अब सुशांत की ‘आत्मा’ को शांति से रहने दें

Edited By ,Updated: 15 Aug, 2020 01:42 AM

now let sushant s soul live in peace

बांद्रा में सुशांत सिंह राजपूत ने पंखे से लटक कर आत्महत्या कर ली थी। मैं उनके बारे में ज्यादा नहीं जानता था। उन्होंने अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली तो मुझे पता लगा कि वह बिहार के पूर्णिया जिले में एक कस्बे में जन्मे थे। उनकी बहन एक

बांद्रा में सुशांत सिंह राजपूत ने पंखे से लटक कर आत्महत्या कर ली थी। मैं उनके बारे में ज्यादा नहीं जानता था। उन्होंने अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली तो मुझे पता लगा कि वह बिहार के पूर्णिया जिले में एक कस्बे में जन्मे थे। उनकी बहन एक अच्छी क्रिकेटर रही हैं। सुशांत खुद एक औसत छात्र थे जिन्होंने अपनी इंजीनियरिंग  की पढ़ाई को पूरा नहीं किया था क्योंकि उनका रुझान डांसिंग और उसके बाद एक्टिंग में हो गया। 

मैं उनके बारे में पहले से नहीं जानता था क्योंकि फिल्मों में मेरी रुचि कम है। मैंने सुशांत के बारे में इसलिए दिलचस्पी दिखाई क्योंकि इस प्रसिद्ध अभिनेता की मौत से प्रत्येक साधारण देशवासी शोकग्रस्त है जिन्होंने टी.वी. सीरियल में अपनी विशेष छाप छोड़ी और उसके बाद बॉलीवुड की मायावी दुनिया में कदम रखा। उनका संबंध फिल्मी लोगों से नहीं था या यूं कहें कि वह फिल्मी बैकग्राऊंड से नहीं थे। इसलिए शोहरत पाने के लिए सुशांत ने कठिन मेहनत की। मगर युवा तथा बूढ़े, अमीर तथा गरीब, ङ्क्षहदू-मुस्लिम, शहरी या ग्रामीण लोगों ने सुशांत राजपूत को न्याय दिलाने के लिए आवाज बुलंद की। 

लोगों ने उनके लिए न्याय की मांग क्यों की तथा क्यों विभिन्न श्रेणियों के राजनेता सुशांत की मौत के बाद तालाब में कूद गए और मगरमच्छ के आंसू बहाने लगे। फिल्मी दुनिया की चकाचौंध, धन-दौलत तथा शोहरत अपनी ओर लुभाती है और कई बार इसका अंत दुखद होता है। उनकी मौत के बाद दो राज्यों महाराष्ट्र तथा बिहार में रस्साकशी चल रही है। दोनों ही राज्य अपना राजनीतिक हित देख रहे हैं। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के बेटे आदित्य ठाकरे तथा राज्य में पर्यावरण एवं पर्यटन मंत्री सुशांत के दोस्त माने जाते थे और सुशांत की मौत से एक दिन पहले उनके घर में एक सोशल इवैंट में उनकी उपस्थिति दर्ज हुई जिसने शक की सुई को इधर-उधर घुमाया।  राज्य पर शासन करने वाले गठबंधन को जटिल बनाने का प्रयास किया गया है। 

यह रणनीति सफल न होगी क्योंकि आदित्य ठाकरे 24 घंटे पुलिस की सुरक्षा में हैं। उनके प्रत्येक कदम पर नजर रखी जा रही है तथा वह जांच के घेरे में हैं। युवा मंत्री ने सुशांत के साथ अपनी दोस्ती से इंकार नहीं किया है। उनका कहना है कि बॉलीवुड में सुशांत जैसे कई अन्य दोस्त भी हैं। उन्होंने दोहराया कि उनकी दोस्ती एक क्षेत्र में भटकी नहीं थी जो आत्महत्या का कारण बनी। महाराष्ट्र के कई अन्य नागरिकों की तरह मुझे आदित्य पर भरोसा है। वह चतुर राजनेताओं की श्रेणी में नहीं आते जो आंख झपके बिना झूठ बोल देते हैं। 

बिहार सरकार द्वारा समर्थित बिहार पुलिस ने सुशांत की मौत में एक निरंतर तथा कुछ दिलचस्पी देखी जो आत्महत्या का कारण बनी। पुलिस ने सुशांत के पिता के कहने पर उसकी प्रेमिका रिया चक्रवर्ती पर शंका जताई और उसे इस घटना का कारण माना। यहां तक कि उसके पिता को यह शक है कि रिया ने सुशांत के बैंक अकाऊंट से पैसे निकाले। इस आरोप को महाराष्ट्र पुलिस द्वारा चुनौती दी गई। 

इंडियन पीनल कोड में संशोधन ने एक प्रावधान जारी किया है जिसके तहत आत्महत्या के लिए प्रेरित करने को अपराध माना गया है। जबकि आत्महत्या करने का प्रयास धीरे-धीरे कानूनविदों तथा सामाजिक कार्यकत्र्ताओं के साथ तरफदारी खो रहा था। कुछ वर्ष पूर्व मेरे इसाई समुदाय से संबंधित एक पादरी जोकि रोमन कैथोलिक, मेरा परामर्श लेने के लिए आया। उसके साथ एक वृद्ध महिला थी जिसकी बेटी बायकुला वूमन्ज जेल में अंडर ट्रायल के लिए थी। उस लड़की का अपराध यह था कि वह एक ङ्क्षहदू लड़के के साथ उलझी हुई थी जिसके पास कोई नौकरी न थी। लड़का लड़की के आश्रय पर था जिसे बहुत कम आय थी। उसकी मां ने मेलजोल का विरोध किया। जब लड़की को व्यवस्था के लिए बुलाया गया तो लड़के ने आत्महत्या कर ली। लड़की को बहकावे के लिए गिरफ्तार कर लिया गया। 

मेरा मानना है कि यह सब निरर्थक था और कुछ भी सहायता न हो सकी। यदि पुलिस की व्याख्या को अदालतें सही ठहरा देतीं तो इसका मतलब प्रेमलीला तथा किशोरावस्था के प्रेम का अंत होता। भविष्य में परिवारों द्वारा शादी के बंधन में बांधे बिना कोई भी रिश्ता नहीं रखेगा जैसा कि युवा लोग आमतौर पर रखते हैं। कानून पर मेरी व्याख्या संशोधन को जारी करने के उद्देश्यों पर आधारित है। वह यह है कि अपराधी को प्रत्यक्ष रूप में व्यक्ति को आत्महत्या के लिए उकसाए जाने के  तौर पर देखा जाएगा। विकृत हो चला प्रेम प्रसंग अपराधीकरण के लिए योग्य नहीं है। 

इस तरह कई युवक तथा युवतियां  लोगों की नजरों में आत्महत्या करने की प्रवृत्ति के आगे घुटने टेक देते हैं। सुशांत के मामले में यहां तक कि मुख्यमंत्री तथा गृहमंत्री यह सोचते हैं कि इस मामले से उन्हें राजनीतिक फायदा पहुंचेगा यदि वह निजी तौर पर शामिल हो जाते हैं। लोगों को रिया चक्रवर्ती को एकांत में रहने के लिए छोड़ देना चाहिए और सुशांत की आत्मा को शांति से रहने देना चाहिए और सबसे महत्वपूर्ण यह है कि अदालतों को आत्महत्याओं की पुलिस जांच को बंद कर देना चाहिए जहां पर एक अनावश्यक प्रेम जीवन लीला समाप्त का कारण बनता है।-जूलियो फ्रांसिस रिबेरो (पूर्व डी.जी.पी. पंजाब व पूर्व आई.पी.एस. अधिकारी)

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