पुराने मुद्दे खत्म नहीं हुए, नए उठ खड़े हुए

Edited By ,Updated: 10 Jan, 2016 11:46 PM

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दिल्ली सरकार और केन्द्र के बीच घमासान जारी है और हालत यह है कि अभी पुराने मुद्दों का समाधान हो भी नहीं पाता है कि नए सिर उठा लेते हैं।

(दिलीप चेरियन): दिल्ली सरकार और केन्द्र के बीच घमासान जारी है और हालत यह है कि अभी पुराने मुद्दों का समाधान हो भी नहीं पाता है कि नए सिर उठा लेते हैं। आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार अब दिल्ली तथा अंडेमान एवं निकोबार द्वीप समूह सिविल सॢवस (डी.ए.एन.आई.सी.एस.) काडर के दो अधिकारियों की सस्पैंशन को लेकर गृह मंत्रालय के साथ भिड़ गई, जिन्होंने कैबिनेट के एक फैसले पर हस्ताक्षर करने से इंकार कर दिया है। सुभाष चंद्रा और यशपाल गर्ग की सस्पैंशन के चलते दिल्ली सरकार के 250 से अधिक अधिकारी सामूहिक अवकाश लेकर अपना विरोध भी जता चुके हैं। गृह मंत्रालय ने दिल्ली सरकार के खिलाफ जाकर इस सस्पैंशन को खारिज कर दिया और अधिकारी बहाल हो गए। इस पूरे मामले को लेकर स्थिति का समाधान अभी भी बकाया है। 

अब ‘आप’ विधायक अल्का लाम्बा ने यह कहकर इस आग में और घी डाल दिया है कि गृह और वित्त सचिव एस.एन. सहाय केन्द्र सरकार की तरफ से भूमिका निभाते हुए अरविंद केजरीवाल सरकार को अस्थिर करने का काम कर रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि विधायिका साहिबा ने उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया को पत्र लिखकर सहाय की शिकायत की है और उन पर एक दिन की हड़ताल के लिए अन्य आई.ए.एस. अधिकारियों को उकसाने का आरोप भी लगाया है। दिलचस्प है कि सहाय पर तो केजरीवाल का विश्वासपात्र होने की बात कही जाती रही है और केजरीवाल उन्हें 2 बार प्रमोशन भी दे चुके हैं। उन्हें एक बार प्रमोशन तो केजरीवाल की पिछली कुछ दिनों की सरकार के समय ही मिली थी और दूसरी इस बार के कार्यकाल में मिली है। 
 
बाबुओं की कमी आखिर कब  होगी पूरी
आंध्र प्रदेश के पुनर्गठन के बाद से तेलंगाना को अभी भी झटकों का सामना करना पड़ रहा है और 2014 में राज्य के गठन के बाद से ही समस्याओं का अंत नहीं हो रहा है। राज्य में लगातार बाबुओं की कमी बनी हुई है जिसके चलते के. चंद्रशेखर राव की बेहतर प्रशासन के लिए राज्य में छोटे-छोटे जिले बनाकर विकास का काम तेजी से करने की योजना पर प्रभावी अमल नहीं हो पा रहा है। राज्य सरकार के अनुमानों के अनुसार सरकार की विकास की योजना को साकार करने के लिए वर्तमान आई.ए.एस. और आई.पी.एस. अधिकारियों के अलावा 75 और आई.ए.एस. अधिकारियों की जरूरत है। 
 
सूत्रों का कहना है कि सरकार द्वारा कम से कम 60 आई.ए.एस. और आई.पी.एस. अधिकारियों की जरूरत के संबंध में एक पत्र केन्द्रीय गृह मंत्रालय और कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग को भेजा जा चुका है। वहीं मुख्य सचिव राजीव शर्मा एवं डायरैक्टर जनरल ऑफ पुलिस अनुराग शर्मा ने भी केन्द्रीय गृह सचिव राजीव महॢष के साथ बातचीत कर नए राज्यों को अपनी योजनाओं पर अमल के लिए काडर में अधिक अधिकारियों के आबंटन की मांग की है। दिलचस्प है कि आंध्र प्रदेश सरकार भी नई प्रशासनिक चुनौतियों को पूरा करने के लिए अधिक आई.ए.एस. और आई.पी.एस. अधिकारियों की मांग कर रही है। विभाजन के असर अभी आने वाले दिनों में भी बने रहेंगे और दोनों राज्यों को झटके देते रहेंगे। 
 
चांडी की मुश्किलें अब और बढ़ गईं
केरल में ओमान चांडी सरकार की मुश्किल एक बार फिर से बढ़ जाएगी जब राज्य को अपने नए मुख्य सचिव का चयन करना है। जिम थॉमसन अगले माह रिटायर हो रहे हैं और उससे कुछ ही दिन पहले विधानसभा चुनावों की घोषणा होने की भी संभावना है। चुनाव आयोग इसकी तैयारी कर चुका है। चांडी राज्य में चुनावों के समय पर राज्य की नौकरशाही पर किसी नए अधिकारी का नेतृत्व नहीं देखना चाहते हैं और वे थॉमसन को विस्तार देने के इच्छुक हैं। बहरहाल, राज्य सरकार के थॉमसन को सेवा विस्तार दिए जाने का प्रस्ताव केन्द्र ने खारिज कर दिया है, क्योंकि वह उन्हें कोई भी विस्तार देने के पक्ष में नहीं है। 
 
इसके अलावा वर्तमान माहौल में चांडी को एस.एम. विजयानंद को अपने नए मुख्य सचिव के तौर पर चुनना पड़ सकता है जोकि इस समय पंचायती राज्य मंत्रालय, नई दिल्ली में सचिव पद पर हैं। उन्हें थॉमसन के विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है। पर, इस बाबू ने केन्द्र में प्रतिनियुक्ति पर लौटने की इच्छा भी व्यक्त की है और उन्हें ही अब मुख्य सचिव पद के लिए पात्र के तौर पर देखा जा रहा है जोकि एक अन्य दावेदार नलिनी नेटो से वरिष्ठ हैं। पर, दोनों पी.के. मोहंती से जूनियर हैं जो कि इंस्टीच्यूट ऑफ मैनेजमैंट इन गवर्नमैंट के महानिदेशक हैं और वे एडीशनल मुख्य सचिव रैंक के हैं। पर, उनके सेवाकाल का भी 3 माह से कुछ अधिक का समय बचा है और ऐसे में वह अधिक गंभीर दावेदार नहीं हैं। 
 
वहीं, राज्य सरकार का भी यह विशेषाधिकार है कि वह किसे मुख्य सचिव नियुक्त करना चाहती है और हमारे सूत्रों का कहना है कि चांडी सरकार थॉमसन को सेवा विस्तार न दिए जाने के फैसले के खिलाफ भी जा सकती है और उन्हें अगले चुनावों तक अपने साथ बनाए रख सकती है। 
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