भारत ने विश्व को युद्ध नहीं बुद्ध दिया

Edited By ,Updated: 23 Mar, 2024 06:34 AM

india gave buddha to the world not war

हमारा देश भारत मूलत: एक आध्यात्मिक देश है। कुछ विदेशी ताकतों ने हमारी आध्यात्मिकता को हमारी कमजोरी समझ लिया और हमलों के द्वारा यहां सत्तासीन होने का प्रयास किया। ऐसे प्रयासों के विरुद्ध हमारे देश की युवा शक्ति ने जब इन विदेशी ताकतों के विरुद्ध...

हमारा देश भारत मूलत: एक आध्यात्मिक देश है। कुछ विदेशी ताकतों ने हमारी आध्यात्मिकता को हमारी कमजोरी समझ लिया और हमलों के द्वारा यहां सत्तासीन होने का प्रयास किया। ऐसे प्रयासों के विरुद्ध हमारे देश की युवा शक्ति ने जब इन विदेशी ताकतों के विरुद्ध मोर्चे बांधे तो इसी युवा शक्ति को हमारे देश की जनता ने महान धार्मिक नेतृत्व के रूप में स्वीकार किया। विदेशी आक्रांताओं के विरुद्ध सामान्य जनता में जागृति पैदा करने का कार्य मुख्य रूप से धार्मिक और आध्यात्मिक नेताओं के हाथ ही में रहा। इस्लामी आक्रांताओं के विरुद्ध श्री गुरुनानक देव जी से लेकर गुरु गोबिन्द सिंह जी तक सभी गुरुओं ने आध्यात्मिक मुक्ति के लिए वैचारिक मुक्ति को आवश्यक बताया। उन्होंने तो सवा लाख से एक लड़ाऊं का नारा बुलंद करके एक-एक योद्धा में भारी ताकत का संचार ही कर दिखाया। 

मुगलों ने हमारे गुरुओं पर जितने भी जुल्म किए उन सबसे हमारे गुरुओं की आध्यात्मिक शक्ति बढ़ती ही रही। जिसके परिणामस्वरूप हमारे युवाओं में भी जोश पैदा होता रहा और हर मोर्चे पर सफलताएं मिलती रहीं। अपनी मूल आध्यात्मिक संस्कृति की रक्षा के लिए प्रेरणा का काम आध्यात्मिक पुरुष करते हैं और क्षेत्र में योद्धा बनकर कार्य करने की जिम्मेदारी युवा शक्ति पर होती है। महर्षि दयानंद सरस्वती जी ने भी ऐसी ही प्रेरणा नाना साहब, लक्ष्मीबाई आदि को दी तो ब्रिटिश सत्ता के विरुद्ध स्वतंत्रता का बिगुल बज गया। इस स्वतंत्रता आंदोलन में लाला लाजपत राय, चन्द्रशेखर आजाद, राम प्रसाद बिस्मिल और भगत सिंह जैसे लोगों ने जब अपनी आहुतियां दीं तो देश की जनता ने उन्हें भी वैसा ही सम्मान दिया जैसा धार्मिक नेताओं को दिया जाता है। 

विगत 10 वर्षों से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने भी सारे देश के धार्मिक स्थलों का पुनरुद्धार करने का जो बीड़ा उठाया-वह विचार और जोश भारत के किसी भी पूर्व प्रधानमंत्री के मन में नहीं उठा। नरेन्द्र मोदी जी ने सबसे पहले वर्ष 2019 में गुरु नानकदेव जी की जन्मस्थली, करतारपुर साहब गुरुद्वारे तक पहुंचने के लिए मार्ग प्रशस्त किया। लगभग 400 वर्ष पूर्व गुरु गोङ्क्षबन्द सिंह जी के साहिबजादों जोरावर सिंह जी तथा फतेह सिंह जी की शहादत वाले दिन 26 दिसम्बर को ‘वीर बाल दिवस’ घोषित किया तो उनके इस प्रयास से सारे देश के बच्चों में राष्ट्र रक्षा की भावनाएं उजागर हो गईं। इस के साथ-साथ उन बाल शहीदों के विस्मृत होते जा रहे इतिहास को फिर से जीवंत कर दिया। 

पंजाब के दो साहिबजादों के विस्मृत पड़े हुए इतिहास को एक बार फिर सारे संसार के सामने सुॢखयां प्राप्त हो गईं। धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए भी उन्होंने अनेकों ऐसे प्रयास किए जो किसी सामान्य राजनेता के मन में पैदा ही नहीं हो सकते थे। गुजरात के कच्छ क्षेत्र में एक प्राचीन लखपत साहब गुरुद्वारा भूकम्प में क्षतिग्रस्त हो गया था जिसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पहले से भी जोरदार सुंदरता प्रदान करने के प्रयास कर दिखाए। 500 वर्षों से श्री राम मंदिर का मामला लचर सरकारी और न्यायिक प्रक्रियाओं का शिकार होता रहा। नरेन्द्र मोदी जी की पहल पर यह कार्य सम्पन्न हो सका और अयोध्या का राम मंदिर आज सारी दुनिया में आकर्षण का केंद्र बन चुका है। 

काशी विश्वनाथ हो या इंदौर, उज्जैन के मंदिर, मोदी जी ने भारत के अनेकों धर्मस्थलों की सुन्दरता पर विशेष ध्यान दिया है। वे जब भी किसी धार्मिक आयोजन में शामिल होते हैं तो उनकी वाणी में राजनेता की भावना नहीं अपितु एक अध्यात्मवेत्ता की भावना दिखाई देती है। उनकी वाणी ही क्या उनके शरीर की भाषा भी उनके अंदर एक आध्यात्मिक शक्ति का दर्शन प्रस्तुत करती है। हाल ही में भारत को जब जी-20 देशों का नेतृत्व प्राप्त हुआ तो सारा विश्व वर्ष भर की इन अंतर्राष्ट्रीय बैठकों को बड़े विस्मय से देख रहा था कि किस प्रकार अंतर्राष्ट्रीय स्तर के औपचारिक विषयों के साथ-साथ भारत के हर प्रांत की संस्कृति और धार्मिक परम्पराओं को उजागर किया जा रहा था।

उत्तराखंड की बैठक के साथ ऋषिकेश की गंगा आरती उजागर की गई तो पंजाब की बैठक अमृतसर में आयोजित करके स्वर्ण मंदिर के प्रति विदेशियों में आकर्षण पैदा करने का कार्य किया गया। संयुक्त राष्ट्र संघ में भी वे भारतीय संस्कृति को प्रस्तुत करते हुए कहते हैं कि भारत ने विश्व को युद्ध नहीं बुद्ध दिया है। विगत 10 वर्षों में  नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत की छवि सारे संसार में एक आध्यात्मिक राष्ट्र के रूप में पुन: स्थापित हो पाई है।-अविनाश राय खन्ना(पूर्व सांसर्द)

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