चीन की विद्युत कंपनी से इंडोनेशिया के विशेष प्रजाति के ओरांगुटान को खतरा

Edited By ,Updated: 29 Jun, 2022 06:12 AM

china s power company threatens orangutans

चीन पर्यावरण की जितनी धज्जियां उड़ा रहा है, वह जग-जाहिर है। अमरीका के बाद चीन दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा ग्रीनहाऊस गैस उत्सर्जक है। जब दूसरे देशों को नसीहत देने की बारी आती है तो

चीन पर्यावरण की जितनी धज्जियां उड़ा रहा है, वह जग-जाहिर है। अमरीका के बाद चीन दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा ग्रीनहाऊस गैस उत्सर्जक है। जब दूसरे देशों को नसीहत देने की बारी आती है तो चीन उसमें सबसे आगे रहता है, लेकिन मुनाफा कमाने के लिए खुद सारे कायदे-कानून को ताक पर रख देता है। 

दरअसल चीन इंडोनेशिया के सुमात्रा प्रायद्वीप के बाटांग तोरू वर्षावनों में एक पनबिजली परियोजना बना रहा है, पर्यावरणविदों का कहना है कि इससे उन वनों में रहने वाले विशेष प्रजाति के तापानुली ओरांगुटान बंदर खत्म हो सकते हैं। इसे लेकर इंडोनेशिया की एक गैर-सरकारी संस्था ने भी चीन की 15 लाख अमरीकी डॉलर लागत से बनने वाली इस परियोजना के विरुद्ध आवाज उठानी शुरू कर दी है। दरअसल इंडोनेशिया के सुमात्रा वर्षावनों में तापानुली ओरांगुटान को वर्ष 2017 में खोजा गया था। इनकी संख्या इस समय मात्र 800 है और इनके पूरी तरह से विलुप्त होने का खतरा बना हुआ है। ये किसी दूसरी पर्यावरणीय स्थिति में नहीं रह सकते। 

पर्यावरणविदों और वैज्ञानिकों का कहना है कि चीनी कंपनी की पन-बिजली परियोजना से इस पूरे क्षेत्र के जंगलों में रहने वाले वन्यजीवों के अस्तित्व को खतरा पैदा होगा। लेकिन चीन इन सारी बातों से बेखबर, सुमात्रा में बांध बनाकर मुनाफा कमाना चाहता है। यह पनबिजली परियोजना वर्ष 2022 में पूरी होनी थी, जिसे इंडोनेशिया की स्थानीय सरकार ने मंजूरी दी थी। 

वहीं दूसरी तरफ ‘सिनोहाइड्रो’ की इंडोनेशियाई कंपनी पीटी नॉर्थ सुमात्रा हाइड्रो एनर्जी 510 मैगावाट की पन-बिजली परियोजना को लेकर यह सफाई दे रही है कि बाटांग तोरू पनबिजली परियोजना से इंडोनेशिया को स्वच्छ ऊर्जा मिलेगी, लेकिन इससे इस पूरे क्षेत्र के पारिस्थितिकी तंत्र को कितना नुक्सान पहुंचेगा, इसके बारे में बोलने से कतरा रही है। इंडोनेशिया इस वर्ष संयुक्त राष्ट्र जैव विविधता सम्मेलन का आयोजन करने जा रहा है, ऐसे वातावरण में बाटांग तोरू परियोजना का विरोध करने वाले आंदोलनकारियों ने पेइचिंग को इस परियोजना से पीछे हटने को कहा है, क्योंकि इससे इस क्षेत्र की पारिस्थितिकी को खतरा है। 

लेकिन माइटी अर्थ समेत कई दूसरे गैर-सरकारी संगठन भी इस मामले में कूद पड़े हैं और चीन की पन बिजली परियोजना का विरोध कर रहे हैं। दरअसल यह चीन की बैल्ट एंड रोड परियोजना का हिस्सा है, जिसके जरिए चीन यह दिखाना चाहता है कि वह व्यापार के जरिए दुनियाभर के देशों को एक मंच पर ला सकता है और इससे पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था को लाभ मिलेगा। लेकिन ऐसा नहीं है, क्योंकि बी.आर.आई. परियोजना में दूसरे देशों के खनिजों, अर्थव्यवस्थाओं की लूट-खसूट है, जिसका लाभ सिर्फ चीन और चीनी कंपनियों को मिलेगा। 

चीनी कंपनी स्टेट डिवैल्पमैंट एंड इन्वैस्टमैंट कॉर्पोरेशन ने वर्ष 2020 में बाटांग तोरू जलविद्युत परियोजना में 27.70 करोड़ अमरीकी डॉलर के निवेश पर हस्ताक्षर किए तो इसके 2 महीने से भी कम समय में पश्चिमी बैंकों और लंदन स्टॉक एक्सचेंज ने इसका समर्थन किया था, क्योंकि चीन ने इस परियोजना की कुछ शर्तों को छुपा लिया था। उदाहरण के तौर पर, इस क्षेत्र के पर्यावरण को परियोजना से कितना नुक्सान पहुंचेगा। इसके बाद ही गैर-सरकारी संगठन इसके विरोध में उतर गए थे। 

इस परियोजना का विरोध करने वाले गैर-सरकारी संगठनों का कहना है कि उत्तरी सुमात्रा में बिजली की कोई समस्या नहीं है, जिसके लिए बाटांग तोरू पनबिजली परियोजना को शुरू किया जा रहा है, जहां पर अगले 10 वर्षों में 80 नए बांध बनाने की योजना बनाई गई है। जानकारों का मानना है कि इस क्षेत्र में चीन रणनीतिक महत्व को देखते हुए घुसना चाहता है। बात यहीं तक सीमित नहीं है, चीन ने उन लोगों को मरवा दिया जो इस परियोजना के खिलाफ लोगों में जागरूकता फैलाने का काम कर रहे थे। वर्ष 2019 में गोल्फ्रिड सिरेगार नाम के एक पर्यावरण अधिवक्ता की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी। सिरेगार ने इस परियोजना का विरोध यह कहते हुए किया था कि यहां पर रहने वाले 800 विशेष प्रजाति के ओरांगुटान और दूसरे जीव विलुप्त हो सकते हैं और उत्तरी सुमात्रा का पारिस्थितिकी तंत्र बिगड़ सकता है। 

पर्यावरण की धज्जियां उड़ाने से सिर्फ उस क्षेत्र विशेष का नुक्सान नहीं होगा, बल्कि इसका असर पूरे विश्व के पर्यावरण पर पड़ेगा, क्योंकि विश्व में 2 विशाल जंगल क्षेत्रों- ब्राजील का अमेजन जंगल और दूसरे इंडोनेशिया के सुमात्रा और बाली के जंगल, को पृथ्वी के फेफड़े कहा जाता है, क्योंकि यहां पर जितनी ऑक्सीजन बनती है वह पूरे विश्व में रहने वाले मनुष्यों, वन्यजीवों और वनस्पतियों के लिए जीवनदायिनी होती है। अगर इसे नुक्सान पहुंचा तो पूरी पृथ्वी पर जीवन को खतरा पैदा होगा।

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!