी कार्रवाई नहीं की गई और बैंक को बड़े लोन देने से नहीं रोका गया। यदि यह सरकारी बैंक होता तो इस पर प्रॉम्प्ट करैक्टिव एक्शन लेते हुए इसे कर्ज देने से रोक लिया जाता लेकिन रिजर्व बैंक ने येस बैंक के मामले में ऐसा नहीं किया। यदि येस बैंक को पिछले 3 साल में कर्ज देने से रोक दिया जाता तो शायद हालात पर काबू पाया जा सकता था। येस बैंक देश के सबसे तेजी से बढ़ते बैंकों में से एक है और बैंक का ग्रॉस एन.पी.ए. 3.28 फीसदी है जबकि एन.पी.ए. की राष्ट्रीय औसत 10 फीसदी है इस लिहाज से बैंक की सेहत बहुत अच्छी मानी जा सकती है लेकिन इसके बावजूद बैंक यदि संकट में है तो इसके लिए बैंकिंग प्रणाली में मौजूद वे छेद जिम्मेदार हैं जिनका इस्तेमाल करके बैंकों का पैसा गलत हाथों में जा रहा है। 

येस बैंक के संकट को सुलझाने के लिए हालांकि सरकार ने दखल दिया है लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि जमाकत्र्ताओं का भरोसा वापस कैसे लौटेगा? बैंक का भविष्य इस बात पर निर्भर करेगा कि आर.बी.आई. द्वारा तय किए गए समय के बाद जमाकत्र्ता बैंक में कितनी लंबी लाइन लगाते हैं। निश्चित तौर पर इस पूरे संकट के बाद बैंक के ग्राहक परेशान हैं और उन्हें अपना पैसा डूबता दिखाई दे रहा है। लिहाजा येस बैंक के बाहर लोगों की कतार लगना लाजिमी है। जमाकत्र्ताओं का भरोसा वापस लाने के लिए सरकार को कदम उठाने पड़ेंगे और उन सारे कारणों को जनता के सामने लाना पड़ेगा जिनके कारण बैंक की यह हालत हुई है। पिछले 5 महीनों से बैंक के कारोबार संबंधी डिटेल सार्वजनिक नहीं की गई है। लिहाजा यह सवाल खड़ा हो रहा है कि इन 5 महीनों में बैंक का एन.पी.ए. कितना बढ़ा है और बैंक को कितना घाटा हुआ है। इसके साथ यह भी सवाल है कि पिछले 5 महीनों में कितने जमाकत्र्ताओं ने अपने पैसे बैंक में से निकाले हैं? 

सरकार बैंक को बचाने के लिए रिवाइवल प्लान ला रही है और इस प्लान के तहत ही स्टेट बैंक ऑफ इंडिया येस बैंक के शेयर खरीदने जा रहा है लेकिन यदि बैंक को बचाना है तो इसके विलय के बारे में क्यों नहीं सोचा गया। सरकार का रिवाइवल प्लान निवेशकों और जमाकत्र्ताओं का भरोसा कैसे जीतेगा? बैंक के सी.ई.ओ. राणा कपूर को जब जनवरी 2019 में हटा दिया गया था तो एन्फोर्समैंट डायरैक्टोरेट ने राणा कपूर के खिलाफ कार्रवाई करने में एक साल से ज्यादा समय क्यों लगा दिया? क्या सरकार बैंकिंग प्रबंधकों को यह संदेश देना चाहती है कि वे गड़बड़ करके भी लंबे समय तक बचे रह सकते हैं? 

भविष्य में ऐसे संकट से कैसे बचें
इस संकट के बाद सबसे बड़ा सवाल यह है कि भविष्य में इस तरह के संकट से कैसे बचा जा सकता है? इसके लिए रिजर्व बैंक को बैंकों के भीतर लोकपाल की व्यवस्था करनी पड़ेगी। हालांकि बैंकों के लिए आर.बी.आई. का एक लोकपाल काम करता है लेकिन वह आंतरिक लोकपाल नहीं है। जब बैंक के अंदर से आंतरिक लोकपाल काम करेगा तो वह चेयरमैन के फैसले पर भी सवाल उठा सकेगा। इसके अलावा बैंकों की हैल्थ का एक बुलेटिन रोजाना जारी होना चाहिए जिसमें बैंक को लेकर सामान्य भाषा में जानकारी हो और यह बुलेटिन जमाकत्र्ता और शेयर होल्डर के मोबाइल पर रोजाना डिलीवर होना चाहिए ताकि लोगों को पता लग सके कि जिस बैंक में उसका पैसा जमा है वह किस तरह के वित्तीय हालात में है। बैंक को लेकर किसी भी तरह की खबर बिजनैस की अखबारों में ही आती है लिहाजा जमाकत्र्ताओं का एक बड़ा वर्ग बैंक से संबंधित खबरों से अछूता रह जाता है। ये खबरें भी बैंक के जमाकत्र्ताओं तक पहुंचाने की व्यवस्था होनी चाहिए। बैंकों में नियुक्त होने वाले स्वतंत्र निदेशक अपनी फील्ड के माहिर व्यक्ति होने चाहिएं। 

मान लीजिए किसी बैंक ने एयरलाइन को कर्ज देना है और उस कर्ज को लेकर एयरलाइन की अंदरूनी हालत के विश्लेषण के लिए इस फील्ड का माहिर व्यक्ति ही बोर्ड को सलाह दे तो नुक्सान से बचा जा सकता है। ऐसे व्यक्ति स्पैशल इन्वाइटी के तौर पर रखे जा सकते हैं। बैंकों की खराब हालत के लिए रेटिंग एजैंसियों की जिम्मेदारी तय करना भी जरूरी है। रेटिंग एजैंसियां अपने हिसाब से बैंकों की रेटिंग कर देती हैं लेकिन जब येस बैंक जैसा संकट सामने आता है तो एजैंसियों की रेटिंग रातों-रात बदल जाती है। इन एजैंसियों की रेटिंग के लिए सरकार को नियम व कायदे बनाने चाहिएं ताकि भविष्य में येस बैंक जैसा मामला सामने न आए। देश के सारे बैंक इसी बैंकिंग प्रणाली के तहत काम कर रहे हैं जिस प्रणाली के तहत येस बैंक, पी.एन.बी. और आई.सी.आई.सी.आई. बैंक काम कर रहे थे। लिहाजा बैंकिंग प्रणाली में मौजूद खामियों को दूर करना समय की जरूरत है ताकि आने वाले समय में इस तरह की वित्तीय गड़बडिय़ों पर काबू पाया जा सके।-(लेखक स्टेट बैंक ऑफ पटियाला के पूर्व निदेशक हैं)-अश्विनी गुप्ता           

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!