दुष्कर्म के बढ़ते झूठे आरोप और सजा

Edited By ,Updated: 29 Mar, 2024 05:15 AM

increasing false rape allegations and punishment

नई दिल्ली में रोहिणी की एक अदालत ने दुष्कर्म कानून के दुरुपयोग के लिए एक महिला को दो महीने की सजा सुनाई। अदालत ने यह भी कहा कि इस कानून का दुरुपयोग बढ़ता ही जा रहा है। एक तरफ पीड़ित को न्याय नहीं मिलता, दूसरी तरफ झूठे मुकद्दमे दर्ज कराने की लाइन लगी...

नई दिल्ली में रोहिणी की एक अदालत ने दुष्कर्म कानून के दुरुपयोग के लिए एक महिला को दो महीने की सजा सुनाई। अदालत ने यह भी कहा कि इस कानून का दुरुपयोग बढ़ता ही जा रहा है। एक तरफ पीड़ित को न्याय नहीं मिलता, दूसरी तरफ झूठे मुकद्दमे दर्ज कराने की लाइन लगी है। 

महिला ने जिस व्यक्ति पर अपहरण, ब्लैकमेलिंग और दुष्कर्म का आरोप लगाया, दरअसल उससे उसने आर्यसमाज मंदिर में शादी की थी। शादी के फोटोज भी मौजूद थे।  लेकिन बाद में दोनों में मनमुटाव हुआ और महिला ने उस पर मुकद्दमा दर्ज करा दिया। मुकद्दमे के फैसले से पहले ही उस आदमी की मृत्यु हो गई। इस पर अदालत ने यह भी कहा कि हम उस व्यक्ति का आत्मसम्मान जीते जी वापस नहीं लौटा सके, जबकि उसका कोई अपराध नहीं था और यह भी कि एक ही परिवार के 4 लोगों ने निरपराधी होते हुए भी सामूहिक दुष्कर्म के कलंक को झेला। उन्हें न केवल जेल की सजा भुगतनी पड़ी बल्कि आॢथक नुकसान भी झेलना पड़ा।  

हाल ही में अंग्रेजी के एक बड़े अखबार ने बताया था कि बहुत से लोग अदालत द्वारा निरपराध साबित कर भी दिए जाएं तो आन लाइन बहुत सी साइटस पर उनके अपराधी होने के विवरण छपे रहते हैं। इससे उन्हें भारी आफतों का सामना करना पड़ता है। सच बात यह है कि जिन पुरुषों ने कोई अपराध नहीं किया होता और उन्हें महिला कानूनों के शिकंजे में झूठा फंसाया जाता है, उनकी मुसीबतों के बारे में बताया नहीं जा सकता। उन्हें बिना किसी प्रमाण के अपराधी मान लिया जाता है। समाज का बहिष्कार झेलना पड़ता है। जेल भी काटनी पड़ती है। नौकरियां भी चली जाती हैं। नई नौकरी कोई देता नहीं। बहुत बार वे जीवन भर इस परिताप से निकल नहीं पाते। बहुत से गहरे अवसाद में चले जाते हैं। 

आखिर जिन पुरुषों का कोई दोष नहीं, उन्हें क्यों सताया जाए। या कि पुरुष मात्र होना ही अपराधी होने की निशानी है। आखिर कानूनों को ऐसा क्यों बनाया गया है कि पुरुषों को अपनी बात कहने का मौका ही नहीं मिलता। महिला के आरोप लगाते ही वे पकड़ लिए जाते हैं। महिला अगर झूठी साबित भी हो तो उसे कोई सजा नहीं मिलती। रोहिणी की अदालत का यह निर्णय स्वागत योग्य है। दहेज के आरोप के मामले में भी यही होता है। यौन प्रताडऩा, दुष्कर्म और दहेज निरोधी अधिनियम ऐसे ही कानून हैं जो बेहद एकपक्षीय हैं। आखिर कानून का काम सभी को न्याय देना है न कि किसी के आरोप लगाते ही आरोपी को बिना अपराधी सिद्ध हुए अपराधी साबित कर देना। 

मीडिया की भी इसमें बड़ी भूमिका है। वे न केवल आरोपी का नाम उजागर करते हैं बल्कि बार-बार उसका फोटो भी दिखाते हैं, यही नहीं अखबारों में फोटो छापे जाते हैं। क्या चैनल्स के दर्शक पुरुष नहीं। अखबारों के पाठक भी बड़ी संख्या में वे ही हैं। तब उनकी प्राइवेसी की रक्षा उसी तरह क्यों नहीं की जाती जैसी कि महिलाओं के मामले में है। महिलाओं का तो नाम उजागर नहीं किया जाता तो फिर जब तक पुरुष अपराधी साबित न हो जाएं उनकी नुमाइश क्यों की जाती है। 

कानून में इस तरह के बदलाव की सख्त जरूरत है। वैसे भी तमाम जांच एजैंसियां कहती हैं कि दुष्कर्म और दहेज के मामलों में अधिकांश मामले झूठे होते हैं। वे बदले की भावना से लगाए जाते हैं। इंदौर में एक महिला ने प्रापर्टी विवाद के कारण अपने ससुर पर दुष्कर्म का आरोप लगाया था और उस बुजुर्ग ने आहत होकर आत्महत्या कर ली थी।  कितनी बार महिलाएं पति के माता-पिता के साथ नहीं रहना चाहतीं और जब उनकी बात नहीं मानी जाती है, तो वे इस तरह का आरोप लगा देती हैं। पूरे परिवार के सदस्यों का नाम लगा दिया जाता है। कई बार तो वे लोग भी फंसाए जाते हैं जो देश में ही नहीं रहते। दहेज मामलों को तो सर्वोच्च न्यायालय ही लीगल टैररिज्म कह चुका है। 

आखिर यह क्यों मान लिया गया है कि औरतें सत्य हरिश्चंद्र की अवतार होती हैं । वे कभी झूठ ही नहीं बोलतीं। और दुष्कर्म का आरोप तो महिला कभी झूठा लगा ही नहीं सकती क्योंकि उसे ही समाज में बदनामी झेलनी पड़ती है। दरअसल यह उस स्त्री की छवि है जो बेहद मासूम है, जिसे कुछ नहीं पता और वह वास्तव में किसी अपराध की शिकायत ही कर रही है। स्त्री की इस सदियों पुरानी छवि का आज के दौर में आखिर क्या मायने। कोई न भोला है और न मासूम। सब अपने हितों से संचालित हैं। इसीलिए वक्त की मांग है कि इन कानूनों में ऐसे बदलाव किए जाएं कि वे पीड़ित कोई भी हो चाहे स्त्री या पुरुष उसे न्याय दें। न कि एक ही को बिना किसी आधार के अपराधी साबित कर दें। कायदे से जो भी झूठा आरोप लगाए उसे कठोर दंड दिया जाए।-क्षमा शर्मा

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!