सूखाग्रस्त गांव में कुंवारों को दुल्हनों का इंतजार

Edited By ,Updated: 18 Apr, 2019 04:25 AM

in the drought hit village awaits bridegrooms to the virgins

सूखा प्रभावित रनमसाले गांव के प्याज उत्पादक किसान 28 वर्षीय महेश लाहू गराड 3 साल से दुल्हन का इंतजार कर रहे हैं। लेकिन हर बार उनकी संभावित दुल्हन का परिवार उनके घर आता है लेकिन वापस नहीं लौटता। महेश का कहना है कि वे लोग जानते हैं कि उनकी बेटियों को...

सूखा प्रभावित रनमसाले गांव के प्याज उत्पादक किसान 28 वर्षीय महेश लाहू गराड 3 साल से दुल्हन का इंतजार कर रहे हैं। लेकिन हर बार उनकी संभावित दुल्हन का परिवार उनके घर आता है लेकिन वापस नहीं लौटता। महेश का कहना है कि वे लोग जानते हैं कि उनकी बेटियों को कैसे यहां पर पानी भरना पड़ेगा इसलिए वे बातचीत बढ़ाने के लिए वापस नहीं आते। ऐसा लगता है कि दुल्हन ढूंढने के लिए मुझे कहीं और जाकर बसना पड़ेगा। रनमसाले गांव में पानी का संकट इस गांव से दुल्हनों को दूर कर रहा है क्योंकि 5000 की आबादी वाले इस गांव में अधिकतर लोग गराड गोत्र से संबंध रखते हैं इसलिए उनकी गांव में भी शादी नहीं हो सकती। उन्हें अन्य क्षेत्रों में दूल्हों और दुल्हनों की तलाश करनी पड़ती है। 

200 युवाओं को नहीं मिली दुल्हन
गांव के उपप्रधान बालाजी गराड ने बताया कि गांव में 25 से 35 वर्ष की आयु के कम से कम 200 युवा हैं जिन्हें अभी तक दुल्हन नहीं मिली है। लड़कियों पर इसका कोई असर नहीं पड़ता क्योंकि वे शादी करके गांव से बाहर बस जाती हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि पिछले दशक में बार-बार सूखा पडऩे से दुल्हनें ढूंढने की समस्या और ज्यादा बढ़ गई है क्योंकि नौजवान काम की तलाश में अन्य स्थानों पर चले जाते हैं इसलिए उनमें से कुछ नई जगह पर दुल्हन ढूंढ लेते हैं। 

लक्ष्मण सोपान गराड पिछले साल से अपने दोनों बेटों की शादी की कोशिश कर रहा है लेकिन अभिजीत (23) और रणजीत (25) को अभी तक दुल्हनें नहीं मिली हैं। लक्ष्मण बताते हैं कि एक साल में 7 परिवार मेरे बेटों को देखने के लिए आए। हमारे घर आने के बाद उन्होंने खाली खेत और सूखे कुएं को देखा। प्रत्येक परिवार ने कहा कि वे वापस आएंगे और संदेश भेजेंगे लेकिन कोई संदेश नहीं आया। इस वर्ष सोलापुर में केवल 38 प्रतिशत सामान्य बारिश हुई और यहां  बारिश की बहुत कमी है। प्रदेश में गत 5 वर्षों से यह सूखे का तीसरा साल है। हालांकि रनमसाले सूखाग्रस्त जिला में आता है लेकिन इस गांव को सूखाग्रस्त घोषित नहीं किया गया जिससे स्थानीय लोगों में रोष है। इस गांव को केन्द्र के सूखे के नए नियमों पर खरा नहीं उतरने के कारण सूखाग्रस्त नहीं माना गया। 

उपप्रधान ने बताया कि गांव को सूखाग्रस्त घोषित न करने के कारण हमें सूखा राहत भी नहीं मिल सकती। हम में से अधिकतर को फसल बीमा भी नहीं मिला है। पानी के टैंकों के लिए हमारी मांग को भी नजरअंदाज कर दिया गया है। गांव वासियों ने धमकी दी थी कि यदि  सरकार द्वारा पानी के टैंकर मुहैया नहीं करवाए गए तो वे सूखे कुओं में कूद कर आत्महत्या कर लेंगे। सोलापुर के उपायुक्त राजेन्द्र भोसले का कहना है कि इस गांव को सूखा घोषित नहीं किया गया है क्योंकि उत्तरी सोलापुर तालुका के 2 राजस्व क्षेत्रों में 75 प्रतिशत  से अधिक बारिश हुई है। इसके बावजूद यह गांव पानी के टैंकरों, फसल, कर्ज माफी तथा कृषि बिजली बिलों की माफी सहित सभी सुविधाओं का हकदार है। 

इस बीच इस गांव की महिलाएं एकमात्र टैंकर द्वारा सप्लाई किए जा रहे पानी से गुजारा कर रही हैं। सविता गराड का कहना है कि हम प्रतिदिन चार बाल्टी पानी से गुजारा करते हैं। उनके तीन बच्चे प्रतिदिन नहा नहीं सकते और न ही रोज-रोज स्कूल की वर्दी धो सकते हैं। गांव में कुछ लोग मतदान का बहिष्कार करना चाहते हैं लेकिन महिलाएं इस हक में नहीं हैं। सिद्धाबाई गराड का कहना है कि मैं अपना वोट व्यर्थ नहीं गंवाऊंगी। यदि हम वोट नहीं देंगे तो हालात कैसे बदलेंगे?-प्रियंका

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