आम आदमी की पहुंच हो न्यायपालिका तक

Edited By ,Updated: 25 Mar, 2024 05:47 AM

common man should have access to judiciary

हाल ही में देश की शीर्ष अदालत द्वारा दिए गए कई अहम फैसलों से देश में न्यायिक सक्रियता अचानक बढऩे लग गई है। इसके पीछे देश के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डा. डी.वाई. चंद्रचूड़ की अहम भूमिका को देखा जा रहा है। हाल ही में मुख्य न्यायाधीश जस्टिस चंद्रचूड़ का...

हाल ही में देश की शीर्ष अदालत द्वारा दिए गए कई अहम फैसलों से देश में न्यायिक सक्रियता अचानक बढऩे लग गई है। इसके पीछे देश के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डा. डी.वाई. चंद्रचूड़ की अहम भूमिका को देखा जा रहा है। हाल ही में मुख्य न्यायाधीश जस्टिस चंद्रचूड़ का एक राष्ट्रीय टी.वी. चैनल को दिया गया इंटरव्यू चर्चा में आया है। जब से जस्टिस चंद्रचूड़ ने भारत के मुख्य न्यायाधीश का पद संभाला है तभी से देश की शीर्ष अदालत में कई परिवर्तन देखने को मिले हैं। ऐसे कई क्रांतिकारी कदम उठाए गए हैं जो वकीलों, याचिकाकत्र्ताओं, पत्रकारों और आम जनता के लिए फायदेमंद साबित हुए हैं। 

देश भर के नागरिकों को संदेश देते हुए मुख्य न्यायाधीश जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, ‘‘सुप्रीम कोर्ट हमेशा भारत के नागरिकों के लिए मौजूद है। चाहे वे किसी भी धर्म के हों, किसी भी सामाजिक स्थिति के हों, किसी भी जाति अथवा लिंग के हों या फिर किसी भी सरकार के हों। देश की सर्वोच्च अदालत के लिए कोई भी मामला छोटा नहीं है।’’ इस संदेश से उन्होंने देश भर के आम नागरिकों को यह विश्वास दिलाया है कि न्यायपालिका की दृष्टि में कोई भी मामला छोटा नहीं है। जस्टिस चंद्रचूड़ आगे कहते हैं कि, ‘‘कभी-कभी मुझे आधी रात को ई-मेल मिलते हैं। एक बार एक महिला को मैडीकल अबॉर्शन की जरूरत थी। मेरे स्टाफ ने मुझसे देर रात संपर्क किया। हमने अगले दिन एक बैंच का गठन किया। किसी का घर गिराया जा रहा हो, किसी को उनके घर से बाहर किया जा रहा हो, हमने तुरंत मामले सुने।’’ इससे यह बात साफ है कि देश की सर्वोच्च अदालत देश के हर नागरिक को न्याय दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है। 

सूचना और प्रौद्योगिकी का हवाला देते हुए मुख्य न्यायाधीश जस्टिस चंद्रचूड़ ने यह भी संदेश दिया कि देश की सर्वोच्च अदालत अब केवल राजधानी दिल्ली तक ही सीमित नहीं है। इंटरनैट के जरिए अब देश के कोने-कोने में हर कोई अपने फोन से ही सुप्रीम कोर्ट से जुड़ सकता है। आज हर वह नागरिक चाहे वह याचिकाकत्र्ता न भी हो देश की शीर्ष अदालत में हो रही कार्रवाई का सीधा प्रसारण देख सकता है। इस कदम से पारदर्शिता बढ़ी है। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि, ‘‘अदालतों पर जनता का पैसा खर्च होता है, इसलिए उसे जानने का हक है। पारदर्शिता से जनता का भरोसा हमारे काम पर और बढ़ेगा।’’ 

टैक्नोलॉजी पर बात करते हुए जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि, ‘‘टैक्नोलॉजी के जरिए आम लोगों तक इंसाफ पहुंचाना मेरा मिशन है। टैक्नोलॉजी के जमाने में हम सबको साथ लेकर चलने की कोशिश कर रहे हैं। हर किसी के पास महंगा स्मार्ट फ़ोन या लैपटॉप नहीं है। केवल इस कारण से कोई पीछे न छूटे, इसके लिए हमने देश भर की अदालतों में ‘18000 ई-सेवा केंद्र’ बनाए हैं। इन सेवा केंद्रों का मकसद सारी ई-सुविधाएं एक जगह पर मुहैया कराना है।’’ यह एक अच्छी पहल है जो स्वागत योग्य है। जरा सोचिए पहले के जमाने में जब किसी को किसी अहम केस की जानकारी या उससे संबंधित दस्तावेज चाहिए होते थे तो उसे दिल्ली के किसी वकील से संपर्क साध कर कोर्ट की रजिस्ट्री से उसे निकलवाना पड़ता था, जिसमें काफ़ी समय खराब होता था। परंतु आधुनिक टैक्नोलॉजी के जमाने में अब यह काम मिनटों में हो जाता है। 

टैक्नोलॉजी के अन्य फायदे बताते हुए जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि, ‘‘29 फरवरी 2024 तक वीडियो कांफ्रैंसिंग के जरिए देश भर की अदालतों में लगभग 3.09 करोड़ केस सुने जा चुके हैं। इतना ही नहीं देश भर के करीब 21.6 करोड़ केसों का सारा डाटा इंटरनैट पर उपलब्ध है। इसके साथ ही करीब 25 करोड़ फैसले भी इंटरनैट पर उपलब्ध हैं।’’ यह देश की न्यायपालिका के लिए उठाया गया एक सराहनीय कदम है।

महिला सशक्तिकरण को लेकर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि, ‘‘फरवरी 2024 में सुप्रीम कोर्ट में 12 महिला वकीलों को वरिष्ठ वकील की उपाधि दी गई। अगर आजादी के बाद से 2024 की बात करें तो सुप्रीम कोर्ट में केवल 13 वरिष्ठ महिला अधिवक्ता थीं। यह एक बड़ी उपलब्धि है। इस साक्षात्कार का सबसे रोचक पक्ष है जस्टिस चंद्रचूड़ की दिनचर्या का खुलासा। वे गत 25 वर्षों से रोज सुबह 3.30 बजे उठते हैं। फिर योग, ध्यान, अध्ययन और चिंतन करते हैं। वे दूध से बने पदार्थ नहीं खाते बल्कि फल सब्जियों पर आधारित खुराक लेते हैं। हर सोमवार को व्रत रखते हैं। जस्टिस चंद्रचूड़ का जीवन प्रेरणास्पद है।-विनीत नारायण

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