ईरानी महिलाओं का ‘हिजाब अग्निभेंट’ आंदोलन

Edited By Punjab Kesari,Updated: 12 Feb, 2018 03:34 AM

hijab agnibent movement of iranian women

ईरान में हिजाब पहनने की मजबूरी के विरुद्ध एकजुटता दिखाती हुईं महिलाओं द्वारा हिजाब को अग्रि भेंट किए जाने के वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट किए जा रहे हैं। गत सप्ताह ‘हिजाब मुक्त दिवस’ के उपलक्ष्य में यह अभियान चलाया गया था। इन वीडियोज में ईरानी...

ईरान में हिजाब पहनने की मजबूरी के विरुद्ध एकजुटता दिखाती हुईं महिलाओं द्वारा हिजाब को अग्रि भेंट किए जाने के वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट किए जा रहे हैं। गत सप्ताह ‘हिजाब मुक्त दिवस’ के उपलक्ष्य में यह अभियान चलाया गया था। इन वीडियोज में ईरानी महिलाओं को ऐन कैमरे के सामने अपने सिर से हिजाब उतारते हुए और उसे अग्रि भेंट करते हुए दिखाया गया है। 

उल्लेखनीय है कि 2014 में ईरानी सरकार द्वारा जारी की गई एक रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया था कि देश की आधी आबादी इस बात की पक्षधर नहीं कि सरकार महिलाओं को यह आदेश जारी करे कि कौन-सी चीज पहननी है, कौन-सी नहीं। गत माह दर्जनों महिलाओं को सरकारी पाबंदियों का उल्लंघन करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया लेकिन इसके बावजूद हिजाब की पाबंदी के विरुद्ध आक्रोश थमने का नाम नहीं ले रहा। 

वैसे इस आंदोलन से संबद्ध महिलाओं का दावा है कि हिजाब का विरोध करने वाली वास्तविक संख्या कहीं अधिक है। एक महिला ने तो अपनी पोस्ट में यहां तक कहा है कि उसने अपने हिजाब को जन्मदिन के मौके पर ही अग्रि भेंट किया था ताकि वह अपने आपको बंधन मुक्त महसूस कर सके। उसने कहा : ‘‘हम कोई कुल्फी या टॉफी या हीरा-मोती नहीं हैं जिन्हें लपेट कर या ढंक कर रखा जाए। हम इंसान हैं। ’’ 

गौरतलब है कि 1979 में राजाशाही समाप्त होने के समय से ही ईरान की इस्लामी क्रांति ने हिजाब संवैधानिक रूप से अनिवार्य कर दिया था। तभी से ही इसके विरुद्ध आंदोलन भी जारी है जो हाल ही के सप्ताह में बहुत प्रचंड रूप धारण कर गया। गत शुक्रवार ईरानी मीडिया ने समाचार दिया था कि 29 महिलाओं को बिना हिजाब के घर से बाहर निकलने पर गिरफ्तार कर लिया गया था। ऐसा माना जाता है कि गत वर्ष दिसम्बर में रोष स्वरूप हिजाब उतार कर फैंकने के कारण गिरफ्तार की गई 21 वर्षीय विदा मोवाहद ही  मौजूदा आंदोलन की प्रेरणास्रोत है। ‘‘इंकलाब की बेटी’’ के रूप में विख्यात हुई सुश्री मोवाहद को अपनी 20 माह की बेटी सहित एक महीना जेल में बिताना पड़ा था। वह उन सब महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत बन गई है जो अपनी व्यथा, पीड़ा, परेशानियों या मजबूरियों के विरुद्ध रोष प्रकट करने के लिए हिजाब को उतार फैंकती हैं या अग्रि भेंट करती हैं। 

उल्लेखनीय है कि इस्लामी क्रांति के समय से ही 13 वर्ष से अधिक आयु की ईरानी लड़कियों के लिए सिर पर हिजाब पहनना कानूनी तौर पर जरूरी है। उन्हें सिर से पैरों तक अपना बदन ढंक कर रखना होता है। यह हिजाब आमतौर पर सफेद रंग का होता है। यदि कोई महिला इस पाबंदी का उल्लंघन करती है तो उसे 5 लाख रियाल यानी कि 966 रुपए तक जुर्माना और 2 माह तक की कैद हो सकती है।     

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