पाकिस्तान से परेशान हुआ ईरान, लिया ये बड़ा फैसला

Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 22 May, 2025 08:30 PM

iran got upset with pakistan took this big decision

ईरान इन दिनों दोहरे खतरे से जूझ रहा है। एक ओर पाकिस्तान से हो रही आतंकी गतिविधियां और तस्करी ने परेशानी बढ़ा रखी है, तो दूसरी ओर अफगानिस्तान से अवैध घुसपैठ ने सीमावर्ती इलाकों की सुरक्षा को खतरे में डाल दिया है।

इंटरनेशलन डेस्क: ईरान इन दिनों दोहरे खतरे से जूझ रहा है। एक ओर पाकिस्तान से हो रही आतंकी गतिविधियां और तस्करी ने परेशानी बढ़ा रखी है, तो दूसरी ओर अफगानिस्तान से अवैध घुसपैठ ने सीमावर्ती इलाकों की सुरक्षा को खतरे में डाल दिया है। ऐसे में ईरान सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए अफगानिस्तान और पाकिस्तान से सटी सीमा पर दीवार बनाने की प्रक्रिया तेज कर दी है। भारत लंबे समय से पाकिस्तान की आतंकी चालों का शिकार रहा है। लेकिन अब पाकिस्तान की ये हरकतें उसके दूसरे पड़ोसी ईरान को भी सीधे तौर पर प्रभावित कर रही हैं। ईरान ने पाकिस्तान पर खुलकर आरोप लगाया है कि वह आतंकी संगठनों को पनाह देता है और सीमा पार से हमलों की अनदेखी करता है। इसी वजह से ईरान अब कड़ी कार्रवाई की ओर बढ़ गया है। 

दीवार बनाने का फैसला अचानक नहीं, दो साल पहले हुई थी शुरुआत

ईरान ने सीमा पर दीवार बनाने का विचार नया नहीं लिया है। करीब दो साल पहले ही इस परियोजना की शुरुआत की गई थी। अब तक 120 किलोमीटर दीवार का निर्माण पूरा हो चुका है, और हाल ही में इसमें 22 किलोमीटर का और विस्तार हुआ है। ईरान का लक्ष्य है कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान से लगती लगभग 953 किलोमीटर लंबी सीमा को मजबूत दीवार से सील कर दिया जाए। इस परियोजना के तहत ईरान के रजावी खोर क्षेत्र में ही करीब 300 किलोमीटर दीवार का काम प्रगति पर है। इसके अलावा, सिस्तान और बलूचिस्तान जैसे सीमावर्ती इलाके आतंकवाद और घुसपैठ से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। यहां आए दिन सुरक्षा बलों पर हमले होते हैं।

जनरल बघेरी ने खुद संभाला मोर्चा

ईरान के सेना प्रमुख मेजर जनरल मोहम्मद बघेरी ने हाल ही में सिस्तान और बलूचिस्तान का दौरा किया। उन्होंने सीमा पर तैनात वरिष्ठ अधिकारियों और कमांडरों के साथ बैठक की और निर्देश दिया कि दीवार निर्माण का काम प्राथमिकता के आधार पर जल्द से जल्द पूरा किया जाए। ईरान की सबसे बड़ी चिंता है अफगान सीमा से लगातार हो रही अवैध घुसपैठ और पाकिस्तान की ओर से हो रही आतंकी घुसपैठ व तस्करी। यही वजह है कि दीवार बनाने में अब तेजी लाई जा रही है। विशेष रूप से पूर्वी सीमा को सबसे पहले कवर किया जा रहा है क्योंकि वहां की सुरक्षा स्थिति अत्यंत अस्थिर है।

जैश अल-अदल का आतंक, सैकड़ों जवान मारे गए

ईरान के लिए जैश अल-अदल एक बड़ी चुनौती बन चुका है। यह आतंकी संगठन ईरान के सीमावर्ती इलाकों में कई हमले कर चुका है। अक्टूबर 2023 में तफ्तान क्षेत्र में हुए हमले में 10 फौजी और पुलिसकर्मी मारे गए थे। बीते चार वर्षों में 100 से ज्यादा ईरानी सुरक्षाकर्मी इस संगठन के हमलों में अपनी जान गंवा चुके हैं। जनवरी 2024 में ईरान ने पाकिस्तान के भीतर बलूचिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक कर आतंकियों को निशाना बनाया था। इसके जवाब में पाकिस्तान ने भी मिसाइलें दागी और दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया। इस घटना ने साबित किया कि ईरान अब सीमा सुरक्षा को लेकर कोई समझौता नहीं करेगा।

क्या दीवार से रुकेंगी घुसपैठ और आतंकी घटनाएं?

सवाल यह है कि क्या दीवार बनाने से ईरान की सुरक्षा की चुनौती पूरी तरह खत्म हो जाएगी? विशेषज्ञ मानते हैं कि दीवार सिर्फ एक सुरक्षात्मक उपाय है, लेकिन जब तक सीमापार आतंकवाद पर कूटनीतिक दबाव नहीं बनेगा, तब तक यह खतरा बना रहेगा। हालांकि, दीवार से तत्काल राहत जरूर मिल सकती है, खासकर सीमावर्ती गांवों और सुरक्षाबलों को।

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