विनम्र मगर दृढ़-निश्चयी ‘लाल बहादुर शास्त्री’

Edited By ,Updated: 02 Oct, 2020 04:02 AM

humble but firm  lal bahadur shastri

लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्तूबर, 1904 को उत्तर प्रदेश के वाराणसी से सात मील दूर एक छोटे से रेलवे टाऊन, मुगलसराय में हुआ था। उनके पिता एक स्कूल शिक्षक थे। जब लाल बहादुर शास्त्री केवल डेढ़ वर्ष के थे तभी उनके पिता का देहांत हो

लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्तूबर, 1904 को उत्तर प्रदेश के वाराणसी से सात मील दूर एक छोटे से रेलवे टाऊन, मुगलसराय में हुआ था। उनके पिता एक स्कूल शिक्षक थे। जब लाल बहादुर शास्त्री केवल डेढ़ वर्ष के थे तभी उनके पिता का देहांत हो गया था। उनकी मां अपने तीनों बच्चों के साथ अपने पिता के घर जाकर बस गईं। उन्हें वाराणसी में चाचा के साथ रहने के लिए भेज दिया गया था, ताकि वह उच्च विद्यालय की शिक्षा प्राप्त कर सकें। घर पर सब उन्हें नन्हे के नाम से पुकारते थे। वह कई मील की दूरी नंगे पांवों से ही तय कर विद्यालय जाते थे, यहां तक कि भीषण गर्मी में जब सड़कें अत्यधिक गर्म हुआ करती थीं तब भी उन्हें ऐसे ही जाना पड़ता था। 

बड़े होने के साथ ही लाल बहादुर शास्त्री विदेशी दासता से आजादी के लिए देश के संघर्ष में अधिक रुचि रखने लगे। वह भारत में ब्रिटिश शासन का समर्थन कर रहे भारतीय राजाओं की महात्मा गांधी द्वारा की गई ङ्क्षनदा से अत्यंत प्रभावित हुए। लाल बहादुर शास्त्री जब केवल ग्यारह वर्ष के थे तब से ही उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर कुछ करने का मन बना लिया था। गांधी जी ने असहयोग आंदोलन में शामिल होने के लिए जब अपने देशवासियों से आह्वान किया तब लाल बहादुर शास्त्री केवल सोलह वर्ष के थे। उन्होंने महात्मा गांधी के इस आह्वान पर अपनी पढ़ाई छोड़ देने का निर्णय कर लिया था। 

उनके सभी करीबी लोगों को यह पता था कि एक बार मन बना लेने के बाद वह अपना निर्णय कभी नहीं बदलेंगे क्योंकि बाहर से विनम्र दिखने वाले लाल बहादुर अन्दर से चट्टान की तरह दृढ़ हैं। लाल बहादुर शास्त्री ब्रिटिश शासन की अवज्ञा में स्थापित किए गए कई राष्ट्रीय संस्थानों में से एक वाराणसी के काशी विद्यापीठ में शामिल हुए। यहां वह महान विद्वानों एवं देश के राष्ट्रवादियों के प्रभाव में आए। विद्या पीठ द्वारा उन्हें प्रदत्त स्नातक की डिग्री का नाम ‘शास्त्री’ था लेकिन लोगों के दिमाग में यह उनके नाम के एक भाग के रूप में बस गया। 1927 में उनकी शादी हो गई। उनकी पत्नी ललिता देवी मिर्जापुर से थीं जो उनके अपने शहर के पास ही था। उनकी शादी सभी तरह से पारंपरिक थी। दहेज के नाम पर एक चरखा एवं हाथ से बुने हुए कुछ मीटर कपड़े थे। वह दहेज के रूप में इससे ज्यादा कुछ और नहीं चाहते थे। 

1930 में महात्मा गांधी ने नमक कानून को तोड़ते हुए दांडी यात्रा की। इस प्रतीकात्मक संदेश ने पूरे देश में एक तरह की क्रांति ला दी। लाल बहादुर शास्त्री विह्वल ऊर्जा के साथ स्वतंत्रता के इस संघर्ष में शामिल हो गए। उन्होंने कई विद्रोही अभियानों का नेतृत्व किया एवं कुल सात वर्षों तक ब्रिटिश जेलों में रहे। आजादी के इस संघर्ष ने उन्हें पूर्णत: परिपक्व बना दिया। 

आजादी के बाद जब कांग्रेस सत्ता में आई, उससे पहले ही राष्ट्रीय संग्राम के नेता विनीत एवं नम्र लाल बहादुर शास्त्री के महत्व को समझ चुके थे। 1946 में जब कांग्रेस सरकार का गठन हुआ तो इस ‘छोटे से डायनमो’ को देश के शासन में रचनात्मक भूमिका निभाने के लिए कहा गया। उन्होंने केंद्रीय मंत्रिमंडल के कई विभागों का प्रभार संभाला-रेल मंत्री; परिवहन एवं संचार मंत्री; वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री; गृह मंत्री एवं नेहरू जी की बीमारी के दौरान बिना विभाग के मंत्री रहे। उनकी प्रतिष्ठा लगातार बढ़ रही थी।

एक रेल दुर्घटना, जिसमें कई लोग मारे गए थे, के लिए स्वयं को जिम्मेदार मानते हुए उन्होंने रेल मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था। देश एवं संसद ने उनके इस अभूतपूर्व पहल को काफी सराहा। 1964 में वह देश के दूसरे प्रधानमंत्री बने। 1965 में पाकिस्तान के साथ युद्ध में उनके निर्णयों की वजह से भारत ने पाकिस्तान को हराया। तीस से अधिक वर्षों तक अपनी समॢपत सेवा के दौरान लाल बहादुर शास्त्री अपनी उदात्त निष्ठा एवं क्षमता के लिए लोगों के बीच प्रसिद्ध हो गए। विनम्र, दृढ़, सहिष्णु एवं जबरदस्त आंतरिक शक्ति वाले शास्त्री जी लोगों के बीच ऐसे व्यक्ति बनकर उभरे, जिन्होंने लोगों की भावनाओं को समझा। वह दूरदर्शी थे, जो देश को प्रगति के मार्ग पर लेकर आए। 

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!