भारत की मुसीबत के समय चीन की नीच हरकत

Edited By ,Updated: 03 May, 2021 11:37 AM

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इन दिनों भारत कोरोना वायरस महामारी इन के भयंकर आक्रोश का शिकार हो रहा है भारत में इन दिनों कोरोना के इतने ज्यादा मरीज अस्पतालों का रुख करने लगे हैं कि पूरे देश की मैडीकल व्यवस्था चरमरा गई है, हजारों मरीज रोजाना काल के गाल में समा रहे हैं. कोई...

इन दिनों भारत कोरोना वायरस महामारी इन के भयंकर आक्रोश का शिकार हो रहा है भारत में इन दिनों कोरोना के इतने ज्यादा मरीज अस्पतालों का रुख करने लगे हैं कि पूरे देश की मैडीकल व्यवस्था चरमरा गई है, हजारों मरीज रोजाना काल के गाल में समा रहे हैं. कोई अस्पताल में बिस्तर नहीं मिलने से मर रहा है तो किसी को ऑक्सीजन नहीं मिल रही है।

 

वहीं मृतकों को जलाने के लिए श्मशान में जगह भी नहीं मिल रही है। ऐसे हालात में अमरीका ने भारत की मदद के नाम पर पहले ही बात साफ कर दी थी कि उसकी फूट प्राथमिकता अमरीकी नागरिक हैं, लेकिन लंबी चुप्पी के बाद अमरीका में जब उसके सांसदों का दबाव पड़ा और घर में ही बाइंडेन की आलोचना होने लगी तब अमरीका भारत की मदद को आगे आया, दरअसल कोरोना काल के शुरुआती दौर में जब अमरीका को दवाओं की जरूरत थी तब भारत ने उसकी मदद की थी।

 

चीन के सरकारी मुखपत्र 'ग्लोबल टाइम्स' ने दो दिन पहले अपने पहले पत्रे पर एक खबर छपी जिसका शीर्षक लिखा कि भारत में फैली महामारी ने अमरीका और पश्चिम की पोल खोली, अखबार इस माध्यम से यह कहना चाह रहा था कि भारत की मुसीबत के समय अमरीका और पूरा पश्चिमी साधे खड़ा है जबकि अमरीका भारत को अपने चन विरोधी पर सवार कर उसका इस्तेमाल रहा है भारत की मुसीबत के स अमरीका की कोई मदद नहीं कर रहा है।

 

अखबार आगे लिखता है कि भारत की जरूरत के इस समय में अमरीका ने वैक्सीन बनाने के कच्चे माल का निर्यात करने से साफ मना कर दिया और कहा कि उसकी नीति अमरीका फर्स्ट की है, यानी पहले अमरीकी बाद में दूसरे। एक तरफ अमरीका चीन के खिलाफ युद्ध में भारत को अपना प्यादा बनाना चाहता है लेकिन जब भारत की मदद की बात आती है तो वह अमरीका फर्स्ट की नीति का हवाला देकर अपने कदम पीछे खींच लेता है।अखबार ने भारत और अमरीका के बीच डालने की भरपूर कोशिश की है और अपनी नीच कूटनीति का परिचय दिया है। आगे लिखा है कि भारत को शायद इस बात का इल्म नहीं है कि वह अमरीका का प्यादा मात्र है और जब अमरीका की जरूरत निकल जाएगी तो वह भारत को इस्तेमाल किए गए टिश्यू पेपर की तरह फेंक देगा।

 

दरअसल इस समय चीन को अपने विरोधियों पर हमला करने का सुनहरा मौका मिला है। इसलिए वह इसका भरपूर इस्तेमाल करना चाहता है। लेकिन शायद चीन को यह नहीं पता कि चाहे जो हो जाए अब दुनिया उस पर कभी भरोसा नहीं करने वाली दुनिया की बदलती परिस्थितियों में बाकी देश चीन से अब कोई भी व्यापारिक संबंध नहीं रखना चाहते। चीन कितना कुटिल देश है इसका अंदाजा हम इसी से लगा सकते हैं कि जहां एक तरफ चीन भारत पर कटाक्ष कर रहा है तो वहीं दूसरी तरफ भारत को मदद का न्यौता भी दे रहा है।
 

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