चुनाव 2024 : आखिर विपक्ष कमजोर क्यों है

Edited By ,Updated: 21 Mar, 2024 05:46 AM

election 2024 why is the opposition weak

देश में 18वें लोकसभा चुनाव की रणभेरी बज चुकी है। सभी चुनावी सर्वेक्षणों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा नीत राजग की तीसरी बार लगातार सरकार बनने की भविष्यवाणी की है। स्वयं प्रधानमंत्री मोदी 400 पार सीटें जीतने का दम भर रहे हैं...

देश में 18वें लोकसभा चुनाव की रणभेरी बज चुकी है। सभी चुनावी सर्वेक्षणों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा नीत राजग की तीसरी बार लगातार सरकार बनने की भविष्यवाणी की है। स्वयं प्रधानमंत्री मोदी 400 पार सीटें जीतने का दम भर रहे हैं परन्तु इन दावों के बीच वास्तविक नतीजे क्या होंगे, वह 4 जून को मतगणना के पश्चात पता चलेगा परन्तु एक बात तो तय है कि विरोधी गठबंधन सत्तारूढ़ भाजपा का सशक्त विकल्प बनने में विफल हो रहा है। 

अधिकांश विपक्षी दलों और भाजपा में मूलभूत अंतर यह है कि भाजपा सकारात्मक मानसिकता के साथ अपनी विचारधारा से प्रेरित होकर जिन मुद्दों और लक्ष्यों को सामने रखकर चुनाव लड़ती है, वह उसे जनसमर्थन मिलने पर पूरा करने हेतु जी-जान भी लगा देती है। धारा 370, 35ए के मामले में क्या हुआ? भारतीय जनसंघ; वर्तमान भाजपा  के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने धारा 370 को भारत के साथ कश्मीर के एकीकरण में सबसे बड़ा बाधक बताते हुए ‘‘नहीं चलेगा एक देश में दो विधान, दो प्रधान और दो निशान’’ नारा दिया था। 

वर्ष 1953 में इसी मुद्दे पर संघर्ष करते हुए कश्मीर की जेल में उनकी संदेहास्पद मृत्यु हो गई। इसी बलिदान से प्रेरित होकर जनसंघ भाजपा ने अपने प्रत्येक चुनावी घोषणापत्र में इस विभाजनकारी धारा के परिमार्जन पर बल दिया। 70 वर्ष पश्चात जब वर्ष 2019 में प्रधानमंत्री मोदी के करिश्माई नेतृत्व में भाजपा पहले से अधिक प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में लौटी, तब उसने इसका संवैधानिक क्षरण कर दिया। परिणाम सबके सामने है। कश्मीर पहले से कहीं अधिक शांत, समरस और समृद्ध दिख रहा है। इस प्रकार प्रतिबद्धता केवल धारा 370 तक सीमित नहीं। भले ही अधिकांश विरोधी वर्षों से राम मंदिर को केवल राजनीतिक चश्मे से देख रहे हैं,  परंतु भाजपा के लिए यह सदैव आस्था और सांस्कृतिक पुनर्जागरण का विषय रहा। 6 दिसम्बर 1992 को कारसेवकों द्वारा बाबरी ढांचा ढहाने के बाद कांग्रेस की तत्कालीन केन्द्र सरकार ने चार राज्यों हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में भाजपा सरकारों को गिरा दिया था। 

इसके बाद भी वे रामजन्मभूमि की मुक्ति हेतु कटिबद्ध रहे और जिस प्रकार इस मामले की सुनवाई में 2014 से पहले रोड़े अटकाने के प्रयास किए थे, उसे दूर करने के बाद जब नवम्बर 2019 में सर्वोच्च न्यायालय ने प्रभु रामलला के पक्ष में निर्णायक फैसला दिया, तब मंदिर पुननिर्माण हेतु सभी आवश्यक व्यवस्था की गई। परिणामस्वरूप इसी वर्ष 22 जनवरी को प्रधानमंत्री मोदी ने पुनॢनमित राम मंदिर का भव्य उद्घाटन करके वृहद हिन्दू समाज की 500 वर्ष पुरानी प्रतीक्षा को समाप्त कर दिया। 

राष्ट्रवादी चिंतक और जनसंघ के पूर्व अध्यक्ष पंडित दीनदयाल उपाध्याय  (1916-68) ने अंत्योदय संकल्पना प्रस्तुत की थी, जिसका उद्देश्य समाज में अंतिम व्यक्ति का उत्थान, विकास को सुनिश्चित, खाद्य सुरक्षा प्रदान और आजीविका के अवसरों में वृद्धि करना है। इसी ङ्क्षचतन से प्रेरणा लेकर 25 सितम्बर 2014 को मोदी सरकार ने ‘दीनदयाल उपाध्याय अंत्योदय योजना’ को आरंभ किया। इस प्रकार की कई जनकल्याणकारी योजनाओं, जिसमें प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना भी शामिल है, उसका लाभ यह हुआ कि देश की लगभग 25 करोड़ आबादी बहुआयामी गरीबी से बाहर निकल आई। 

आत्मनिर्भर भारत ‘मेक इन इंडिया’ और ‘स्टार्ट-अप इंडिया’ रूपी योजनाओं और आधारभूत ढांचे के कायाकल्प आदि नीतिगत उपायों से भारत दुनिया की 5वीं बड़ी आॢथक शक्ति बन गया। भारत 2014 में 11वें पायदान पर था,  तो वर्ष 2027 तक देश के तीसरी बड़ी आर्थिकी बनने की संभावना है। भारतीय तकनीक, विज्ञान, अनुसंधान कौशल के इतिहास में  स्वदेशी कोविड वैक्सीन और चंद्रयान-3 परियोजना में विक्रम लैंडर के सफलतापूर्वक चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव पर पहुंचना मील के पत्थरों में से एक है। इस आमूलचूल परिवर्तन को मोदी सरकार के शीर्ष स्तर का भ्रष्टाचार से मुक्त होना और अधिक स्वागतयोग्य बनाता है। 

इस पृष्ठभूमि में कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों; तृणमूल, सपा, राजद, वामपंथियों की स्थिति क्या है? कांग्रेस वर्ष 1969 में दोफाड़ होने के बाद से विचारधारा विहीन है। धीरे-धीरे इसके वैचारिक अधिष्ठान पर वामपंथियों ने कब्जा कर लिया। तब कांग्रेस के पास इंदिरा गांधी के रूप में एक सशक्त नेतृत्व था परन्तु आज पार्टी के पास न तो वैसा नेतृत्व है और न ही विचारधारा। कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व  राहुल-प्रियंका सहित  वही घिसे-पीटे जुमलों के साथ प्रधानमंत्री मोदी के साथ भारतीय उद्योगपतियों के खिलाफ  विषवमन कर रहा है, तो मजहब के नाम मुस्लिमों को एकजुट और जातियों के नाम पर हिन्दू समाज में मनमुटाव और अधिक गहरा करने का उपक्रम चला रहा है। 

अपने विवादित वक्तव्यों के कारण राहुल गांधी सार्वजनिक विमर्श में है। आखिर असली राहुल कौन है? क्या वह जिसने 2009 में हिन्दू संगठनों को घोषित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तोयबा से अधिक खतरनाक बताया था? या वह जिसने 2013 में अपनी ही सरकार द्वारा पारित अध्यादेश को फाड़कर फैंक दिया  था? या वह जिसने 2016 में जे.एन.यू. में भारत विरोधी नारे लगाने वाले आरोपियों का न केवल समर्थन किया अपितु कालांतर में उन्हीं आरोपियों में से एक को अपनी पार्टी में शामिल तक कर लिया? या वह जिसने स्वयं को 2018 में दत्तात्रेय गोत्र का हिन्दू बताया? या वह जो चुनाव के समय मंदिर-मंदिर घूमकर, कुर्ते के ऊपर पवित्र जनेऊ धारण और पवित्र कैलाश मानसरोवर यात्रा का दावा करके स्वयं को आस्थावान हिन्दू सिद्ध करने की कोशिश की? या फिर वह जो आदिवासियों को भारत का  ‘असली मालिक’ बताता है और अब राह चलते लोगों से उनकी जाति पूछकर देश को वामपंथियों की भांति वर्ग संघर्ष की आग में झोंकने का प्रयास कर रहा है? 

यदि विपक्ष को सत्तारूढ़ दल का सशक्त विकल्प बनना है तो उसे ‘अम्बानी-अडानी’ के नाम पर प्रधानमंत्री मोदी को गरियाने आदि संबंधित विमर्श से बहुत आगे बढऩा होगा। उसे जनता को बताना होगा कि मोदी सरकार की वह कौन-सी नीतियां या फैसले गलत हैं, उसके दुष्परिणाम क्या हैं और उसका व्यावहारिक-सकारात्मक समाधान क्या है।-बलबीर पुंज

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!