बीजिंग विंटर ओलिम्पिक्स और इसका बहिष्कार

Edited By Updated: 22 Jan, 2022 06:13 AM

beijing winter olympics and its boycott

रूस को अलग-थलग करने के लिए पूर्व अमरीकी राष्ट्रपति जिमी कार्टर ने 1980 में 24 दिसंबर 1979 को अफगानिस्तान पर हमले के मुद्दे को लेकर मास्को गेम्स का बहिष्कार करने को कहा

रूस को अलग-थलग करने के लिए पूर्व अमरीकी राष्ट्रपति जिमी कार्टर ने 1980 में 24 दिसंबर 1979 को अफगानिस्तान पर हमले के मुद्दे को लेकर मास्को गेम्स का बहिष्कार करने को कहा था। मगर ज्यादातर अमरीका के यूरोपियन सहयोगी देशों ने जिमी कार्टर का समर्थन करने से परहेज किया था।

हालांकि इसके कुछ प्रभाव देखने को मिले मगर अमरीकी सपना पूरी तरह से पूरा नहीं हुआ क्योंकि अमरीकी एथलीट गोल्ड, सिल्वर तथा ब्रोंका मैडल नहीं जीत पाए। इसके जवाब में सोवियत यूनियन तथा उसके एक दर्जन के करीब सहयोगी देशों ने उसके नेतृत्व में 1984 के लास एंजल्स ओलम्पिक खेलों का बहिष्कार किया था। 

अमरीकी राष्ट्रपति ने बीजिंग विंटर लिम्पिक्स के बहिष्कार के लिए आवाज उठाई : यह मात्र एक संयोग ही होगा कि एक शक्तिशाली कम्युनिस्ट देश चीन इस बार एक अन्य अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के निशाने पर है। बाइडेन ने बीजिंग विंटर ओलिम्पिक्स के बहिष्कार का एक कूटनीतिक निर्णय लिया है। उन्हें कुछ ही देशों का समर्थन हासिल होगा। इन खेलों की शुरूआत होने में तीन सप्ताह का समय बचा है। 

चीन पर उईगर लोगों के मानवाधिकारों के उल्लंघन करने का आरोप लग रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि अमरीकी राष्ट्रपति बाइडेन ने बीजिंग के मानवाधिकार उत्पीडऩ के खिलाफ कूटनीतिक बहिष्कार का एक मध्य रास्ता अख्तियार किया है। चीन पर यह आरोप शिनजियांग प्रांत में उईगर लोगों के साथ हो रहे भेदभावपूर्ण व्यवहार का है। 

रिपोर्टों के अनुसार चीन ने जेलों तथा कैंपों में एक मिलियन से भी ज्यादा उईगर लोगों को बंद रखा है। उनके बच्चों तथा महिलाओं का उत्पीडऩ हो रहा है और वे प्रताडि़त किए जा रहे हैं। हालांकि चीन ने निर्भीक होकर ऐसे आरोपों को आधारहीन बतलाया है तथा इनसे इंकार किया है। वहीं बीजिंग ने भी खेलों के ऐसे बहिष्कार को लेकर अपने कड़े तेवर दिखाए हैं और अमरीका पर इसकी जवाबी कार्रवाई करने का मन बनाया है। 

अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक कमेटी का कड़ा रुख : अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक कमेटी ने इस मामले में कड़ा रुख अपनाया है तथा विंटर ओलिम्पिक्स के साथ जाने का वायदा किया है। उसका कहना है कि बहिष्कार करने की यह कॉल कोई मायने नहीं रखती और न ही एथलीटों और न ही दर्शकों के उत्साह में कोई कमी देखी जाएगी।

उल्लेखनीय है कि अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक कमेटी सीधे तौर पर दूसरी बार इन खेलों को देरी करने से परहेज कर रही है। टोक्यो ओलम्पिक गेम्स 2020 में आयोजित होने थे जिन्हें एक वर्ष तक टाल दिया गया था।

ओलिम्पिक्स को आयोजित करने में कोविड की कोई अड़चन नहीं : इसके विपरीत विंटर ओलिम्पिक्स के आयोजनकत्र्ता चीन ने कोविड-19 को लेकर ‘जीरो टॉलरैंस’ की नीति अपनाई है। वह किसी प्रकार की ढील नहीं बरतना चाहता। 4 फरवरी से 20 फरवरी तक होने वाली इन खेलों को लेकर सभी दिशा-निर्देशों की पालना होगी। चीनी प्रशासन ने भी इसके लिए कमर कस ली है और एक्शन प्लान को अंतिम रूप दे दिया है जिसके तहत हजारों की तादाद में खेल से संबंधित अधिकारी, कर्मचारी, वालंटियर्स, सफाई कर्मी, कुक तथा कोच, ड्राइवरों पर निगरानी रखी जाएगी। बाहरी दुनिया से कोई भी सीधा स पर्क नहीं किया जा सकेगा। 

विशेषज्ञों का मानना है कि अमरीकी निर्णय के दूरअंदेशी प्रभाव होंगे। बहिष्कार के माध्यम से राष्ट्रपति बाइडेन अपने दो उद्देश्यों की पूर्ति चाहते हैं। पहला यह कि वह चीन के पाखंड को लेकर उसे नंगा करना चाहते हैं क्योंकि अमरीका का मानना है कि चीन ने मानवीय अधिकारों का उल्लंघन किया है तथा इनकी पूरी अनदेखी की है। उईगर मुसलमानों पर चीन ने ज्यादतियां की हैं। उईगर मुसलमानों के लिए चीन में बड़े-बड़े सामूहिक जेलखाने तथा कैंप बने हुए हैं जहां पर उनकी नसबंदी तथा बंध्याकरण किया जाता है। दूसरी बात यह है कि यह केवल अधिकारियों का बहिष्कार है न कि एथलीटों का। घरेलू तौर पर भी एथलीट ज्यादा आलोचना का सामना नहीं कर रहे। दुनिया की नजरों में चीन को अलग-थलग करने का यह बचकाना प्रयास है। 

180 से ज्यादा मानवाधिकार संगठनों ने बहिष्कार का समर्थन किया : विश्व भर में 180 से ज्यादा मानवाधिकार संगठनों ने बहिष्कार की काल का समर्थन किया है। उईगर मुसलमानों के खिलाफ उत्पीडऩ के प्रति अमरीकी कांग्रेस के सदस्यों ने चिंता व्यक्त की है। इसके साथ-साथ हांगकांग में चीन द्वारा बोलने की स्वतंत्रता पर भी अंकुश लगाया जाता है। विंटर ओलम्पिक के बहिष्कार की कॉल से उन देशों के लिए एक मौका है जो ड्रैगन पर अपराधों की जवाबदेही तय करना चाहते हैं। 

इससे पूर्व ओलम्पिक खेलों का पहला बहिष्कार 1976 में किया गया था जब करीब 30 अफ्रीकी राष्ट्रों ने मांट्रियाल गेम्स का बहिष्कार किया था। उन्होंने तर्क दिया था कि न्यूजीलैंड की रग्बी टीम ने नस्लवादी दक्षिण अफ्रीका का दौरा किया था। इस कारण न्यूजीलैंड को खेलों से दूर रखना चाहिए। मगर जर्मनी में 1936 में नाजी ओलिम्पिक्स का कोई बहिष्कार नहीं किया गया जोकि हिटलर की नाजी पार्टी के नियंत्रण में थे।-के.एस. तोमर

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