जी-20 की मेजबानी, पंजाब के समृद्ध ग्रामीण पर्यटन के लिए मौका

Edited By Updated: 30 Nov, 2022 05:43 AM

hosting of g 20 an opportunity for prosperous rural tourism of punjab

एक दिसम्बर को भारत दुनिया के तमाम शक्तिशाली देशों की कमान संभालेगा। पहली बार जी-20 देशों की अध्यक्षता करने की यह बड़ी जिम्मेदारी हमारे देश के लिए वैश्विक नेतृत्व करने का एक अनूठा अवसर है,

एक दिसम्बर को भारत दुनिया के तमाम शक्तिशाली देशों की कमान संभालेगा। पहली बार जी-20 देशों की अध्यक्षता करने की यह बड़ी जिम्मेदारी हमारे देश के लिए वैश्विक नेतृत्व करने का एक अनूठा अवसर है, जिसकी ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की भावना पहले से ही पूरी दुनिया को अपना परिवार मानती है। एक दिसम्बर, 2022 से 30 नवम्बर, 2023 तक देश के 55 स्थानों पर जी-20 देशों के शिखर सम्मेलन की 200 महत्वपूर्ण बैठकों में से कुछ गुरु की पवित्र नगरी अमृतसर में भी होंगी। 

पंजाब के खेतों में लहलहाती सरसों के बसंती फूलों की महक ‘जी आयां नूं’ करेगी उन जी-20 शक्तिशाली देशों के नेताओं का, जो दुनिया के सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) का 85 प्रतिशत, वैश्विक कारोबार का 75 प्रतिशत और दुनिया की 66 प्रतिशत आबादी का प्रतिनिधित्व करते हैं। यह मेजबानी पंजाब की समृद्ध विरासत और संस्कृति संजोए यहां के ग्रामीण पर्यटन को वैश्विक मंच पर प्रदर्शित करने और उसे आगे बढ़ाने का एक सुनहरा अवसर है। 

अमरीका, यूरोपीय संघ और दक्षिण अफ्रीका जैसे जी-20 देशों में भी ग्रामीण पर्यटन को प्रमुखता से बढ़ावा दिया जा रहा है। ग्रामीण पर्यटन के बीज पहली बार 1985 में इटली ने राष्ट्रीय कानूनी बना कर बोए। इस पहल से इटली के किसानों की खेती से अतिरिक्त आय में बढ़ौतरी का रास्ता खुला और वहां तेजी से फले-फूले ग्रामीण पयर्टन ने पूरी ग्रामीण अर्थव्यवस्था में नई जान फूंक दी। गर्मजोशी से मेजबानी के लिए पूरी दुनिया में मशहूर पंजाबी अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और लजीज व्यंजनों को जी-20 की मेजबानी के रास्ते पूरी दुनिया में बढ़ावा देने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। 

पंजाब में संभावनाएं अपार: परम्परा और सांस्कृतिक विरासत से समृद्ध पंजाब के गांवों से दुर्भाग्यवश तेजी से घटती कृषि आय के कारण खेती से दूर होती युवा पीढ़ी विदेशों में पलायन करने को मजबूर है। विदेशों में छोटे-मोटे काम करके जीवन-यापन करने वाले किसान परिवारों के ये नौजवान यहां खेती को पेशे के रूप में अपनाने को तैयार नहीं। समय आ गया है कि हमारे नीति निर्माता कृषक-उद्यमी के प्रोत्साहन के लिए ग्रामीण पर्यटन की क्षमता को बढ़ावा दें। इससे जहां ग्रामीण आबादी को आय के लिए खेती जैसे मौजूदा संसाधनों के साथ आय का एक अतिरिक्त स्थायी स्रोत मिलेगा, वहीं युवाओं से खाली होते गांवों से पलायन कम करने मेंं मदद मिलेगी। 

समृद्ध पवित्र विरासत वाले पंजाब के तीनों सांस्कृतिक और भौगोलिक क्षेत्रों को ग्रामीण पर्यटन के साथ जोडऩे की जरूरत है। रावी, ब्यास, सतलुज और घग्घर नदियों से घिरे माझा क्षेत्र के अमृतसर में सचखंड श्री दरबार साहिब, मालवा में श्री मुक्तसर साहिब और श्री फतेहगढ़ साहिब और दोआबा क्षेत्र में श्री आनंदपुर साहिब और श्री चमकौर साहिब आध्यात्मिक दूष्टि से देश के सबसे पंसदीदा पयर्टन स्थलों में अग्रणी हैं। 

वैटलैंड हरिके पत्तन, हरिके जंगली अभयारण्य और शिवालिक पहाडिय़ां प्राकृतिक सुंदरता के साथ शांति और ताजगी का केंद्र हैं। इनके 20-25 किलोमीटर के दायरे के ग्रामीण इलाकों को पयर्टन की दृष्टि से विकसित किए जाने की जरूरत है। ग्रामीण पर्यटन के जरिए स्थानीय कृषि उत्पादों और सेवाओं से छोटे किसानों को आय के अतिरिक्त साधन मिलने से जिंदगी खुशहाल होगी। स्थानीय युवाओं को पर्यटन ‘गाइड’ के रूप में और संगठित महिला स्वयं सहायता समूहों को मेहमान पयर्टकों का भोजन तैयार करने की सेवाएं दी जा सकती हैं। 

कारगर नीति का अभाव : पंजाब हैरिटेज एवं टूरिज्म प्रोमोशन बोर्ड ने ग्रामीण पर्यटन के लिए खेतों में होम स्टे को बढ़ावा देने के लिए 2013 में कृषि पर्यटन योजना शुरू की, लेकिन यह सरकारी फाइलों में कुछ दिशा-निर्देशों से अधिक नहीं और न ही बड़े पैमाने पर इसे समग्र दृष्टिकोण वाली ग्रामीण-पर्यटन नीति की तरह बढ़ाया गया। पंजाब के 13,006 गांवों में से केवल 43 ग्रामीण पर्यटन स्थल बोर्ड के साथ रजिस्टर्ड हैं। केंद्र सरकार की ग्रामीण पर्यटन क्लस्टर योजना के लिए सिर्फ 9 गांवों का चयन किया गया। ऐसे कई सारे गांव तलाशने और विकसित करने की जरूरत है। 

पंजाब हैरिटेज एवं टूरिज्म प्रोमोशन बोर्ड से रजिस्टर्ड 43 में से 29 ग्रामीण पर्यटन स्थल पहले से विकसित चंडीगढ़ के आसपास जिलों मोहाली, रोपड़, पटियाला और फतेहगढ़ साहिब की परिधि में हैं। आधे  पंजाब (11 जिले) में एक भी ग्रामीण पर्यटन स्थल को केंद्र की पयर्टन नीति के अनुसार विकसित नहीं किया गया और न ही राज्य सरकार ने इस पर ध्यान दिया, जबकि पंजाब के तमाम गांव यहां की गौरवशाली रिवायती सांस्कृतिक धरोहर संजोए हैं। 

चुनौतियां : ग्रामीण पयर्टन किसानों के लिए न केवल आय का एक अतिरिक्त नया स्रोत हो सकता है, बल्कि यह फसल बोने, उसके रखरखाव, काटने और मंडियों तक सही दाम मिलने की तुलना में कहीं अधिक सुरक्षित और बेहतर है। पारंपरिक कृषि से ग्रामीण पर्यटन की ओर बढऩा और पर्यटकों की अपेक्षाओं पर खरा उतरना किसानों के लिए काफी चुनौती भरा है। सरकार से दरकार है कि इन तमाम चुनौतियों से पार पाने में किसानों की मदद की जाए और उन्हें तमाम सबसिडी स्कीम्स से प्रोत्साहित किया जाए, ताकि वे पयर्टकों की जरूरत के संसाधन आसानी से जुटा सकें।  

आगे की राह : पंजाब के सभी 148 ब्लॉकों में पंजाब हैरिटेज एंव टूरिज्म प्रोमोशन बोर्ड को ग्रामीण पर्यटन क्लस्टर बनाने चाहिएं। ग्रामीण पर्यटन को सीधे लक्षित करने वाली नीति, सबसिडी, स्थानीय संसाधनों के उपयोग ग्रामीण आय बढ़ाने के लिए जरूरी हैं। उम्मीद है कि जी-20 देशों की मेजबानी से पंजाब अपने ग्रामीण इलाकों की पयर्टन क्षमता का जोरदार प्रदर्शन कर यहां निवेश और रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए प्रेरित होगा।-(लेखक कैबिनेट मंत्री रैंक में पंजाब इकोनॉमिक पॉलिसी एंव प्लानिंग बोर्ड के वाइस चेयरमैन हैं)-डा. अमृत सागर मित्तल(वाइस चेयरमैन सोनालीका)
 

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