ताईवान पर चीन अमरीका में आर-पार

Edited By ,Updated: 03 Jul, 2021 04:54 AM

china crosses over taiwan into america

चीन की अपने हर एक पड़ोसी से तनाव भरी स्थिति चल रही है, इस बार भी चीन की गर्मा-गर्मी अपने चिर-परिचित प्रतिद्वंद्वी अमरीका से है और वह भी अपने पड़ोसी देश ताईवान को लेकर

चीन की अपने हर एक पड़ोसी से तनाव भरी स्थिति चल रही है, इस बार भी चीन की गर्मा-गर्मी अपने चिर-परिचित प्रतिद्वंद्वी अमरीका से है और वह भी अपने पड़ोसी देश ताईवान को लेकर। चीन इस समय अमरीका से इतना भन्नाया हुआ है कि उसने अमरीका को धमकी तक दे डाली है। इधर अमरीका और ताईवान की सैन्य नजदीकियां बढ़ने लगीं तो चीन की पेशानी पर बल पडऩे लगे और इसी बात को लेकर चीन ने अमरीका को धमकी भरे अंदाज में कह दिया कि ताईवान से दूर रहो। 

चीन के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता रेन वू छियांग ने कहा कि चीन अपने पड़ोसी ताईवान को जोडऩे में भरोसा रखता है। अगर चीन के इस काम में किसी बाहरी देश ने दखल दिया तो चीन उसका पुरजोर विरोध करेगा। अंतर्राष्ट्रीय कानूनों से अलग चीन ताईवान को एक संप्रभु राष्ट्र मानने से इंकार करता है। इस बात का हवाला देते हुए छियांग ने अमरीका से ताईवान के साथ सैन्य स पर्क बढ़ाने का विरोध किया है और चेतावनी देते हुए अमरीका को ताईवान से सभी सैन्य स पर्क तोडऩे को कहा है। 

इससे पहले भी चीन जी-7 देशों की बैठक में ताईवान का मुद्दा उठाए जाने पर अमरीका पर भड़का हुआ था। चीनी प्रवक्ता रेन वू ने अपने आक्रामक बयान में कहा कि वर्तमान में चीन को फिर से एक करना एक ऐतिहासिक जरूरत है जिसे चीन पूरा करेगा और इसे कोई भी नहीं रोक सकता। ताईवान चीन का हिस्सा है, अगर इस मुद्दे पर किसी ने हस्तक्षेप किया तो फिर इसका परिणाम भीषण युद्ध होगा। 

अपनी आक्रामकता का सबूत देते हुए चीन ने अभी हाल ही में अपने 28 लड़ाकू विमानों को ताईवान भेजा था जिसकी पुष्टि ताईवान के रक्षा मंत्रालय ने की थी। ताईवान के रक्षा मंत्रालय का कहना है कि पिछले वर्ष से चीनी लड़ाकू विमान लगभग रोज ताईवान की तरफ उड़ान भरते हैं। हालांकि चीन की इस हरकत की जी-7 देशों ने निंदा की थी लेकिन इस गुट की सीधे तौर पर अनदेखी करते हुए चालबाज चीन ने कहा था कि यह चीन का नियमित सैन्या यास है। 

चीन जिस तरह से ताईवान पर अपनी आंख गड़ाए बैठा है, वैसे ही वह अपने निकट और दूरस्थ पड़ोसियों की जमीनों पर पैनी नजर बनाए रखता है और मौका मिलते ही उसे हड़पने की पूरी कोशिश करता है। ताईवान के खिलाफ अभी तक चीन ने जितने भी अभियान चलाए हैं ताईवान ने चीन को उसका जमकर जवाब दिया है। इसके अलावा ताईवान को अमरीका से पूरा सैन्य समर्थन  मिल रहा है जिससे ताईवान ने अपनी रक्षात्मक प्रणाली को मजबूत बनाया है। 

ताईवान जानता है कि वह चीन की भारी-भरकम सेना और हथियारों के सामने टिक नहीं सकता इसलिए उसने अमरीका की मदद से और बाद में अपने देश में शोध कर मिसाइलों का बड़ा जखीरा जमा कर लिया है। जब भी चीन के लड़ाकू विमान ताईवान की वायु सीमा का उल्लंघन करते हैं, तब ताईवान उन्हें अपने राडार के निशाने पर ले लेता है जिससे चीनी लड़ाकू विमान आगे की कार्रवाई नहीं कर पाते।

इस बीच ताईवान के लिए बड़ी राहत वाली बात यह है कि अमरीकी व्हाइट हाऊस की प्रवक्ता जेन साकी ने कहा है कि बाइडेन प्रशासन खुलकर और पूरी तरह ताईवान के साथ है। अमरीका एक लोकतांत्रिक देश का साथ हमेशा देता रहेगा। ताईवान की अर्थव्यवस्था बहुत मजबूत है, अमरीका ताईवान का रक्षा सहयोगी है इसलिए भी ताईवान पर किसी भी खतरे को अमरीका अपने ऊपर आए खतरे के तौर पर देखता है। 

इस वर्ष अप्रैल में पलाऊ के अमरीकी राजदूत ने ताईवान की यात्रा की थी जो किसी भी अमरीकी अधिकारी की वर्ष 1979 के बाद पहली आधिकारिक यात्रा है। जून की शुरूआत में टोनी ब्लिंकेन ने कहा था कि अमरीका और ताईवान आगामी वाणिज्यिक बैठक की योजना बना रहे हैं, जिसमें दोनों देशों के व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने को लेकर बात होगी। 

ताईवान को लेकर अमरीका की इन सारी गतिविधियों से चीन बुरी तरह से बौखला गया है। चीन अब भी ताईवान को खुद से अलग हुआ एक प्रांत मानता है, जो स्वयंभू राष्ट्र की तरह व्यवहार कर रहा है। चीन की आक्रामकता को लेकर दुनिया के बड़े देशों को एक मंच पर आना होगा और एक व्यापारिक देश से सैन्य तानाशाही की तरफ बढ़ते चीन के कदमों पर लगाम लगानी होगी नहीं तो आने वाले दशक में पूरे दक्षिण-पूर्वी एशिया में अस्थिरता और अशांति फैलेगी जिसका अगला असर दक्षिण एशियाई देशों पर पड़ेगा। अगर चीन को अभी नहीं रोका गया तो वैश्विक शांति स्थिरता के साथ वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी चीन के बढ़ते कदमों का नकारात्मक असर होगा।
 

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