आतंकवादियों, चरमपंथियों की पनाहगाह बना कनाडा

Edited By ,Updated: 24 Sep, 2023 04:47 AM

canada has become a haven for terrorists and extremists

खालिस्तान समर्थक हरदीप निज्जर की हत्या को लेकर भारत-कनाडा के बीच कूटनीतिक विवाद जारी है। कनाडा आतंकवादियों, चरमपंथियों की पनाहगाह बन गया है। खालिस्तान समर्थक की हत्या पर भारत के खिलाफ जस्टिन ट्रूडो के आरोपों में पूर्वाग्रह है।

खालिस्तान समर्थक हरदीप निज्जर की हत्या को लेकर भारत-कनाडा के बीच कूटनीतिक विवाद जारी है। कनाडा आतंकवादियों, चरमपंथियों की पनाहगाह बन गया है। खालिस्तान समर्थक की हत्या पर भारत के खिलाफ जस्टिन ट्रूडो के आरोपों में पूर्वाग्रह है। उनके आरोप हत्या होने के महीनों बाद आए हैं। कनाडा का भारत विरोधी आतंकियों के प्रति नरम रुख का कड़ा प्रतिरोध बहुत जरूरी था। भारत के ताजा कदम में कनाडा स्थित भारतीय उच्चायोग में अगली सूचना तक वीजा सेवाओं को निलंबित कर दिया गया है। 

भारत-कनाडा के बीच तल्खी में हर दिन इजाफा जहां चिंताजनक है, वहीं कनाडा का भारत विरोधी आतंकियों के प्रति जो नरम रुख है, उसके कड़े प्रतिरोध के लिए भारतीय पहल बहुत जरूरी है। यह ऐसा अवसर है कि  देशहित में अप्रिय फैसलों के लिए मजबूर होना ही होगा। यह बहुत गंभीर बात है कि 2 देशों के बीच इतना सब होने के बावजूद भारत विरोधी मुट्ठी भर आतंकियों ने कनाडा में रह रहे हिंदुओं को सीधे धमकी दी है। भारत के पड़ोस से प्रशिक्षित इन आतंकियों की पीठ पर कनाडा का हाथ है, और उनकी बोली आक्रामक हो गई है। कनाडा सरकार का व्यवहार संतुलित व न्यायपूर्ण नहीं है। अपने देश में नागरिक स्वतंत्रता को बहाल करना सही है, पर अपनी धरती पर सक्रिय आतंकियों के पक्ष में खड़े हो जाना मानवता के साथ अपराध से कम नहीं है। 

ट्रूडो सरकार को जवाब देना चाहिए कि कनाडा में जब आतंकियों ने ‘किल इंडिया’ के घातक पोस्टर लगाए तो उनके मुंह में दही क्यों जमा रहा? निज्जर पर भारत में अनेक मामले  दर्ज थे, भारत के बार-बार कहने के बावजूद उसके या अन्य आतंकियों के प्रति कनाडा का नरम रुख निंदनीय है। आश्चर्य है कि चंद आतंकियों को बचाने की कोशिश में कनाडा सरकार विश्व की सबसे प्राचीन संस्कृति भारत से अपने संबंधों को खराब करने में लगी है। इतिहास गवाह है कि जिन देशों ने आतंकियों को पनाह दी है, उनको बाद में इसकी कीमत चुकानी पड़ी है। इसी कूटनीतिक विवाद के बीच पंजाब के सर्वाधिक वांछित अपराधियों में से एक गैंगस्टर सुखदुल सिंह उर्फ सुक्खा की अज्ञात लोगों ने कनाडा के विनीपेग शहर में हत्या कर दी। वह कथित तौर पर खालिस्तान समर्थक संगठनों से जुड़ा था। सूत्रों के अनुसार वह कनाडा स्थित खालिस्तान आप्रेटिव  अर्शदीप सिंह उर्फ अर्श डाला से जुड़ा था। 

इसी साल विदेश में आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या से पहले 3 कुख्यात खालिस्तानी आतंकियों की मौतें हुई हैं, लेकिन बवाल सिर्फ कनाडा के सरी में हुई हरदीप सिंह  निज्जर की मौत पर ही मचाया जा रहा है। तीनों मौतें या हत्याएं 3 ऐसे देशों में हुई हैं, जहां से खालिस्तानी संगठन आप्रेट होते हैं। निज्जर कनाडा में अक्सर हिंसक होने वाली गुरुद्वारा राजनीति से जुड़ा रहा। वह 1985 के आई.सी.182 कनिष्क विमान हादसे के प्रमुख साजिशकत्र्ता रिपुदमन सिंह मलिक के साथ लंबे समय तक टकराव में भी उलझा रहा। इस दुर्घटना में 329 लोग मारे गए थे। 

निज्जर ने मलिक द्वारा गुरु ग्रंथ साहिब की प्रतियों की छपाई और वितरण पर आपत्ति जताई थी और इन प्रतियों के साथ-साथ मलिक की मुद्रण इकाई को भी जब्त कर लिया था। मलिक ने निज्जर पर स्पष्ट रूप से विदेशी सरकार की कुछ एजैंसियों के इशारे पर काम करने का आरोप लगाया था। जानकारी के मुताबिक 23 जनवरी, 2022 को सरी में निज्जर ने मलिक के खिलाफ एक घंटे से अधिक समय तक हंगामा किया था और उसे ‘कौम दा गद्दार’ और एजैंट बताया था। 

इसके बाद मलिक की 22 जून, 2022 को 2 लोगों द्वारा एक गिरोह-शैली में हत्या कर दी गई थी। साऊथ एशिया टेररिज्म पोर्टल और इंस्टीच्यूट ऑफ कनफ्लिक्ट मैनेजमैंट के कार्यकारी निदेशक अजय साहनी ने अपने आलेख में लिखा कि 45 दिनों की अपेक्षाकृत संक्षिप्त अवधि में विदेशों में 3 खालिस्तानी चरमपंथियों की मौत निश्चित रूप से आश्चर्यजनक है और इसकी बारीकी से जांच की आवश्यकता हो सकती है। भारत हमेशा से सभी देशों से मधुर संबंध बनाने के लिए प्रयत्नशील रहा है। ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ का ध्येय हमारी विदेश नीति का मूल आधार रहा है।-सुखदेव वशिष्ठ 

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