किसानों के मोर्चे के लिए नोबेल शांति पुरस्कार चाहते हैं पूर्व बाबू

Edited By ,Updated: 03 Jan, 2022 05:50 AM

former babu wants nobel peace prize for farmers  front

आंदोलनकारी किसान संगठनों ने केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ अपना एक वर्ष से चला आ रहा आंदोलन वापस ले लिया है तथा अपना प्रदर्शन समाप्त कर दिया है। कानूनों को वापस ले लिया गया है

 

आंदोलनकारी किसान संगठनों ने केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ अपना एक वर्ष से चला आ रहा आंदोलन वापस ले लिया है तथा अपना प्रदर्शन समाप्त कर दिया है। कानूनों को वापस ले लिया गया है तथा किसान अब विजेता भावना के साथ अपने घरों को लौट गए हैं। जहां उन्होंने संभवत: अपने अहिंसक प्रतिरोध के साथ जनता के दिलों को जीता है, उन्होंने सरकार तथा नौकरशाही तंत्र में अपने मित्र नहीं बनाए हैं। 

यद्यपि किसानों की शीर्ष इकाई संयुक्त किसान मोर्चा के समर्थन में पूर्व आई.ए.एस. अधिकारियों का एक मंच आगे आया है और यहां तक सुझाव दिया है कि मोर्चे की नोबेल शांति पुरस्कार के लिए अनुशंसा की जाए। हालांकि इस वर्ष का शांति पुरस्कार पहले ही घोषित किया जा चुका है, बाबुओं को आशा है कि उनका नामांकन अगले वर्ष के लिए किया जाएगा। दिलचस्प बात यह है कि कुछ फुसफुसाहटें ये भी सुनी जा रही हैं कि बाबुओं का एक अन्य मंच इसकी नकल करते हुए उत्साह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को नामांकित करने की योजना बना रहा है।


इस कम ज्ञात ‘मंच’ के संरक्षकों, पूर्व आई.ए.एस. अधिकारियों, एस.एस. बोपाराय तथा रमेशइंद्र सिंह ने कहा है कि मोर्चा ‘देश की 50 प्रतिशत कार्यशील किसान जनसंख्या के भविष्य को सुरक्षित करने में अपनी विशिष्ट भूमिका के लिए’ पुरस्कार का पात्र है। 

पता चला है कि बोपाराय 2002 में आई.ए.एस. से सेवानिवृत्त हो चुके हैं तथा पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला के पूर्व कुलपति हैं। वह एक दुर्लभ बाबू हैं जिन्हें प्रतिष्ठित कीर्ति चक्र से  सम्मानित किया गया है। पंजाब में महत्वपूर्ण पदों पर रहने के अतिरिक्त अपने करियर के दौरान वह केंद्र में कोयला सचिव थे और यहां तक कि पूर्ववर्ती योजना आयोग में भी कुछ  समय के लिए काम किया है। उन्होंने रमेशइंद्र सिंह के साथ पूरे आंदोलन के दौरान किसानों का समर्थन किया है और डेरा लगाए बैठे किसानों के लिए नियमित रूप से रजाइयों, कम्बलों, सिरहानों तथा तिरपालों की आपूर्ति जारी रखी। 

नई आई.ए.एस. नियुक्ति नीति पर सुझाव देने के लिए पैनल गठित : कई वर्षों से सरकार आई.ए.एस. अधिकारियों की कमी के साथ ही गुजारा करती आ रही है, इसका एक बड़ा कारण प्रतिवर्ष 180 अधिकारियों को लेने की पाबंदी है। सूत्रों का कहना है कि देशभर में कम से कम 1500 आई.ए.एस. अधिकारियों की कमी है। अधिकृत 6699 अधिकारियों के विपरीत सरकार को केवल 5205 अधिकारी उपलब्ध हैं। अब कार्मिक, जनशिकायतों, कानून व न्याय पर संसदीय समिति के आग्रह पर कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डी.ओ.पी.टी.) ने इस स्थिति के समाधान बारे में कदम उठाने का निर्णय लिया है। डी.ओ.पी.टी. के सचिव प्रदीप कुमार त्रिपाठी ने आई.ए.एस. अधिकारियों की कमी का आंकलन करने तथा अगले वर्ष से लागू करने के लिए एक नियुक्ति योजना का सुझाव देने के लिए एक समिति का गठन करने का निर्णय किया है। 

जहां समिति बारे ब्यौरे की अभी प्रतीक्षा है, ऐसा माना जाता है कि यह पैनल कई अधिकारियों बारे अध्ययन करेगा जिनकी विभिन्न पदों के लिए अगले दशक के समय तक जरूरत होगी। इसके साथ ही वार्षिक तौर पर आई.ए.एस. अधिकारियों को लेने पर लगी पाबंदी हटाने का भी सुझाव दिया जा सकता है। अभी हाल ही में समाप्त शीतकालीन सत्र में संसद में पेश अपनी रिपोर्ट में संसदीय समिति ने स्वीकृत संख्या तथा आई.ए.एस. अधिकारियों की उपलब्धता के बीच बढ़ते अंतर बारे अपनी कुछ चिंता जताई थी। 

आर.बी.आई. काडर अधिकारी को एन.एच.ए.आई. भेजा गया : अचानक उठ खड़ी हुई जरूरत के चलते भारत के राष्ट्रीय उच्च मार्ग प्राधिकरण (एन.एच.ए.आई.) को आखिरकार 2 वर्ष बाद अपना सदस्य वित्त मिल गया है। सरकार ने आर.बी.आई. काडर के वरिष्ठ अधिकारी एन.आर.वी.वी.एम.के.  राजेन्द्र कुमार  को इस पद पर तीन वर्षों के कार्यकाल के लिए नियुक्त किया है। यह भी महत्वपूर्ण है कि बाबुओं के एक कम उल्लेखित काडर में से एक अधिकारी को एक बड़े पद पर भेजा गया है। हम आई.ए.एस. गलियारों में इस बाबत कुछ चर्चा की आशा कर सकते हैं। 

सूत्रों ने बताया है कि राजेन्द्र कुमार, जो रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया में चीफ जनरल मैनेजर हैं, 9 उम्मीदवारों की सूची में से पद के लिए शार्ट लिस्ट किए गए 5 अधिकारियों में से उन्हें 1996 बैच के आई.ए.एस. अधिकारी आशीष शर्मा की जगह लगाया गया है जो अब डी.ओ.पी.टी. में संयुक्त सचिव हैं। 

राजेन्द्र कुमार की नियुक्ति के साथ बाबुओं पर नजर रखने वालों को अब आशा है कि एक ऐसी  ही जरूरत के चलते केंद्र एन.एच.ए.आई. के नए चेयरमैन की नियुक्ति के लिए भी कदम उठाएगा। यह संगठन सरकार की राजनीतिक गणनाओं के लिए एक महत्वपूर्ण अवयव है जहां इसे तेजी से उच्च मार्गों के निर्माण की उपलब्धि को दर्शाना है। इसके साथ ही इस ओर भी इशारा किया गया है कि सदस्य (पी.पी.पी.) का एक अन्य पद भी 2 वर्षों से रिक्त है। एन.एच.ए.आई. के चेयरमैन का पद उस समय रिक्त हुआ था जब 1988 बैच के आई.ए.एस. अधिकारी एस.एस. संधू को उनके मूल काडर उत्तराखंड में मुख्य सचिव के तौर पर वापस भेज दिया गया और अब आशा की जाती है कि एन.एच.ए.आई. का आगामी चेयरमैन अपने पूर्ण कार्यकाल का मजा उठाएगा।-दिल्ली का बाबू दिलीप चेरियन
 

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!