अब वैश्वीकरण में ‘ब्रिक्स’ देशों की होगी नई भूमिका

Edited By Pardeep,Updated: 01 Aug, 2018 03:43 AM

now brics countries will have a new role in globalization

हाल ही में 25 से 27 जुलाई को दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में आयोजित हुए 10वें ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) शिखर सम्मेलन की ओर पूरी दुनिया की निगाहें लगी हुई थीं। इस सम्मेलन का विशेष महत्व इसलिए था क्योंकि इस समय पूरा विश्व...

हाल ही में 25 से 27 जुलाई को दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में आयोजित हुए 10वें ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) शिखर सम्मेलन की ओर पूरी दुनिया की निगाहें लगी हुई थीं। इस सम्मेलन का विशेष महत्व इसलिए था क्योंकि इस समय पूरा विश्व अमरीकी संरक्षणवाद और वैश्विक आतंकवाद के खतरे का सामना कर रहा है। 

ब्रिक्स के सामने व्यापार युद्ध और आतंकवाद के असर से न केवल खुद को बल्कि पूरी दुनिया को बचाने की जिम्मेदारी है। 27 जुलाई को 10वें ब्रिक्स सम्मेलन का जो ब्रिक्स घोषणापत्र ब्रिक्स देशों द्वारा जारी किया गया उसमें अमरीकी व्यापार संरक्षणवाद और वैश्विक आतंकवाद से निपटने के लिए एक समग्र रुख का आह्वान किया गया है। सम्मेलन में ब्रिक्स देशों के बीच इस बात पर सहमति बनी कि विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यू.टी.ओ.) के वैश्विक ढांचे में स्थापित किए गए नियमों के आधार पर बहुपक्षीय व्यापार व्यवस्था ही आगे बढ़ेगी। अब अर्थतंत्र, कारोबार, वित्त, सुरक्षा और मानविकी के क्षेत्र सामूहिकता और सहयोग से ही आगे बढ़ेंगे। अब एकाधिकार और संरक्षणवादी प्रवृत्ति का पुराना दौर दोहराने नहीं दिया जाएगा। 

शिखर सम्मेलन में जनतंत्र एवं बहुपक्षीय सहयोग की जोरदार वकालत की गई है। 2030 तक भुखमरी की स्थितियों से पूरी तरह निपटने का लक्ष्य रखा गया है। पर्यावरण के अनुकूल एनर्जी सिस्टम को विकसित करने के लिए ब्रिक्स एनर्जी रिसर्च को-ऑप्रेशन प्लेटफॉर्म बनाने का निर्णय लिया गया है। घोषणापत्र में कट्टरपंथ से निपटने, आतंकवादियों के वित्तपोषण के माध्यमों को अवरुद्ध करने, आतंकी शिविरों को तबाह करने और आतंकी संगठनों द्वारा इंटरनैट के दुरुपयोग को रोकने जैसे मुद्दे प्रमुख रूप से शामिल हैं। ब्रिक्स देशों के समूह ने कहा कि आतंकी कृत्यों को अंजाम देने, उनके साजिशकत्र्ताओं या उनमें मदद देने वालों को निश्चित रूप से जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए। 

ब्रिक्स की स्थापना का मुख्य उद्देश्य अपने सदस्य देशों की सहायता करना है। ये देश एक-दूसरे के विकास के लिए वित्तीय, तकनीक और व्यापार के क्षेत्र में एक-दूसरे की सहायता करते हैं। ब्रिक्स देशों के पास खुद का एक बैंक भी है। इसका कार्य सदस्य देशों और अन्य देशों को कर्ज के रूप में वित्तीय सहायता प्रदान करना है। ब्रिक्स देशों के पास दुनिया की सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) का करीब 30 फीसदी हिस्सा है। विश्व का 18 प्रतिशत व्यापार ब्रिक्स देशों की मु_ियों में है। पिछले 10 वर्षों में इन देशों ने वैश्विक आर्थिक विकास में 50 प्रतिशत भागीदारी निभाई है, साथ ही पिछले 10 वर्षों में उभरते बाजारों और विकासशील देशों के बीच सहयोग के लिए ब्रिक्स एक महत्वपूर्ण मंच बन गया है। ब्रिक्स सदस्य देशों में एशिया, अफ्रीका, यूरोप एवं अमरीका के एवं जी-20 के देश भी शामिल हैं।

मोदी द्वारा ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हो रहे अमरीकी संरक्षणवाद और आतंकवाद के मुद्दे को उठाया गया। मोदी ने कहा कि सभी राष्ट्रों को यह जिम्मेदारी लेनी होगी कि वे खुले वैश्विक व्यापार में बाधक न बनें और उनकी धरती से कोई भी आतंकी गतिविधि न होने पाए। मोदी ने बहुपक्षवाद, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और नियम-आधारित विश्व व्यवस्था के प्रति भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि की। मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग इस बात पर सहमत हुए हैं कि उनकी हाल की बैठकों से दोनों देशों के संबंधों में बनी गति को बरकरार रखने के लिए चीन के रक्षा मंत्री अगले अगस्त महीने में भारत का दौरा करेंगे। 

राष्ट्रपति शी ने बताया कि यह फैसला किया गया है कि एक भारतीय व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल 1-2 अगस्त को चीन की यात्रा करेगा। सोया, चीनी और गैर-बासमती चावल के निर्यात पर चर्चा करेगा तथा वह चीन से यूरिया के संभावित आयात पर भी गौर करेगा। मोदी व रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन ने आपसी हितों खासतौर से व्यापार, निवेश, ऊर्जा, रक्षा और पर्यटन संबंधी द्विपक्षीय मुद्दों पर व्यापक चर्चा की। ब्रिक्स सम्मेलन में इस बात पर गंभीरतापूर्वक विचार किया गया कि यदि विश्व व्यापार व्यवस्था वैसे काम नहीं करती जैसे कि उसे करना चाहिए तो डब्ल्यू.टी.ओ. ही एक ऐसा संगठन है जहां इसे दुरुस्त किया जा सकता है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो दुनियाभर में विनाशकारी व्यापार लड़ाइयां ही 21वीं शताब्दी की हकीकत बन जाएंगी। 

इस शिखर सम्मेलन से ट्रेड वार के खिलाफ सामूहिक रूप से संगठित होकर इसकी धार पलटने का प्रयास हुआ है। चूंकि अभी चीन के खिलाफ खुलकर और भारत पर छिटपुट हमलों की शक्ल में अमरीका का ट्रेड वार चल रहा है। रूस पर अमरीका के कई तरह के प्रतिबंध पहले से ही जारी हैं। ब्राजील से अमरीका का अच्छा व्यापारिक रिश्ता कभी रहा ही नहीं, ऐसे में सम्मेलन में ब्रिक्स देश अमरीका के इस आक्रामक रवैये को लेकर रणनीति बनाकर आगे बढ़े हैं। आर्थिक मुद्दों के अलावा आतंकवाद को समाप्त करने में सभी ब्रिक्स देशों का सहयोग, संयुक्त राष्ट्र के ढांचे में सुधार, साइबर सुरक्षा, ऊर्जा सुरक्षा और वैश्विक व क्षेत्रीय मुद्दों के साथ-साथ आतंकवाद से लडऩे के लिए रणनीति बनाना महत्वपूर्ण उपलब्धि है। अब ब्रिक्स के सभी देश पूरी ताकत से मनी लांङ्क्षड्रग और आतंकवादियों को मिलने वाले धन के खिलाफ संयुक्त कार्रवाई करेंगे और साइबर स्पेस में कट्टरपंथी प्रभाव पर नजर रखेंगे, इससे आतंकवाद से संघर्ष में काफी सहायता मिलेगी।-डा. जयंतीलाल भंडारी

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