कांग्रेस अपनी ही सबसे बड़ी ‘दुश्मन’ बनी बैठी है

Edited By ,Updated: 16 Jul, 2020 02:36 AM

congress has become its own biggest  enemy

राजस्थान में चल रहे राजनीतिक संकट से देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस अपनी ही सबसे बड़ी दुश्मन बनी बैठी है। युवा कांग्रेसी नेता सचिन पायलट जिन्हें कि भविष्य के बड़े नेता के रूप में जाना जाता है, के खिलाफ कांग्रेसी कार्रवाई एक बड़ा झटका है। इससे...

राजस्थान में चल रहे राजनीतिक संकट से देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस अपनी ही सबसे बड़ी दुश्मन बनी बैठी है। युवा कांग्रेसी नेता सचिन पायलट जिन्हें कि भविष्य के बड़े नेता के रूप में जाना जाता है, के खिलाफ कांग्रेसी कार्रवाई एक बड़ा झटका है। इससे पहले पार्टी संग नाता तोड़ चुके भावी नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के कारण भी कांग्रेस को संकट झेलना पड़ा था। नि:संदेह दोनों ही युवा नेता कांग्रेस पार्टी के भविष्य के चमकते सितारे थे जो पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से कई गुणा बेहतर हैं। 

सचिन पायलट की पार्टी से आभासी निकासी तथा सिंधिया के भाजपा से जुड़ जाने के बाद राहुल गांधी को कांग्रेस में चुनौती देने वाला अब उनके समक्ष कोई नहीं है। क्या गांधी परिवार तथा पुराने दिग्गज उनको वापस देखना चाहते हैं। भविष्य के इतिहासकार पार्टी की अंदरुनी खींचातानी पर कुछ रोशनी डालना चाहेंगे। हालांकि यह स्पष्ट है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी तथा प्रियंका गांधी वाड्रा ने हालातों को और बिगडऩे दिया। हालांकि यह लोगों के दिमाग में था कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तथा उनके डिप्टी सचिन पायलट के बीच कुछ सही नहीं चल रहा। 

विधानसभा चुनावों के बाद पायलट ने इस आधार पर मुख्यमंत्री पद पर अपना दावा ठोका था कि उन्होंने राजस्थान में कांग्रेस को विजय दिलाने में अपनी भूमिका अदा की। इसमें कोई शक की गुंजाइश नहीं कि सचिन एक बेहद मशहूर नेता हैं तथा उनके लिए लोगों के दिल में उनके पिता दिवंगत राजेश पायलट के कारण खास जगह है। दूसरी ओर गहलोत एक अनुभवी नेता हैं जोकि अपनी चालबाजी के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने यकीनी बनाया कि ज्यादातर पार्टी विधायक उनके साथ हैं।  कुछ युवा विधायकों का समर्थन भी गहलोत के पास है। वह नहीं चाहते कि पायलट एक सुदृढ़ स्थिति में हों जिससे उनका भविष्य खतरे में पड़ जाए। 

हालांकि गहलोत तथा पायलट में मतभेद जगजाहिर थे। फिर भी सबसे ज्यादा अनुभवी गहलोत ने अपनी सरकार को बचाने में कामयाबी पाई और योजना के तहत काम किया। सचिन पायलट के समक्ष अब दो विकल्प बचे हैं। या तो वह सिंधिया की तरह भाजपा में शामिल हो जाएं या फिर अपना कोई राष्ट्रीय दल बना लें। उसके लिए वह चाहेंगे कि कांग्रेस दो फाड़ हो जाए जोकि एक कठिन बात लगती है क्योंकि उनका समर्थन करने वाले विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने  का प्रावधान है। हालांकि केंद्र में भाजपा की सरकार राजस्थान को फिर से अपनी झोली में देखना चाहती है। वह पायलट के बचाव में आ सकती है। राजस्थान का राजनीतिक भविष्य अभी भी अनिश्चितताओं से भरा पड़ा है। मगर 135 वर्ष पुरानी कांग्रेस के लिए उसके ताबूत में एक और कील साबित हो सकता है। पुराने दिग्गजों ने नए नेताओं को मात दी है मगर पार्टी को एक भारी क्षति पहुंची है।-विपिन पब्बी    
 

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!