केजरीवाल की गिरफ्तारी असाधारण घटना

Edited By ,Updated: 25 Mar, 2024 05:39 AM

kejriwal s arrest is an extraordinary incident

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी एक ऐसी बड़ी घटना है, जिसकी तुलना किसी भी पूर्व गिरफ्तारी से नहीं हो सकती। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इसके पूर्व 2 फरवरी को गिरफ्तार हुए थे और त्यागपत्र देने के बाद उनकी गिरफ्तारी दिखाई गई।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी एक ऐसी बड़ी घटना है, जिसकी तुलना किसी भी पूर्व गिरफ्तारी से नहीं हो सकती। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इसके पूर्व 2 फरवरी को गिरफ्तार हुए थे और त्यागपत्र देने के बाद उनकी गिरफ्तारी दिखाई गई। 

वस्तुत: केजरीवाल का मामला इस रूप में गुणात्मक रूप से भिन्न है क्योंकि वह भ्रष्टाचार के विरुद्ध अभियानों, आंदोलन की अगुवाई करते हुए यहां तक पहुंचे। उनके बैनर का नाम ही था इंडिया अगेंस्ट क्रप्शन और उन्होंने यू.पी.ए. सरकार के दौरान प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से लेकर अध्यक्ष सोनिया गांधी, उनके दामाद रॉबर्ट वाड्रा, कई केंद्रीय मंत्रियों जिनमें प्रणब मुखर्जी से लेकर कपिल सिब्बल, पी.चिदंबरम आदि शामिल थे, सबको भ्रष्टाचारी बताते हुए उनका त्यागपत्र देने एवं गिरफ्तार किए जाने की मांग की थी। 

आम लोगों में छवि यह बनी थी कि भ्रष्टाचार के विरुद्ध एक हीरो अन्ना हजारे के संरक्षण में उभरा है और उसके पास एक टीम है जिसमें लडऩे और व्यवस्था बदलने का माद्दा है। हालांकि लंबे समय तक उनकी घोषणा यही रही कि वह राजनीति में नहीं जाएंगे कोई दल नहीं बनाएंगे। राजधानी दिल्ली में उनकी पूरी लड़ाई ही तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित और उनकी सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर थी। 

पूरी दिल्ली में उन्होंने धरना, प्रदर्शन, सभाएं कीं और जनता के बड़े समूह को अपने साथ जोड़ा, क्योंकि लोगों को कठिनाइयां थीं, और वह जो बात बोलते थे वह व्यावहारिक रूप से सबके जीवन में लागू हो रही थी। शीला दीक्षित, उनकी सरकार और कांग्रेस पार्टी के लिए तब केजरीवाल और उनके साथियों का जवाब देना मुश्किल होता था। भ्रष्टाचार के विरुद्ध उठकर खड़ा होने वाला नेता अगर ऐसे शर्मनाक भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार होता है तो इससे बड़ी त्रासदी भारतीय एक्टिविज्म और राजनीति के लिए कुछ नहीं हो सकती। किसी का गिरफ्तार होना या उस पर आरोप लगा होना उसके दोषी होने का प्रमाण नहीं होता। न्यायालय ही उसके दोषी या निर्दोष होने का प्रमाण देता है। इसलिए देश भर के ऐसे लोग जो भ्रष्टाचार के अंत की कामना से किसी भी क्षेत्र में काम कर रहे हों उन सबके लिए यह अत्यंत दुखद स्थिति है। 

सबकी चाहत यही होगी कि केजरीवाल और उनके साथी भ्रष्टाचार के आरोपों से बरी हों। ऐसा नहीं हुआ तो भ्रष्टाचार के विरुद्ध किसी आंदोलन पर भारत के आम लोग लंबे समय तक विश्वास नहीं करेंगे। दिल्ली शराब घोटाले की कानूनी कार्रवाई अब तक जिस दिशा में आगे बढ़ी है और छानबीन के आधार पर जिस तरह की बातें सामने आई हैं उनमें यह मानना मुश्किल है कि सब कुछ ईमानदारी, नैतिकता, शुचिता की कसौटी पर कसकर ही किया गया। आम आदमी पार्टी गिरफ्तारी के पीछे भाजपा पर राजनीतिक प्रतिशोध का आरोप लगाती है। अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी का राजनीतिक पहलू यह है कि पहले उनका दाहिना हाथ माने जाने वाले साथी और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी  हुई और बाद में ‘आप’ का चेहरा बने राज्यसभा सदस्य संजय सिंह गिरफ्तार किए गए। इसके पूर्व दूसरे मामलों में पार्टी के वित्तीय प्रबंधक के रूप में जाने जाने वाले सत्येंद्र जैन गिरफ्तार हुए। 

ऐसे में दिल्ली सरकार के संचालन और आम आदमी पार्टी के भविष्य पर बड़ा प्रश्न खड़ा हो गया है। लोकसभा चुनाव में पार्टी का मुख्य प्रचारक ही अगर अंदर हो तो समर्थकों, उम्मीदवारों की मानसिक स्थिति क्या होगी इसका अनुमान आसानी से लगाया जा सकता है। इस तरह आम आदमी पार्टी के लिए यह अब तक का सबसे बड़ा संकट है। किंतु राजनीतिक पहलू इस प्रकरण का प्रतिउत्पाद ही है। ध्यान रहे कि अरविंद केजरीवाल ने गिरफ्तारी से बचने के लिए अंतत: उच्च न्यायालय की शरण ली। उनके वकीलों ने दलील दी कि वह बार-बार सम्मन पर इसलिए उपस्थित नहीं होते क्योंकि उन्हें अपनी गिरफ्तारी का डर है। अगर गिरफ्तार हो गए तो लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी ठीक से नहीं लड़ पाएगी।

न्यायालय ने ई.डी. के वकील से पूछा कि क्या आप यह गारंटी देंगे कि पूछताछ के साथ उनको गिरफ्तार नहीं किया जाएगा? ई.डी. के वकील ने उत्तर दिया कि नहीं, हम उन्हें गिरफ्तार करेंगे। तब माननीय न्यायाधीश ने उनसे सारे दस्तावेज प्रस्तुत करने को कहा और सब देखने के बाद गिरफ्तारी पर रोक लगाने से इन्कार कर दिया। न्यायालय के इस व्यवहार के बाद सच कहा जाए तो अलग से कुछ कहने की आवश्यकता नहीं रह जाती। हालांकि इससे भी यह निश्चित नहीं होता कि मामले का अंतिम फैसला क्या होगा। 

दिल्ली शराब घोटाले में केजरीवाल को मिलाकर अब तक 17 लोग गिरफ्तार हो चुके हैं। उनसे पूर्व सबसे अंतिम और बड़ी गिरफ्तारी तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री के. चन्द्रशेखर राव की बेटी के. कविता की थी। जैसा कि हम जानते हैं ई.डी. अपने आप कोई मामला दर्ज नहीं करती। सी.बी.आई., पुलिस या अन्य एजैंसी जब कोई मामला दर्ज करती है और उसमें यदि अवैध लेन-देन का पहलू आता है तभी ई.डी. उसमें प्रवेश करती है, क्योंकि धन शोधन अधिनियम तभी लागू होता है जब भ्रष्टाचार में अवैध नकदी लेन-देन का पहलू हो। इस तरह सी.बी.आई. एवं ई.डी. दोनों की जांच और कानूनी कार्रवाई समानांतर चल रही है। दोनों ने न्यायालय में आरोप पत्र और पूरक आरोप पत्र दायर किया है। आरोप पत्रों में अरविंद केजरीवाल का नाम भी था। भारतीय राजनीति की विडम्बना ही है कि एक समय भ्रष्टाचार के विरुद्ध खड़ा हुआ हीरो आज ऐसे शर्मनाक भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार है।-अवधेश कुमार
 

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