मोटापा : हर स्तर पर इसे कैसे रोका जाए

Edited By ,Updated: 04 Mar, 2024 04:42 AM

obesity how to prevent it at every level

भारत में बच्चों में मोटापा इतनी तेजी से बढ़ रहा है कि डब्‍ल्‍यूएचओ (विश्व स्वास्थ्य संगठन) ने हमारे देश को बचपन में मोटापे की उच्च दर के लिए खतरे में डाल दिया है।

भारत में बच्चों में मोटापा इतनी तेजी से बढ़ रहा है कि डब्‍ल्‍यूएचओ (विश्व स्वास्थ्य संगठन) ने हमारे देश को बचपन में मोटापे की उच्च दर के लिए खतरे में डाल दिया है। अनुमान है कि 2030 तक मोटापे से ग्रस्त हर 10 बच्चों में से 1 भारत से होगा, जो चीन और अमरीका के बाद तीसरी सबसे बड़ी संख्या होगी। मार्च 2024 में लैंसेट में प्रकाशित एक रिपोर्ट से पता चला कि वैश्विक स्तर पर 1990 की तुलना में 2022 तक मोटापा जहां 4.5 गुना बढ़ा है, वहीं भारत में 30 गुना बढ़ चुका है।

देश में 1990 में जहां 4 लाख बच्चे मोटापे से ग्रस्त थे, वहीं 2022 में इनकी संख्या बढ़कर 1.25 करोड़ हो गई। तो इन आंकड़ों के बारे में ङ्क्षचता क्यों करें? मोटापे का मतलब प्यारे-प्यारे, गोल-मटोल बच्चे होना नहीं है, यह एक क्रोनिक समस्या है जिस पर उपचार का अच्छा असर नहीं होता है और बार-बार यह समस्या उत्पन्न हो जाती है। यह कई गैर-संचारी रोगों (एन.सी.डी.) का कारण बनता है, जैसे-मधुमेह, उच्च रक्तचाप, फैटी लिवर और असामान्य लिपिड प्रोफाइल।

समय के साथ-साथ यह मनोवैज्ञानिक समस्याओं, हड्डियों की विकृति, स्लीप एपनिया (सोते हुए अपने आप सांस रुकना और फिर शुरू हो जाना), स्कूल में खराब प्रदर्शन, यहां तक कि कैंसर का खतरा भी बढ़ा सकता है। इसलिए, हमें तत्काल इस बात पर ध्यान देने की आवश्यकता है कि मोटापा क्यों होता है और हर स्तर पर इसे कैसे रोका जाए-खासकर बच्चों में, जो हमारा भविष्य हैं। 

मोटापे की रोकथाम मां से शुरू होती है, खासकर गर्भावस्था से पहले और उसके दौरान। एक स्वस्थ मां ही स्वस्थ बच्चे को जन्म देती है। एक महिला जो गर्भधारण करने से पहले, गर्भावस्था के दौरान और बाद में इष्टतम वजन बनाए रखती है और पहले 6 महीनों तक विशेष रूप से स्तनपान कराती है, वह अपने बच्चे को जीवन भर मोटापे से महत्वपूर्ण सुरक्षा प्रदान करती है।

बोतल से दूध पिलाना एक जोखिम कारक है, जैसे कि पहले 6 महीने का होने से पहले ठोस आहार की शुरूआत करना। जबरदस्ती खिलाने और अधिक वसा, चीनी या नमक (एच.एफ.एस.एस.) वाला जंक फूड देने से नवजात शिशु और बच्चे की स्वाद प्राथमिकताएं और दृष्टिकोण बदल जाते हैं, और उसका वजन अत्यधिक बढऩे लगता है। बच्चों को घर पर बनाए गए भोजन की बजाय ब्रैड, बिस्कुट, नूडल्स, नमकीन, जूस जैसे प्रसंस्कृत खाद्य और पेय पदार्थ दिए जाते हैं।

ये बेशक स्वादिष्ट और सस्ते होते हैं, लेकिन इनमें कैलोरी बहुत अधिक और पोषण बहुत कम होता है। खाने की अनियमित आदतें जैसे देर से खाना और नाश्ता न करना, शारीरिक गतिविधि की कमी, और मोबाइल फोन, कंप्यूटर जैसे उपकरणों पर चिपके रहना भी बच्चों के मोटे होने के अन्य कारण हैं। माता-पिता और परिवार के बड़े सदस्य बच्चों के सर्वांगीण विकास की बजाय उनकी पढ़ाई पर ही ध्यान देते हैं, बच्चों को खेलने के लिए प्रोत्साहित करने की बजाय ट्यूशन पर भेजते हैं। देर से सोना और जागना और अधूरी नींद भी वजन बढ़ाने में मदद करते हैं। ये सभी कारक न केवल सामान्य विकास बल्कि मस्तिष्क के विकास में भी बाधा डालते हैं।

हानिकारक प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ खाने की वर्तमान जीवनशैली, सक्रिय रूप से खेलने के लिए बाहर जाने के बजाय स्क्रीन और ट्यूशन पर लंबा समय बिताना, खराब और अपर्याप्त नींद, शहर में खेलकूद के स्थानों की कमी, ये सभी उल्लेखनीय रूप से मोटापा पैदा करने वाले वातावरण का निर्माण करते हैं। इसका परिणाम यह होता है कि बच्चे शारीरिक, मानसिक और सामाजिक रूप से चुस्त-दुरुस्त नहीं रहते हैं। इनमें से अधिकांश कारणों को बच्चों और पूरे परिवार के लिए स्वस्थ जीवन शैली अपनाकर रोका या उलटा जा सकता है। इसका एक तरीका है 5-2- 1-0 नियम; यानी रोज 5 फल-सब्जियां खाना, 2 घंटे से कम टी.वी.-फोन कंप्यूटर पर बिताना, 1 घंटा शारीरिक गतिविधि और चीनी-मीठे पेय पदार्थों और अति प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों का शून्य (0) सेवन।

भारतीय बाल चिकित्सा अकादमी का एक सब-चैप्टर होने के नाते एन.सी.डी.पी.ए. (एन.सी.डी. प्रिवैंशन एकैडमी) देश में मोटापे और कई संबंधित गैर-संचारी रोगों (एन.सी.डी.) की रोकथाम या इनमें कमी लाने की दिशा में काम कर रहा है। हम समस्या की भयावहता के बारे में जागरूकता पैदा करने और संभावित समाधानों के बारे में शिक्षित करने के लिए स्कूली बच्चों/कॉलेजों/एन.जी.ओ./ सरकारी एजैंसियों तक पहुंचते हैं।

हम इस बार के विश्व मोटापा दिवस पर एक बार फिर स्वास्थ्य अधिकारियों से अपनी यह पुरानी मांग दोहराते हैं कि पैकिंग वाले खाद्य और पेय पदार्थों पर फ्रंट ऑफ पैक लेबङ्क्षलग शुरू की जाए, यानी पैकिंग पर प्रमुखता से बताया जाए कि खाने वाला इसमें क्या खाने जा रहा है। उच्च संतृप्त वसा, चीनी और नमक की मात्रा वाले एच.एफ.एस.एस. खाद्य पदार्थों के विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगाया जाए जो तंबाकू-शराब से भी अधिक हानिकारक हैं। बच्चों और वयस्कों के लिए नियमित शारीरिक गतिविधि के लिए सुविधाएं और अवसर पैदा किए जाएं। साथ ही, स्कूलों में और इनके आसपास जंक फूड बेचने पर पाबंदी लगाई जाए। -डा. अनिल सूद

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